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विजेथुवा महावीरन धाम: यहां के मकरी कुंड तालाब में नहाने से दूर होते हैं पाप
सुल्तानपुर: अयोध्या से सटे यूपी के सुल्तानपुर जिले का भी अपना धार्मिक महत्व है, यहां के कई सारे धाम आस्था का केंद्र हैं। इन्हीं में एक नाम विजेथुवा महावीरन धाम का है। जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूरी पर स्थापित इस धाम पर आज भी हनुमान जी की मूर्ति का एक पैर जमीन में धंसा है। इसके अलावा यहां पर एक ऐसा तालाब है जहां हनुमान जी ने कालनेमि के वध से पहले स्नान किया था।
मूर्ति का एक पैर जमीन में है धंसा
जिले के कादीपुर तहसील में बने विजेथुवा महावीरन धाम का ज़िक्र पुराणों में है, वो इस तरह कि इस स्थान पर हनुमान जी ने कालनेमि राक्षस का वध किया था। आज भी यहां पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, जिसका एक पैर जमीन में धंसा हुआ है।
जिसकी वजह से मूर्ति थोड़ी तिरछी है। पुजारियों ने मूर्ति को सीधा करने के लिए खुदाई तक किया था लेकिन 100 फिट से अधिक खुदाई कराने के बाद भी मूर्ति के पैर का दूसरा सिरा नहीं मिल सका था। इस प्राचीन धाम में आज भी वो तालाब मौजूद है। जिसमें हनुमान जी ने स्नान किया था।
श्याम चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि आज इस तालाब का नाम मकरी कुंड है, और लोग मंदिर में दर्शन करने के पूर्व इस कुंड में स्नान करते हैं। ये भी कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से लोगों के पाप कम हो जाते हैं।
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रामायण में है इस स्थान का जिक्र
रामायण में इस स्थान का जिक्र है कि जब श्रीराम और रावण के बीच चल रहे युद्ध में लक्ष्मण जी को बाण लगा और वो मूर्छित हो गए तो वैद्यराज सुषेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय की तरफ चले।
हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने में असफल हो जाएं इसके लिए रावण ने अपने एक मायावी राक्षस कालनेमि को भेजा, ताकि वो रास्ते में ही हनुमान जी का वध कर दे। कालनेमि मायावी था और उसने एक साधु का वेश धारण कर रास्ते में राम-राम का जाप करना शुरू कर दिया। थके-हारे हनुमान जी राम-राम धुन सुन कर वहीं रुक गए।
रामायण के अनुसार साधू के वेश में कालनेमि ने हनुमान जी से उनके आश्रम में रुक कर आराम करने का आग्रह किया। हनुमान जी उसकी बात में आ गए और उसके आश्रम में चले गए। उसने हनुमान जी से आग्रह किया कि वह पहले स्नान कर लें उसके बाद भोजन की व्यवस्था की जाए। हनुमान जी स्नान के लिए तालाब में गए जहां कालनेमि ने मगरमच्छ बनकर हनुमान जी पर हमला किया था।
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