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Sonbhadra News: चार माह में हैंडपंप मरम्मत पर खर्च कर डाले आठ लाख, ग्रामीणों की शिकायत पर सामने आया मामला

Sonbhadra News : बैरखड़ ग्राम पंचायत में महज हैंडपंप मरम्मत के नाम पर चार माह में आठ लाख रुपये खर्च किए जाने का हैरतंगेज मामला प्रकाश में आया है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Ragini Sinha
Published on: 21 Jan 2022 12:55 PM GMT
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Sonbhadra News : चार माह में हैंडपंप मरम्मत पर खर्च कर डाले आठ लाख 

Sonbhadra News : ग्राम पंचायतों में कराए जाने वाले कार्यो में घपले की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही है। दुद्धी ब्लाक के बैरखड़ ग्राम पंचायत में महज हैंडपंप मरम्मत के नाम पर चार माह में आठ लाख रुपये खर्च किए जाने का हैरतंगेज मामला प्रकाश में आया है। वहीं इससे सटे महुअरिया ग्राम पंचायत में एक ही व्यक्ति के नाम दो-दो शौचालय आवंटित किए जाने की भी बात सामने आई है।

इसको लेकर ग्रामीणों ने जिलाधिकारी सहित अन्य को शिकायती पत्र भेज कार्रवाई की भी मांग की है। इससे जहां संबंधितों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। वहीं दुद्धी ब्लाक के सभी ग्राम पंचायतों में कराए गए कार्यों की जांच की मांग उठने लगी है।


हैंडपंप मरम्मत के नाम पर साढ़े आठ लाख रुपए का खर्च

ग्राम स्तर पर तेजी से विकास हो, इसके लिए शासन स्तर से लगातार निर्देश निर्गत किए जा रहे हैं । शिकायतकर्ताओं द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर नजर डालें, तो महज बैरखड़ ग्राम पंचायत में महज चार से पांच माह में हैंडपंप मरम्मत के नाम पर साढ़े आठ लाख रुपए का खर्च दिखाकर धनराशि निकाल ली गई है।


ग्रामीणों का क्या है आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि हैंडपंपों की मरम्मत के नाम पर ग्राम पंचायत निधि से उपरोक्त धनराशि निकालकर बंदरबांट कर ली गई है। जबकि अभी भी गांव में कई हैंडपंप ऐसे हैं जो खराब पड़े हैं। जानकारों के मुताबिक ग्राम पंचायत नियमावली के तहत शासन से प्रति हैंडपंप मरम्मत के लिए 500 रुपये मजदूरी भुगतान निर्धारित है। हैरत की बात यह है कि ग्राम पंचायत निधि से जो धनराशि निकाली गई है, उसमें.से श्रमिकों को हुए भुगतान के नाम पर महज 45 सौ रुपये खर्च दर्शाया गया है। शेष धन हैंडपंप सामग्री में व्यय किया जाना बताया जा रहा है। यह आंकड़ा इस बात को बयां करने के लिए काफी है कि कुछ-कुछ नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है।


एक ही जगह वर्षों से तैनाती पर भी उठा सवाल

ग्रामीणों के मुताबिक, बैरखड़ ग्राम पंचायत के लिए तैनात सचिव के पास आठ-नौ ग्राम पंचायत का चार्ज है। 10 साल से अधिक समय से एक ही जगह जमे हुए हैं। इसके पीछे उनकी मजबूत राजनीतिक पकड़ होने की बात चर्चा में है। ग्रामीणों का आरोप है कि महज एक गांव में एक मद में अगर आठ लाख की बंदरबांट हो सकती है तो अन्य गांव और अन्य मदों की क्या स्थिति होगी? इसके भी जांच की जरूरत है।

40 शौचालय बने ही नहीं, 10 शौचालय दो-दो लोगों को कर दिए गए आवंटित

एक तरफ जहां जिले के कई गांव ओडीएफ घोषित किए जा चुके हैं। वहीं ग्राम पंचायत महुअरिया में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2019-20 में 261 शौचालय आवंटित किए गए। इसमें अब तक 189 ही पूर्ण हो पाए हैं। सूत्रों के मुताबिक विभागीय जांच में 23 अपूर्ण मिले हैं। जबकि 40 अभी बन ही नहीं पाए हैं। 10 ऐसे शौचालय हैं। जिसमें लाभार्थी का डबल नाम है। इसी प्रकार एलओबी वन (आधार रेखा से बाहर) के तहत 49 शौचालय आवंटित हुए थे। इसमें आठ अभी तक अधूरे हैं। नौ शौचालय बने ही नहीं हैं। एलओबी दो में चार शौचालय हैं, उसमें एक भी नहीं बना है। बेसलाइन सर्वे के आधार पर गरीबी रेखा से उपर 152 शौचालय मिले हैं।

उसमें भी 45 अधूरे पड़े हैं। वहीं छह शौचालय अभी तक बने ही नहीं है।उधर, एडीओ पंचायत समरबहादुर सिंह ने कहा कि अगर हैंडपंप मरम्मत के नाम पर चार माह में आठ लाख रुपये नियमों की अनदेखी कर निकाले गए हैं तो गलत है। वह इसकी जांच करेंगे। शौचालयों को अपूर्ण होने की जानकारी मिली है। उसको पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं।

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Ragini Sinha

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