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शराब पीकर चरन क्लब एंव रिसार्ट में झगड़ने वाले ट्रेनी जज बहाल, इसलिए दिया ये फैसला  

sudhanshu
Published on: 3 July 2018 10:00 PM IST
शराब पीकर चरन क्लब एंव रिसार्ट में झगड़ने वाले ट्रेनी जज बहाल, इसलिए दिया ये फैसला  
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इलाहाबाद: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने करीब चार साल पहले फैजाबाद रोड स्थित चरन क्लब एण्ड रिसार्ट में शराब पीकर आपस में ऊधम काटने के चक्कर में सेवा से हटाये गये पंद्रह ट्रेनी सिविल जजों को बहाल करने का आदेश मंगलवार को दिया है। कोर्ट ने उन्हें हटाने संबधी 14 सितम्बर 2014 , 22 सितम्बर 2014 और 15 जून 2015 के पारित अलग अलग तीन आदेश खारिज कर दिये हैं। ये आदेश हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने प्रशासनिक कार्य करते हुए पारित किये थे। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट प्रशासन तत्काल इन हटाये गये ट्रेनी जजों को सेवा में वापस ले। यह आदेश जस्टिस सत्येंद्र सिंह चौहान व जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने हटाये गये ट्रेनी जजों की ओर से अलग अलग दायर रिट याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए सभी याचिकाओं को मंजूर करते हुए पारित किया।

जज थे युवा, मिला मौका

कोर्ट ने कहा कि इन ट्रेनी जजों का कोर्ट में आचरण पर प्रश्न नहीं था और न ही उनके न्यायिक कामकाज के तरीके पर प्रश्‍न था। उन्होंने अपनी ट्रेनिंग भी सफलतापूर्वक पूरी कर ली थी। पंरतु ट्रेनिंग के अंतिम दिन उनसे जो हरकत हुई उसकी वजह से उन्हें सेवा से बिना सुनवाई का पूरा मौका दिये हटाना उचित नहीं था।

बेंच ने कहा कि ये ट्रेनी जज युवा थे और उन्हें इस बात का अनुभव नहीं था कि कोर्ट के अंदर व बाहर किस प्रकार का व्यवहार न्यायिक अधिकारियों से अपेक्षित होता है। बेंच ने यह भी कहा कि ट्रेनी जज रिसार्ट में आपस में ही झगड़े थे और उन्होने वहां मौजूद किसी महिला से दुर्व्‍यवहार नहीं किया था। उन्होंने घटना के लिए एक दूसरे से माफी भी मांग ली थी तो ऐसे में उन्हें सुधरने का मौका देने की बजाय उन्हें सीधे सेवा से हटा देना उचित नहीं था।

ये था मामला

गौरतलब है कि याची ट्रेनी जजों ने 2013 में पीसीएसजे की परीक्षा पास की और प्रदेश के अलग अलग जिलों में बतौर सिविल जज (जूनियर) नियुक्त हुए थे। जेटीआरआई में ट्रेनिंग के लिए उन्हें बुलाया गया था और 7 सितम्बर 2014 को ट्रेनिंग खत्म होने की पूर्व संध्या पर सभी 15 ट्रेनी जज चरण क्लब और रिसार्ट में पार्टी करने पहुंचे थे। वहां पर उनमें से कुछ ने शरीब पी। पार्टी के दौरान उनमें आपस में कहा सुनी हो गयी। उन्हीं में से कुछ ने बीच बचाव भी किया। दूसरे दिन सबने एक दूसरे से घटना के लिए माफी भी मांग ली। इस घटना का पता जब चीफ जस्टिस को हुआ तो उन्होने जांच करवायी और बाद में फुल कोर्ट ने प्रशासनिक आदेशों से सभी को सेवा से बाहर कर दिया था। हटाये गये ट्रेनी जजों ने हाईकोर्ट में अलग अलग याचिका दायर कर अपने को हटाने संबधी आदेश को चुनौती दी थी । सभी याचिकायें हाईकोर्ट ने मंगलवार को मंजूर कर लीं थीं।

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