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IPS अफसर बोले-ट्रिपल तलाक पर रोक मील का पत्थर साबित होगी
लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल तलाक पर रोक लगाये जाने के बाद अब इस की कानूनी मान्यता ख़त्म हो गई है। अदालत के फैसले के बाद भले ही फिलहाल कानूनी कार्रवाई का रास्ता बंद हो, लेकिन कानून की नज़र में ट्रिपल तलाक़ की कोई अहमियत नहीं होगी। इस फैसले के बाद मुस्लिम महिलाओं के लिए गुज़ारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत जाने का अधिकार भी हासिल हो गया है। रिटायर्ड आईपीएस अफसर व कानून के जानकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक बता रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट का ट्रिपल तलाक को लेकर आया फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा। कानून के जानकार व महिलाओं संबंधी अपराधों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले पदम् कीर्ति कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानून की निगाह में अब ट्रिपल तलाक की कोई अहमियत नहीं रह गई है। अदालत के आदेश के बाद जब तक कानून नहीं बन जाता है। ट्रिपल तलाक देने वाले के खिलाफ कोर्ट आफ कंटेम्प्ट के तहत कार्रवाई के अलावा घरेलू हिंसा की धाराओं में मुक़दमा दर्ज कराया जा सकता है। और जब कानून बन जाएगा तो उन परिस्थितियों में सिविल सूट क्रिमिनल केस बन जाएगा।
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रिटायर्ड डीएसपी दिग्विजय सिंह बताते हैं, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के हित में मील का पत्थर साबित होगा। क्योंकि अगर अब अगर अदालत के आदेश के बाद भी किसी महिला को कोई तलाक देता है, तो उस की कानूनी मान्यता नहीं होगी। इन परिस्थितियों में महिला धारा 125 सीआरपीसी यानि गुज़ारा भत्ता के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकती है। जो पहले ट्रिपल तलाक़ की कानूनी मान्यता के चलते संभव नहीं हो पाता था। पहले ट्रिपल तलाक बोल देने भर से तलाक हो जाता था। तलाकशुदा हो जाने की वजह से महिला को गुज़ारा भत्ता के लिए अदालत जाने का अधिकार स्वतः ही समाप्त हो जाता था। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाने के स्थिति शाह बानो केस जैसे ही हो गई है। अब मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तलाक़ के बाद जहां गुज़ारा भत्ते के लिए अदालत जा सकती हैं। वही घरेलू हिंसा का मुक़दमा भी दर्ज करा सकती हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्रिपल तलाक़ पर क़ानून बनाने को कहा है। ऐसे में जब तक कानून अमल में नहीं आ जाता है। उन हालात में भी मुस्लिम महिलाओं को बहुत से कानूनी अधिकार हासिल हो गए हैं। रिटायर्ड आईपीएस अफसर आर के एस राठौर कहते हैं कि न्यायालय का यह फैसला मुस्लिम महिलाओं को अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।