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कई IAS रेस में, लेकिन...क्या राज प्रताप सिंह होंगे रेरा के अध्यक्ष?
योगेश मिश्र
लखनऊ: भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए इन दिनों उतर प्रदेश रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) खासा आकर्षण का सबब है। रेरा के अध्यक्ष पद पर होने वाले चयन के लिए एक दर्ज़न से अधिक आईएएस अफसरों ने आवेदन किया है। इसमें कई अगले कुछ महीनों में ही सेवानिवृत्त होने वाले अफसर भी हैं। पर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त राज प्रताप सिंह, रेरा के पहले अध्यक्ष होंगे।
इस पद के लिए राजप्रताप सिंह अपनी सात-आठ महीने की आईएएस की नौकरी छोड़ने को तैयार हैं। उनकी यही तैयारी उन्हें इसके अध्यक्ष पद की दौड़ में उन्हें सबसे मजबूत बना रही है।
1983 बैच के अफसर राजप्रताप सिंह अगले साल मई में सेवानिवृत्त होंगे। ऐसे में मुख्य सचिव के वेतनमान में आने के बावजूद उन्हें मुख्य सचिव बनाने का मौका नहीं मिलेगा। क्योंकि, वर्तमान मुख्य सचिव राजीव कुमार अप्रैल 18 में सेवानिवृत्त होंगे। इसके बाद राजप्रताप सिंह के पास नौकरी के केवल एक महीने बचेंगे।
सदाकांत भी रेस में
राजप्रताप सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के साथ काम कर चुके हैं और वर्त्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पसंदीदा अफसरों में शुमार हैं। इसी के मद्देनज़र उन्होंने रेरा के अध्यक्ष पद पर आवेदन किया है, ताकि उन्हें तीन साल का एक नया कार्यकाल मिल जाए। इस पद के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव सदाकांत ने भी आवेदन किया है। वह अगले वर्ष जनवरी में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने आवास और नगर विकास महकमे में लंबे समय तक काम किया है।
आलोक रंजन ने भी किया आवेदन
प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और 1978 बैच के आईएएस अफसर आलोक रंजन ने भी इस पद के लिए आवेदन किया है। आवास, नगर विकास महकमे में लंबे अनुभव के साथ-साथ उन्हें प्रदेश की सभी महत्वपूर्ण कुर्सियों पर काम करने का अनुभव है। सेवानिवृत्त आईएएस वृंदा स्वरूप 1981 बैच की अफसर हैं। वह केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। उत्तरप्रदेश में उन्हें वेतन आयोग में जगह मिल गई है।
कई और भी इस पद के आकांक्षी
1982 बैच के अफसर रोहित नंदन भी केंद्र सरकार के सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने भी इसके लिए आवेदन कर रखा है। वह इस समय कैट के उपाध्यक्ष हैं। आईएएस अफसर रहीं आराधना जौहरी, शंकर अग्रवाल, अरुण कुमार मिश्रा ने भी आवेदन कर रखा है। सेवानिवृत्त आईएएस अफसर किशन सिंह अटोरिया को सरकार ने किसी दूसरे काम में लगा दिया हो, पर वे भी इस पद के आकांक्षी हैं। 1984 बैच के अटोरिया अभी सैट के सदस्य हैं।
..तो ये है लगाव की वजह
रेरा के प्रति आईएएस अफसरों का यह लगाव महज़ इसलिए है क्योंकि यह सेवानिवृत्ति के बाद भी आवास और नगर विकास सरीखे महत्वपूर्ण महकमों के प्रमुख सचिव से अधिक शक्ति देता है। यह एक सुपर एक्टिव बॉडी है। प्राइवेट बिल्डर या प्राइवेट टाउन प्लानर को नक्शा पास करने से लेकर लेआउट और एफ़एआर ( फ्लोर एरिया रेशिओ) तय करने के लिए अनुमोदन लेना पड़ेगा। सरकार के किसी भी निकाय से यदि किसी प्राइवेट बिल्डर का कोई विवाद होता है तो यही अथॉरिटी सुनवाई करेगी। भूमि अधिग्रहण संबंधी विवाद में अगर किसान संतुष्ट नहीं है तो वह भी रेरा में ही अपील करेगा। यदि किसी आवंटी के साथ कोई बिल्डर ज्यादती करता है तो उसकी अपील सुनने की भी यही सर्वोच्च अथॉरिटी है।