Ayodhya Ram Mandir Video: अयोध्या में राम लला विराज गये हैं। बीते पाँच साढ़े पाँच सौ सालों में राम लला को यहाँ तक लाने के लिए जिन लोगों ने भी जो भी प्रयास किये, उन सब का नमन। शत शत नमन। हालाँकि इसका एक बहुत बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन जन दे रहा है। ’अयोध्या मंदिर निर्माण को लेकर के तमाम ऐसी कोशिशें और तमाम ऐसे प्रयास किये गये हैं, ताकि यह मंदिर भी भगवान राम के नाम की तरह अमरत्व पा सके। इसके लिए हर तरह की चीजों का ख़्याल रखा गया। भूकंप का असर न हो। सरयू अगर धारा बदल दें तो उसका प्रभाव न हों। किसी भी प्राकृतिक आपदा से मंदिर को कोई नुक़सान न हों। मंदिर को बनाने में ट्रस्ट ने 1,800 करोड़ रुपये तकरीबन खर्च किये हैं। वह भी तब जब कि एलएंडटी, टाटा कंसल्टेंसी जैसी तमाम फ़र्मों ने अपना कोई हिस्सा लिया ही नहीं है। 2020 में सर्वोच्च अदालत ने यह निर्देश दिया था कि एक नया ट्रस्ट बना कर के मंदिर निर्माण शुरु किया जाये। इस नये ट्रस्ट की ही ज़िम्मेदारी इस मंदिर के पूजा अर्चना, रख रखाव और बाकी सब कामों की होगी। राम मंदिर के निर्माण के साथ ही एक विशेष टाइम कैप्सूल बनाया गया। जिसे मंदिर के दो हज़ार फ़ीट ज़मीन के नीचे दबा दिया गया है। इस कैप्सूल में मंदिर, भगवान राम और अयोध्या के बारे में प्रासंगिक जानकारी अंकित एक ताँबे की प्लेट शामिल है।जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए मंदिर की पहचान को संरक्षित करती है।अयोध्या के इस भव्य राम मंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत बी सोमपुरा हैं।सोमपुरा को भारत और दुनिया के दूसरे इलाक़ों में भी मंदिर बनाने की दक्षता प्रवीणता हासिल है। राम मंदिर के निर्माण में उनके साथ दोनों बेटे निखिल व आशीष सोमपुरा ने भी उनका पूरा सहयोग किया। राम मंदिर को और भव्य बनाने के लिए इसकी डिज़ाइन में कई बार रद्दोबदल किये गये। मंदिर की जो प्रारंभिक डिज़ाइन तैयार की गई थी। उसमें सिर्फ़ दो मंडप थे। लेकिन आज जब मंदिर आप के सामने है, तो उसमें पाँच मंडप हैं।चंद्रकांत बी सोमपुरा से पहली बार साल 1989 में विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल जी ने संपर्क किया था । राम मंदिर की डिज़ाइन तैयार करने की बात कही थी। दरअसल, अयोध्या का राम मंदिर पहला ऐसा मंदिर है जिसका पहले 3डी स्ट्रक्चरल एनालिसिस किया गया । राम मंदिर की स्थिरता को पुख्ता करने के लिए पूरी जांच की गई। इसका विश्लेषण CSIR के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया। इनका मानना है कि यह मंदिर किसी भी हालत में कम से कम 25,00 साल तक ऐसे ही सुरक्षित रह सकता है। रामलला का भव्य मंदिर पत्थर की ठोस नींव पर खड़ा है। इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि यह 30 सालों में इकट्ठा की गई अलग-अलग भाषाओं में भगवान राम का नाम लिखी हुई लगभग दो लाख ईंटों से बनकर तैयार हुआ है।रामलला का भव्य मंदिर 12 फ़ीट की जगत और एक ऊपरी चबूतरे पर खड़ा है। जिसमे पांच मंडप बनाए गए हैं। गर्भ गृह के ऊपर का शिखर सबसे ऊंचा है जिसकी लम्बाई 161 फ़ीट है। मंदिर में 300 स्तंभ और 44 द्वार बनाये गये हैं। जिसकी वजह से यह मंदिर इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर का सबसे नायब नमूना बन कर के उभरा है।