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सपा नेता शिव कुमार बेरिया ने समर्थकों संग थामा प्रसपा का दामन
काफी समय से शिवकुमार कुमार बेरिया को लेकर अटकले तेज थी की वो सपा निकाले जाने के बाद कहा जायेंगे। उनके साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने भी प्रसपा की सदस्यता ग्रहण की है।
कानपुर: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवकुमार बेरिया ने आज अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का दामन थाम लिया है। इस मौके पर प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी मौजूद रहे।
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बता दें कि इसके पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शिव कुमार बेरिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का दोषी बताकर 6 वर्षो के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था। 40 वर्षो तक समाजवादी की सेवा करने वाले शिवकुमार बेरिया मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार में उन्हें रेशम मंत्री बनाकर कैबिनेट में शामिल किया गया था। शिवपाल सिंह यादव की सिफारिश के बाद उन्हें सपा सरकार में मंत्री पद मिला था।
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काफी समय से शिवकुमार कुमार बेरिया को लेकर अटकले तेज थी की वो सपा निकाले जाने के बाद कहा जायेंगे। उनके साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने भी प्रसपा की सदस्यता ग्रहण की है। शिव कुमार बेरिया बेरिया समाज आते है जनपद कानपुर देहात में उनकी बेरिया समाज समेत एससी/एसटी वर्ग में अच्छी पकड़ है। शिवकुमार बेरिया रसूलाबाद विधान सभा से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं।
प्रसपा के अकबरपुर लोकसभा से प्रत्याशी हो सकते हैं शिवकुमार बेरिया
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया शिवकुमार बेरिया को कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। दरसल अकबरपुर लोकसभा सीट पर लम्बे अर्से से बसपा और कांग्रेस का दबदबा रहा है। 2004 में बसपा से अनिल शुक्ल वारसी सांसद रहे है। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से राजाराम पाल सांसद रहे है।
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2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में अकबरपुर लोकसभा सीट बसपा और कांग्रेस के हाथ से फिसल गई थी और बीजेपी से देवेन्द्र सिंह भोले सांसद बने थे। यदि जातिगत आंकड़े पर बात की जाए तो अकबरपुर लोकसभा सीट पर ओबीसी और एससी /एसटी का इफेक्ट ज्यादा है प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव शिवकुमार बेरिया को चुनावी मैदान पर उतारते है तो इसका घाटा सीधे तौर पर सपा बसपा गठबंधन को उठाना पड़ेगा। समीकरण के मुताबिक इसका फायदा कांग्रेस या बीजेपी को मिलेगा।