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ये हैं 3 कोरोना योद्धा: भयावह स्थिति में भी ऐसे किया काम, नहीं मानी हार

विश्व भर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं। वहीं गोंडा जिले में भी इस वायरस की चपेट में आए मरीजों की संख्या थमने का नाम नही ले रही। इस कारण लोग सहमे हुए हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 11 May 2020 6:33 PM IST
ये हैं 3 कोरोना योद्धा: भयावह स्थिति में भी ऐसे किया काम, नहीं मानी हार
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गोंडा। विश्व भर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं। वहीं गोंडा जिले में भी इस वायरस की चपेट में आए मरीजों की संख्या थमने का नाम नही ले रही। इस कारण लोग सहमे हुए हैं। लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में तीन स्टाफ नर्स दृष्टि, कनकलता और नीति ने सेवाभाव के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया और कोविड लेवल-1 हास्पिटल के टीम 01 में शामिल होकर बखूबी अपनी ड्यूटी निभायी। जिले में पहले पाजिटिव आये दो कोरोना संक्रमितों का उपचार कर उनकी स्थिति सामान्य बनाने और कोरोना नेगेटिव आने में अहम योगदान दिया।

कोरोना योद्धा के रूप में जी-जान से अपनी ड्यूटी निभा रहीं टीम 1 ये स्टाफ नर्स पीपीई किट पहनकर अस्पताल में ड्यूटी के दौरान मरीजों की सेवा में पूरी निष्ठा और निडरता के साथ जुटी रहती थीं। वे इस समय शहर के होटेल जेपी पैलेस में 14 दिनों के पैसिव कोरेंटाइन में हैं।

कोरोना ड्यूटी के लिए घर वालों को मनाया

दृष्टि बताती हैं कि जब उन्हें पता चला कि उनकी डयूटी कोरोना में लगी है, उस वक्त वह परसपुर सीएचसी पर थीं। उन्होंने कोरोना में ड्यूटी लगने की सूचना जब घर वालों को दी, तो घर वालों ने ड्यूटी करने से मना कर दिया।

भाइयों ने कहा चाहे नौकरी छोड़ दो और कोरोना संक्रमण की इस महामारी में ड्यूटी न करो। उनका कहना था कि जान है तो जहान है। पर जब दृष्टि ने उन लोगों को यह कहकर समझाया कि देश की इस हालत पर जब सब ऐसे ही अपनी ड्यूटी छोड़ देंगे, तो हम कोरोना को कैसे हराएंगे।

सब एकजुट होकर ही इस मुश्किल की घड़ी से बाहर निकल सकते हैं। इस तरह दृष्टि की बातों का प्रभाव घरवालों पर पड़ा और उन्हें काम जारी रखने की अनुमति मिली।

कठिनाइयों को भी आड़े नहीं आने दिया

दृष्टि बताती हैं कि कोरोना ट्रेनिंग के लिए प्रतिदिन परसपुर से गोंडा आने जाने के लिए बहुत दिक्कत थी, क्योंकि वाहनों का आवागमन बंद था, फिर भी दृष्टि ने भाईयों की मदद से पूरे ट्रेनिंग कार्यक्रम में हिस्सा लिया और ट्रेनिंग पूरी की। ट्रेनिंग के दौरान दृष्टि के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें कोविड 19 हास्पिटल के टीम 1 में शामिल किया गया।

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प्रसव कक्ष में काम करने में दृष्टि हैं अव्वल

स्टाफ नर्स दृष्टि रावत परसपुर सीएचसी के डिलीवरी पाइंट पर 30 मई 2019 से तैनात हैं। अपने हुनर और काबिलियत के बूते पर उन्होंने कई गर्भवती वति महिलाओं और बच्चों की जान बचाई है।

इस बारे में जिला कार्यक्रम प्रबंधक अमरनाथ का कहना है हाल ही में एक दिन जब मैं सीएचसी परसपुर के भ्रमण पर पहुंचा, तो देखा कि एक आदमी दृष्टि के सामने बार-बार हाथ जोड़कर उनका धन्यवाद दे रहा था।

उस आदमी से बातचीत करने पर पता चला कि उसकी पत्नी का सामान्य प्रसव सीएचसी पर हुआ था लेकिन प्रसव उपरांत अधिक रक्त स्त्राव हो रहा है।

