Nagaland Famous Khonoma Village: अगर आप ने जम्मू कश्मीर और नार्थ ईस्ट दोनों देखा होगा तो आप बिल्कुल तय ढंग से यह कह सकेंगे कि काश जम्मू कश्मीर की सुंदरता को बरकरार रखने के लिए जितने पैसे खर्च किये गये, अगर वे पैसे नार्थ ईस्ट में खर्च किये गये होते, तो आज पर्यटकों का रुझान नार्थ ईस्ट की तरफ़ एकदम अलग होता। पूरा का पूरा पूर्वोत्तर जो आज हमसे अलग थलग सा दिखता है। वह हमारे साथ होता। अलग थलग जैसी चीजें नहीं होतीं।आपने अपनी जिंदगी में बहुत से गांव देखे हों, लेकिन अगर आप ने नागालैंड का खोनोमा गांव नहीं देखा तो आप यह समझिये की आप ने भारत नहीं देखा, भारत के गाँव नहीं देखे। भारत के गाँव की तरक़्क़ी नहीं देखी। यह गाँव एशिया का पहला हरित गाँव है। भारत के टॉप पचास टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक यह गाँव भी है।टूरिज्म चैलेंज मोड प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में खोनोमा का चयन पर्यटन क्षेत्र में इसकी अपार संभावनाओं को उजागर करता है।खोनोमा गाँव नागालैंड के सबसे बड़े वर्षा वन क्षेत्रों से घिरा हुआ है । यह इसे जबर्दस्त खूबसूरती प्रदान करता है। आसपास हरे भरे धान के खेत हैं ।खोनोमा अंगामी जनजाति का घर है। जहां यह जनजाति बीते 500 से रह रही हैं। प्रकृति संरक्षण और प्राकृतिक जीवन की प्रथाओं को संरक्षित करने के प्रयासों के लिए इस गांव को 2005 में ग्रीन विलेज की मान्यता मिली।खोनोमा गांव की वास्तुकला काफी हद तक आज भी वैसी ही संरक्षित है। नागालैंड में "मोरंग" एक आम विशेषता है। मोरंग एक विशेष क़िस्म का भवन होता है। परंपरागत रूप से इसका इस्तेमाल युवाओं के शैक्षणिक केंद्र के रूप में किया जाता है। यहां युवाओं को अपनी संस्कृति, रीति-रिवाजों के बारे में सीखाया जाता था।युद्ध, मार्शल आर्ट और क्राफ्ट में प्रशिक्षण दिया जाता था। मोरंग, लोककथाओं की परंपराओं जैसे कि गाने और देशी खेलों से भी जुड़े हुए थे। हालाँकि आज, इनका उपयोग विभिन्न हस्तशिल्प, कला और हथियारों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। इस गांव में आज भी एक मोरंग है।