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अनियमित कालोनियों को तोड़ने के खिलाफ बिल्डर एकजुट, निर्माण की जांच के बाद हो कार्रवाई
लखनऊ: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) और जिला प्रशासन की अनियमित कालोनियों पर चल रही कार्रवाई के खिलाफ स्थानीय बिल्डर एकजुट हो रहे हैं। उनकी मांग है कि निर्माण की गुणवत्ता/निर्माण सामग्री की जांच कराकर ही ऐसे निर्माण को तोड़े जाने की कार्रवाई की जाए। यदि बिना किसी जांच के सभी मकान/फ्लैट तोड़ दिए जाएंगे तो हजारों करोड़ रूपये का नुकसान होगा।
गौरतलब है कि खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों राजधानी के शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में बैठक कर अफसरों को प्रदेश में निर्मित अनियमित कालोनियों की सूची बनाने को कहा था। उन्होंने कहा था कि ऐसी कालोनियों में रहने वाली जनता को बुनियादी सुविधाएं दिलाना सुनिश्चित किया जाए। इसमें प्राधिकरण भी अपने स्तर पर प्रयास करें। इसके इतर जिला प्रशासन और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण अनयिमित कालोनियों के निर्माण को तोड़ रहा है।
बिल्डरों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र
बिल्डरों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि जुलाई के पहले हफ्ते से गाजियाबाद जिले की तमाम फ्री होल्ड (अनियमित) कालोनियों में सिलिंग/तोड़फोड़ की कार्यवाही जीडीए और जिलाधिकारी गाजियाबाद की तरफ से की जा रही है। इस कार्रवाई में बिल्डिंगों के गुणवत्ता भी नहीं जांची जा रही है। जब से शाहबेरी (नोएडा) व आकाशनगर (डासना) में बिल्डिंग गिरी है। तब से जो भी कोई निर्माण कार्य चल रहा है या बिल्डिंग तैयार मिल रही है। जीडीए उस पर अपनी कार्यबंद सील लगा रहा है।
घटिया निर्माण गिराने के दें आदेश
बिल्डरों का कहना है कि इसके लिए एक टीम गठित की जानी चाहिए जो समय—समय पर जिले और प्रदेश के सभी इमारतों की जांच करे और कोई भी जान—माल का हादसा होने से पहले ही जर्जर और घटिया निर्माण सामग्री वाली इमारत को खाली कराकर गिराने के आदेश दे। जिस बिल्डिंग की निर्माण सामग्री सही हो, उसे नियमित कर दिया जाए।
70 से 80 फीसदी मध्यमवर्गीय परिवार अनियमित कालोनियों में रहता है
गाजियाबाद जिले के लोनी, मोदीनगर, मुरादनगर, गोविन्दपुरम, शास्त्रीनगर, डासना, खोड़ा, राजेन्द्रनगर, विजयनगर या अन्य जगहों पर जिले की 70 से 80 फीसदी मध्यमवर्गीय आबादी रहती है जो अनियमित कालोनियों में रहती है।
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