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सुन लो भईया! गंगा में गंदगी की तो जाओगे जेल, घाट किनारे बनेगा थाना
करोड़ों लोगों के आस्था की प्रतिक पतित पावनी गंगा को बचाने के लिए हमारी सरकारों ने पानी की तरह पैसा बहाया। चाहे वो कांग्रेस की सरकार हो या फिर मोदी की। कभी गंगा एक्शन कमेटी तो कभी गंगा के लिए अलग मंत्रालय। हर बार, हर कोशिश नाकाम दिखी। एक बार फिर से गंगा को बचाने के लिए कोशिशों को परवान चढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
वाराणसी: करोड़ों लोगों के आस्था की प्रतिक पतित पावनी गंगा को बचाने के लिए हमारी सरकारों ने पानी की तरह पैसा बहाया। चाहे वो कांग्रेस की सरकार हो या फिर मोदी की। कभी गंगा एक्शन कमेटी तो कभी गंगा के लिए अलग मंत्रालय। हर बार, हर कोशिश नाकाम दिखी। एक बार फिर से गंगा को बचाने के लिए कोशिशों को परवान चढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
इस बार ये आवाज उठी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से। काशी में अब गंगा थाना बनाने की मांग की गई है। मकसद है गंगा में बढ़ते प्रदूषण को रोका जाए।
बीएचयू के डॉक्टर ने उठाई गंगा थाना बनाने की मांग
बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर वीएन मिश्रा ने गंगा की अविरलता और निर्मलता कायम रखने के लिए सूबे के डीजीपी ओपी सिंह से मिलकर गंगा थाना बनाने का प्रस्ताव दिया है।
वीएन मिश्रा के मुताबिक डीजीपी उनके प्रस्ताव को लेकर गंभीर है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आगमी अप्रैल-मऊ में नींव पड़ जाएगी। दूसरी ओर सूबे के राज्यमंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने भी इस ओर संकेत दिए हैं। उनके मुताबिक सरकार बनने के बाद से ही गंगा थाना बनाने पर चर्चा हो रही है। शासन स्तर पर मंथन के बाद जल्द ही इसकी स्वीकृति दिलाई जाएगी।
कैसा होगा गंगा थाना?
इसके तहत थाने में तैनात पुलिस के जवान गंगा तट पर बने 84 घाटों की हर वक्त निगरानी करेंगे। गंगा में प्रदूषण करने वालों से सख्ती से निबटेंगे। हाईटेक संसाधनों से लैस 5 स्टिमर हर वक्त गंगा में चक्रमण करते रहेंगे।
यही नहीं सफाई के लिए अतिरिक्त कर्मी के साथ नगर निगम और विकास प्राधिकरण के कर्मचारी भी तैनात रहेंगे। ये लोग घाटों पर अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज कराएंगे।
क्यों पड़ी गंगा थाना बनाने की जरूरत?
दरअसल काशी में गंगा किनारे बने 84 घाटों पर प्रतिदिन लगभग 15-18 हजार श्रद्घालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। प्रमुख त्योहारों पर तो ये संख्या लाखों में पहुंच जाती है। इनमें कई ऐसे हैं जो साबुन का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा कुछ घाटों पर खुलेआम मवेशियों को नहलाया जाता है।
इन वजहों से गंगा का प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। दूसरा प्रमुख कारण घाटों की सुरक्षा भी है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि कुछ घाटों पर नशेड़ियों और अवैध गाइडों का जमावड़ा रहता है। इसकी वजह से सैलानियों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।