Ram Mandir Construction Video: राममंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व की ओर है। अर्थात यह मंदिर पूरबमुखी है।मंदिर में तीन तल हैं। मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है। हर तल की ऊंचाई 20 फीट होगी। पूरब-पश्चिम दिशा में मंदिर 350 फीट लंबा होगा। उत्तर-दक्षिण दिशा में 235 फीट चौड़ा होगा। पांच (गुंबद यानी ) मंडप होंगे। अब तक तीन मंडप तैयार हो चुके हैं। चौथे मंडप का काम तेज़ी से चल रहा है।राममंदिर निर्माण में 3500 कारीगर और मजदूर जुटे हैं। यानी 7000 हाथ अयोध्या और मंदिर को आकार दे रहे हैं। ये राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, हैदराबाद राज्यों के लोग हैं। दो शिफ्ट में आठ-आठ घंटे मजदूरों की ड्यूटी लगाई जाती है। हैदराबाद के कारीगर रामसेवकपुरम में राममंदिर के दरवाजों का निर्माण कर रहे हैं।राममंदिर निर्माण में देश के कई नामी तकनीकी एजेंसियों की मदद ली गयी है। आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो वीएस राजू के अलावा आईआईटी सूरत और गुवाहाटी के निदेशकों के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की के विशेषज्ञों समेत एलएंडटी और टाटा कंसल्टिंग के इंजीनियर मंदिर निर्माण में लगे हैं। सीबीआरआई हैदराबाद व आईआईटी मुंबई की टीम का भी योगदान है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था इसरो राम के मस्तक पर सूर्य की पहली किरण से तिलक लगाने में मदद कर रही है।राममंदिर की खिड़कियां, चौखट, दरवाजे महाराष्ट्र के चंद्रपुर से लाई गयी सागौन की लकड़ी से बनाये गये हैं। राममंदिर में कुल 42 दरवाजे लगाये गये हैं। जो सब के सब चंद्रपुर के सागौन की लकड़ी के ही हैं। विशेषज्ञों की राय पर ही इस लकड़ी का चयन किया गया है। अब तक दिल्ली की सेंट्रल विस्टा परियोजना व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की इमारत, सतारा सैनिक स्कूल और डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स स्टेडियम सहित कई प्रमुख परियोजनाओं में महाराष्ट्र की सागौन की इसी लकड़ी का उपयोग किया गया है।