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कांग्रेस का मालिक कौन है...क्या गांधी परिवार से ही कोई बनेगा खेवनहार
कांग्रेस के पास दो चीजें हैं एक तो नेहरू गांधी युग की विरासत और दूसरी कांग्रेस एक ब्रांड है हालांकि दूसरी बात की इन दिनों कोई गारंटी नहीं रह गई है। इसके बाद लाख टके का सवाल शेष बचता है कि कांग्रेस का मालिक कौन है। कौन सा गांधी राहुल या प्रियंका कांग्रेस को आगे ले जाने में सक्षम होगा।
लखनऊ: भाजपा या माकपा के किसी कार्यकर्ता से यदि आप उसकी विचारधारा के बारे में पूछेंगे तो सुनने को कुछ ऐसा मिलेगा हिन्दू, राष्ट्रीयता या छद्म धर्मनिरपेक्षता और माकपा का कार्यकर्ता कहेगा मार्क्स, पूंजीपति और नव उपनिवेशवाद।
लेकिन जब किसी कांग्रेस कार्यकर्ता से उसकी विचारधारा पूछें तो बड़ी कठिनाई से जवाब मिलेगा देश जनता और गरीबी।
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इसके बाद यदि यह जानने की कोशिश करें कि इनकी राजनीति कौन चलाता है तो रटारटाया सा जवाब तुरंत आएगा। कांग्रेस। अब इसका कोई मतलब नहीं है कि कांग्रेस का स्टैंड क्या है वह कर सकती है या नहीं। कांग्रेस के पास दो चीजें हैं एक तो नेहरू गांधी युग की विरासत और दूसरी कांग्रेस एक ब्रांड है हालांकि दूसरी बात की इन दिनों कोई गारंटी नहीं रह गई है।
इसके बाद लाख टके का सवाल शेष बचता है कि कांग्रेस का मालिक कौन है। कौन सा गांधी राहुल या प्रियंका कांग्रेस को आगे ले जाने में सक्षम होगा।
नेहरू गांधी युग की विरासत को अपनी यूएसपी बनाने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह कांग्रेस की कोई विचारधारा न होना है। इसकी विचारधारा तो जवाहरलाल नेहरू के साथ ही दफन हो गई थी। पारिवारिक मालिकाना हक ने इसके नेताओं को एक दूसरे के प्रति गला काट प्रतिस्पर्धा से रोक दिया। और वंशवाद के हटते ही कांग्रेस के खत्म होने का खतरा हो जाता है जिसके चलते कांग्रेसियों की राजनीति का उद्देश्य ही बदल गया है।
राहुल गांधी के मना करने के बावजूद जो कांग्रेसी उनके अध्यक्ष बने रहने पर जोर दे रहे हैं वह इसलिए नहीं कि वह राहुल गांधी से प्यार करते हैं, ऐसा इसलिए हैं क्योंकि वह खुद से प्यार करते हैं। इसीलिए वह कांग्रेस से चिपके रहना चाहते हैं और चाहते हैं कि राहुल गांधी भी कांग्रेस से चिपके रहें। क्योंकि राहुल के बिना पार्टी नहीं। पार्टी के बिना कोई राजनीति नहीं।
शायद यही वजह है कि राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस का अध्यक्ष पद स्वीकारने से इनकार करने के बाद कांग्रेस कोई निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। आ रही खबरों के हिसाब से वह शायद लंदन में हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि वह कांग्रेसियों से नाराज हैं या खुद से लेकिन सवाल इसके अलावा भी बहुत से हैं।
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यहां एक बात देखने की है कि 1966 में जब इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की कमान सम्हाली थी तो उस समय के कांग्रेसियों की इच्छा थी कि वह गूंगी गुडिया बनकर रहें लेकिन इंदिरा गांधी ने गूंगी गुड़िया बनने से इनकार कर दिया था और आयरन लेडी बन गई थीं। राहुल गांधी ने जब कांग्रेस की कमान सम्हाली तो कांग्रेसियों की इस इच्छा ने फिर जोर मारा कि वह गूंगा कठपुतली बन जाएं और राहुल गांधी बन गए। इसी के साथ कांग्रेस राजनीतिक आत्महत्या के रास्ते पर बढ़नी शुरू हो गई। जोकि अभी तक जारी है।