मंदिर की खास खास यह है कि- 2.77 एकड़ के भूखंड पर यह निर्मित है। राम मंदिर का कुल निर्मित क्षेत्र 57,400 वर्ग फीट है।- 360 गुणे 235 फीट की संरचना 161 फीट ऊंची है। इसमें तीन मंजिल हैं। हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है।- राम मंदिर के भूतल पर 160 स्तंभ हैं। जबकि पहली मंजिल पर केवल 132 स्तंभ बनाये गये हैं।- मंदिर के पांचों मंडप का नाम- नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप रखे गये हैं, - जो 12 द्वारों से सुसज्जित हैं।- राम मंदिर और गर्भगृह का निर्माण पूरा हो गया है। वैसे इस परियोजना को 2025 तक पूरा होना है। मंदिर डिज़ाइन करने वाले आशीष सोमपुरा का कहना है कि यहाँ बाहरी तापमान के प्रभाव को कम करने के लिए इसकी नींव में सेल्फ-कॉम्पैक्ट कंकरीट का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा राम मंदिर ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि वह 6.5 तीव्रता का भी भूकंप सहन कर सके।राम लला की मूर्ति श्याम शिला से बनाई गई है, जिसकी उम्र हजारों साल हो सकती है। इस मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। चंदन, रोली लगाने से मूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कुल मिलाकर इस मूर्ति को किसी भी रंग या द्रव से कोई नुकसान पहुँचने की गुंजाइश नहीं है। मूर्ति का वजन लगभग 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊंचाई 4.24 फीट है, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। यह मूर्ति कृष्ण शैली में बनाई गई है। प्रतिमा कमल दल पर खड़ी मुद्रा में है, हाथ में बाण और धनुष है।रामलला की मूर्ति पर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा, और सूर्य भगवान की प्रतिष्ठा विराजमान हैं। मूर्ति की आभा देखते बनती है। रामलला की मूर्ति के चारों ओर बने विग्रह में भगवान राम के 10 अवतारों के दर्शन एक साथ होते है। इनमें हैं पहला मत्स, दूसरा कूर्म, तीसरा वराह, चौथा नरसिंह, पांचवां वामन, छठा परशुराम, सातवें राम, आठवें कृष्ण, नौवें बुद्ध, और 10वें स्थान पर कल्कि के दर्शन होते हैं। इसके साथ ही मूर्ति के नीचे की ओर एक तरफ हनुमान और दूसरी ओर गरुड़ हैं। इस प्रतिमा को देख कर के आप को भगवान राम में विष्णु की झलक ज़रूर मिलेगी।भगवान राम सूर्यवंशी थे, इसलिए इस मूर्ति में एक राजा के पुत्र की छवि भी दिखाई देगी। गर्भगृह में, रामलला कमल के फूल पर विराजमान है। मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की इस खड़ी मुद्रा वाली मूर्ति को बहुत ही सुंदर स्वरूप में ढाला है।एक्स, इन्स्टाग्राम, फेसबुक इत्यादि में करोड़ों लोगों ने कमेन्ट, फोटो, विडियो शेयर किये हैं। एक तरह से प्राण प्रतिष्ठा का दिन भारत में सोशल मीडिया पर भागवान श्री राम को पूरी तरह समर्पित रहा। एक्स पे तो टॉप तीस ट्रेंडिंग में से 25 ट्रेंडिंग जो थे, वे भगवान राम से जुड़े हुए ही थे। सोशल मीडिया प्रभावना राम से जुड़े पोल्ट्री बाढ़ सी थी। राम लला से जुड़े जो हैशटैग थे। वो थे रामललाविराजमान, राम मंदिर...