जच्चा-बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ

उसने बताया कि सब कह रहे थे कि स्थिति बहुत नाजुक है जच्चा की जान खतरे में है पर स्टाफ नर्स दृष्टि दीदी ने अपनी सूझ-बूझ और काबिलियत से मेरी पत्नी के रक्त स्त्राव का बहुत अच्छे से प्रबंधन किया और थोड़ी देर बाद रक्त स्त्राव बंद हो गया। जच्चा-बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।

इस पर अधीक्षक डा. एमपी यादव व अस्पताल के सभी स्टाफ द्वारा दृष्टि के काम को काफी सराहा गया। दृष्टि के इस काम को जब जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिला तकनीकी विशेषज्ञ मिर्जा आदिल द्वारा प्रेजेंट किया गया, तो जिलाधिकारी डा. नितिन बंसल ने भी दृष्टि के काम आउट काबिलियत की सराहना की और उसे जिला स्तर पर सम्मानित किए जाने की बात भी कही।

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संकट काल में ड्यूटी गौरव की बात

30 मई 2019 से मसकनवा पीएचसी पर तैनात स्टाफ नर्स कनकलता बताती हैं कि जब इन्हें पता चला कि इनकी ड्यूटी कोरोना में लगी है, उस वक्त वह जिला मऊ में थीं। लाकडाउन के चलते परिवहन बंद था, फिर भी किसी तरह गोंडा पहुंचकर कनकलता ने ड्यूटी ज्वाइन किया।

जिला स्तर पर चल रहे कोरोना प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया और चीजों को बारीकी से सीखा । प्रशिक्षण प्राप्त कर कोविड19 हॉस्पिटल के टीम1 में शामिल हुईं और पूरे निष्ठा भाव से निडरता के साथ मरीजों की सेवा की ।

कनक बताती हैं कि जब ड्यूटी लगने की जानकारी घर वालों को हुई तो भाई अखिलानंद का कहना था पूरा प्रदेश कोरोना से लड़ रहा है, तुम्हें भी इस लड़ाई में हिस्सा लेना चाहिए और इससे मैं ही नहीं पूरा परिवार और सगे-सम्बंधी गौरवान्वित होंगे।

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खराब स्वास्थ्य के बाद भी सेवाभाव का सैलाब

कनक बताती हैं कि उनका स्वास्थ्य पिछले काफी दिनों से खराब चल रहा था। एक दिन ड्यूटी के दौरान ही कनक के पेट में तेज दर्द हुआ और सर में चक्कर आने लगा, फिर कनक ने हाइड्रोक्लोरोक्वीन टैबलेट खाकर हिम्मत न हारते हुए अपनी ड्यूटी का शिफ्ट पूरा किया।

जब अस्पताल प्रभारी व अन्य अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने कनक के साहस और सेवाभाव की यह कहकर काफी सराहना किया कि कनक की कर्तव्यपरायणता अन्य लोगों के ये प्रेरणा दायक है।

बेटी को मिस करती हूं तो कर लेती हूं वीडियो काल

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नीति तिवारी जोकि इटियाथोक सीएचसी पर प्रसव कक्ष में 02 मार्च 2015 से स्टाफ नर्स के पद पर तैनात हैं। नीति की एक 2 वर्ष बेटी की है, जिसको घर पर छोड़कर नीति अपनी ड्यूटी पूरा कर रही हैं।

नीति कहती हैं कि 25 दिनों से घर नहीं गयी हूं। बिटिया की जब बहुत याद आती है, तब वीडियो कॉलिंग करके बिटिया को देख लेती हूं और उसकी आवाज सुन लेती हूं। तो मन में फिर से नयी ताजगी और उत्साह का संचार हो जाता है।

नीति बताती हैं कि एक दिन ड्यूटी के दौरान मेरी सांस फूलने लगी और चक्कर आने लगा, इस बारे में साथी स्टाफ ने वहां के डाक्टरों को सूचना दी, जिसपर नीति को तुरन्त आवश्यक उपचार प्रदान किया गया और नीति की हालत में सुधार हो गया। अब नीति पूरी तरह से स्वस्थ हैं उनका कहना है मानव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है।

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रिपोर्ट- तेज प्रताप सिंह

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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