India Big Scam Video: तमाम तरह के घोटालों का ज़िक्र आप ने ज़रूर सुना होगा। चारा घोटाला, पशुपालन घोटाला, रेलवे घोटाला , रोज़गार घोटाला, नौकरी घोटाला, इसी तरह दवा घोटाला , क्रेडिट क्रियेशन घोटाला , बाइक बोट घोटाला ऐसे अनगिनत घोटाले देश में हुए हैं। आज हम आप को एक ऐसे घोटाले के बारे में बताना चाहते हैं, सुनकर आपके होश फ़ाख्ता हो जायेंगे। यह घोटाला है रुपयों का। यानी टकसाल में जितने रुपये छपे वे रुपये पूरे के पूरे रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के पास आ ही नहीं पाये।जन सूचना अधिकारी के तहत माँगी गई जानकारी इसका रहस्योद्घाटन करती है। और बताती है कि पाँच सौ के नोट जो भारत के तीन अलग अलग टकसालों में छपे वे रिज़र्व बैंक तक नहीं पहुँचे।और कितने नोट रिज़र्व बैंक तक पहुँचे ।कितने नही पहुँचे। नोटों के बीच भारी भरकम बेमेल का खुलासा भी यह आरटीआई करती है। रिपोर्ट के अनुसार, बेहिसाब नोटों का मूल्य 88,032.5 करोड़ रुपये है।तीन भारतीय टकसालों ने 500 रुपये के नए डिजाइन के 8,810.65 मिलियन नोट जारी किए। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक को केवल 7260 मिलियन मिले। शेष नोट कथित तौर पर गायब हैं।नोटों की छपाई सिर्फ चार जगह देश में होती है। देवास, नासिक, मैसूर और सालबोनी । इन चारों जगहों पर रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ही नोट छापता है। नासिक टकसाल ने नए डिज़ाइन किए गए 500 रुपये के नोट के 375.450 मिलियन नोट छापे, लेकिन आरबीआई के रिकॉर्ड बताते हैं कि अप्रैल 2015 और दिसंबर 2016 के बीच उसे केवल 345 मिलियन नोट मिले। एक अन्य आरटीआई जवाब में, करेंसी नोट प्रेस नासिक ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2015-2016 में 500 रुपये के 210.000 मिलियन पीस की आपूर्ति आरबीआई को की गई थी।भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड, बेंगलुरु ने आरबीआई को 500 रुपये के 5,195.65 मिलियन नोटों की आपूर्ति की। जबकि बैंक नोट प्रेस, देवास ने 2016-2017 में आरबीआई को 1,953.000 मिलियन नोटों की आपूर्ति की। लेकिन आरबीआई को केवल 7,260 नोट मिले। रिपोर्ट के मुताबिक,आरबीआई को तीन टकसालों में मुद्रित 8810.65 मिलियन नोट मिलने थे। लेकिन इसके एवज़ में7260 मिलियन नोट ही मिले। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय ने आरटीआई के जरिये इन नोटों की जानकारी हासिल की है। मनोरंजन ने 1760.65 मिलियन मिसिंग नोट को लेकर के रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि इतनी बड़ी संख्या में नोटों का गायब होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। मनोरंजन राय ने केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो और ईडी को भी चिट्टी लिखकर भी इसकी जांच की मांग की है।हैरत अंगेज़ तथ्य यह है कि रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में भी मीसिंग नोट के बारे में कई इत्तिला नहीं दी गई है। इतनी सुरक्षा के बीच से नोटों का गायब होना रिज़र्व बैंक की नीयति और कामकाज पर भी सवाल खड़े कर रहा है। देखना है कि क्या रिज़र्व बैंक इसकी कोई जाँच करा कर के इसके पीछे के गिरोह का पर्दाफ़ाश करता है, या खामोशी ओढ़ कर के इतनी नोटों को बाज़ार में बेहिसाब चलने देता है।