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भ्रष्टाचार का खुलासा! यूपी सरकार बदली, लेकिन खनन माफिया बेखौफ
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद योगी आदित्यनाथ ने खनन माफियाओं को कड़ी चेतावनी दी थी और नई खनन नीति भी पेश की थी, लेकिन राज्य को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने का नई सरकार का सपना साकार होना मुश्किल नजर आ रहा है। राज्य के खनन विभाग में भ्रष्टाचार बदस्तूर जारी है। यह बात एक स्टिंग ऑपरेशन में सामने आई है। एक समाचार चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के जरिए इस बात का खुलासा किया है कि राज्य में अनाधिकृत खनन गतिविधियां धड़ल्ले से जारी हैं। कुछ भी बदला नहीं है।
चैनल की अंडरकवर टीम ने उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में गैरकानूनी खनन में संलिप्त कुछ खनन माफियाओं के से संपर्क किया। खनन माफियाओं ने खुलासा किया कि उनके संबंध राज्य के विभिन्न विभागों के कई अधिकारियों और पुलिस से हैं। ये भ्रष्ट अधिकारी व पुलिसकर्मी गैरकानूनी खनन परिचालनों में उनकी मदद करते हैं।
चैनल की टीम एसडीएम ऑफिस व पुलिस स्टेशन पर गई और अपने छुपे कैमरों में उन अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा। इन कैमरों में अधिकारियों को खनन के लिए इजाजत देने के एवज में पैसे मांगते कैद किया गया है।
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अधिकारियों ने खुलासा किया कि यदि खनन कानूनी रूप से किया जा रहा है, तो वे 8000 रुपये से 10,000 रुपये तक लेते हैं और यदि खनन गैरकानूनी है, तो रिश्वत में 15,000 हजार रुपये तक मांगे जाते हैं।
यानी सरकार बदलने के बावजूद उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार जारी है। संभव है कि नई नीतियों का कुछ प्रभाव हुआ हो, लेकिन एक भ्रष्टाचार मुक्त राज्य के लक्ष्य को पूरा करना योगी सरकार के लिए अभी भी खुली आंखों से सपना देखने जैसा प्रतीत हो रहा है।
योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, "जो स्टिंग दिखाया है, वो हमारे संज्ञान में है। स्टिंग चलने के 24 घंटे से पहले ही कैमरे पर इस तरीके की हरकत करने वाले सभी लोगों पर कार्रवाई हो चुकी है। इस स्टिंग को ध्यान में रखते हुए हम इसकी तह तक जाएंगे और अगर कोई और भी इसमें दोषी होंगे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।"
वहीं समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील यादव ने कहा, "जिस तरीके से टीवी के कैमरे पर ये भ्रष्टाचार कैद हुआ है, वो बताता है कि इस सरकार में काम कैसे हो रहा है। ये सिर्फ एक जिले की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की हकीकत है।"
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उन्होंने कहा, "योगी सरकार में शामिल लोग जब टीवी कैमरे के सामने आते हैं तो ऐसे बनते हैं, जैसे इनसे बेहतर कोई है ही नहीं, पर इस सरकार की असली हकीकत चैनल ने दिखा दी है।"
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा, "प्रदेश में खनन माफिया पहले की तरह ही सक्रिय हैं, बस कुछ चेहरे बदल गए हैं। सामान भी वही है और लोग भी वही हैं। सत्ताधारी दल के सहयोग से सब कुछ हो रहा है। अच्छा है कि एक चैनल ने ये दिखाया, लेकिन अगर हम ये आरोप लगाते तो लोग कहते कि विपक्ष में हैं, इसलिए आरोप लगा रहे हैं।"
प्रदेश में सरकारी संरक्षण में अवैध खनन का धंधा कई वर्षो से जारी है। माफिया खनन में अवैध विस्फोटकों का इस्तेमाल बेखौफ होकर करते हैं। लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति ही होती थी। अवैध खनन में लिप्त माफियाओं का काला अध्याय जैसे ही स्टिंग ऑपरेशन के बाद चैनल ने दिखाना शुरू किया, अवैध खनन में लिप्त अधिकारियों की पोल परत दर परत खुलने लगी और प्रशासन, पुलिस महकमा और अवैध खनन में लिप्त माफियाओं में हड़कंप मच गया।
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मिर्जापुर के जिलाधिकारी विमल कुमार दुबे ने कहा, "मैंने स्टेनोग्राफर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और मड़िहान के एसडीएम से स्पष्टीकरण मांगा है, जरूरत पड़ी तो शासन को भेजा जाएगा। पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के लिए मैंने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा है। शासन की मंशा के अनुरूप कार्रवाई होगी।"
मिर्जापुर के पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने कहा, "हमने टीवी पर खबर देखी है। मैंने सीओ के खिलाफ जांच अपर पुलिस अधीक्षक (ऑपरेशन) को दिया है और थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज पर निलंबन की कार्यवाही कर रहा हूं।"
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने कहा कि अवैध खनन या खनन का मामला देखना पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, यह जिला कलेक्टर की जिम्मेदारी है। हम सिर्फ सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, लेकिन अवैध खनन में कोई भी पुलिस अधिकारी यदि अकेले खनन में जाता है तो वह भ्रष्टाचार है। जो भ्रष्ट है, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।