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How to Grow Wood in a Lab: लैब में बनाई गई असली जैसी लकड़ी, देखें Y-Factor Yogesh Mishra के साथ

How to Grow Wood in a Lab: दुनिया के नामचीन संस्थान एमआईटी के शोधकर्ताओं की एक टीम का दावा है कि उन्होंने प्रयोगशाला में लकड़ी विकसित करने में सफलता पाई है।

Admin 2
Published on: 28 July 2022 12:26 PM GMT
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MIT Lab-Grown Wood: उत्तर प्रदेश में हम पिछले तीन चार सरकारों को देख रहे हैं, जिनका दावा है कि वो पाँच से दस से दस करोड़ अलग अलग कार्यकाल में हर साल पेड़ लगाते हैं। इन दिनों योगी आदित्य नाथ जी पेड़ लगा रहे हैं। इससे पहले अखिलेश यादव ने पाँच से दस करोड़ के बीच अलग अलग समय पर पेड़ लगाया। मायावती ने भी पांच करोड़ से अधिक पेड़ अलग अलग समय पर लगाये। मेरी समझ में नहीं आता है कि इसके बाद भी उत्तर प्रदेश में वनाच्छादित क्षेत्र का विस्तार नहीं हुआ। मतलब साफ़ है कि जितना पेड़ हम लगा रहे हैं, उससे ज़्यादा पेड़ हम काट रहे हैं। वैसे भी जंगल बचाओ जितने सम्मेलन आप देखेंगे वह सब आलीशान रेस्टोरेन्ट में होते है, और ((वहाँ पर )) उस रेस्टोरेन्ट में जो कुर्सियाँ रखी होती हैं, वह लकड़ी की होती हैं।

2021 में लकड़ी का कारोबार 631 अरब डॉलर का दुनिया भर में था। आप सोच सकते हैं कि पेड़ लगाने के दावे लकड़ी काटने के दावे की तुलना में कहाँ ठहरते हैं। इन सारे दावों प्रतिदावों के बीच अगर हम कैलकुलेशन करें तो 2026में लकड़ी का कारोबार दुनिया भर में 900 अरब डॉलर का हो जाएगा। पेड़ लगाने के दावे करने वाले लोगों की चिंताएँ उतनी वाजिब नहीं हैं, जायज़ नहीं हैं। लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं, जो पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं, हमारे वैज्ञानिक हैं, सामाजिक कार्यकर्ता हैं, उनकी कोशिशें, उनकी चिंताएँ बहुत जायज़ हैं। और इन्हीं का नतीजा है कि प्रयोगशाला में हमारे वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से ओरिजनल लकड़ी बना दी है। अब इससे पेड़ों की कटाई का काम रूकने की उम्मीद की जा सकती है।

दुनिया के नामचीन संस्थान एमआईटी के शोधकर्ताओं की एक टीम का दावा है कि उन्होंने प्रयोगशाला में लकड़ी विकसित करने में सफलता पाई है। यह लकड़ी असली लकड़ी से बने उत्पादों की जगह ले सकती है। उन्होंने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके उपयोग से किसी भी आकार में लकड़ी का उत्पादन किया जा सकता है। सो अगर आपको एक नई लकड़ी की कुर्सी चाहिए तो शोधकर्ता की तकनीक का उपयोग करके, पेड़ को काटे बिना प्रयोगशाला में इसे बना सकते हैं।

एमआईटी के शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग किया जिसने सामान्य पौधों की कोशिकाओं को स्टेम सेल जैसे गुण दिए। उन्होंने कॉमन ज़िननिया (ज़िननिया एलिगेंस) नामक एक फूल वाले पौधे की पत्तियों से कोशिकाओं को निकाला और फिर उसे कुछ दिनों के लिए एक तरल माध्यम में जमा किया। अगले चरण में, शोधकर्ताओं ने पोषक तत्वों और हार्मोन से समृद्ध …जेल-आधारित माध्यम के साथ पौधों की कोशिकाओं का इलाज किया।

कुछ समय बाद, कोशिकाओं ने नई पादप कोशिकाओं को जन्म दे दिया। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जेल….. माध्यम में हार्मोनल कंसंट्रेशन को बदलकर, वे नई विकसित कोशिकाओं के भौतिक और यांत्रिक गुणों को नियंत्रित कर सकते हैं। प्रयोग के दौरान, उच्च हार्मोन कंसंट्रेशन वाले पौधे की सामग्री कठोर हो गई।प्रमुख शोधकर्ता एशले बेकविथ ने बताया कि मानव शरीर में हार्मोन यह निर्धारित करते हैं कि कोशिकाएं कैसे विकसित होंगी , क्या आकार लेंगी ? उसके (( कुछ)) लक्षण कैसे उभरते हैं। लेकिन पौधे की कोशिकाएं अलग तरह से काम करती हैं। इस अलग तरह से काम करने के नाते ही अलग अलग तरह की लकड़ी बनाने में सफलता हमारे वैज्ञानिकों को हासिल हुई है। छोटी रासायनिक मात्राओं में हेरफेर करके पौधों के भौतिक परिणामों के संदर्भ में काफी नाटकीय परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता हैं। "

बेकविथ और उनकी टीम 3 डी बायोप्रिंटिंग का उपयोग करके जेल …. में पनपी कोशिकाओं में से कस्टम डिज़ाइन की गई संरचनाओं को 3डी प्रिंट करने में भी सफल हो गई। तीन महीनों के लिए लैब में बनी सामग्री को उकेरा गया और इसके नतीजे आश्चर्य जनक रहे। प्रयोगशाला की लकड़ी न केवल जीवित रही, बल्कि एक सामान्य पेड़ की तुलना में दोगुनी गति से बढ़ी।

एक अनुमान से पता चलता है कि वर्तमान फर्नीचर बनाने की प्रक्रिया से कुल लकड़ी का लगभग 30 फीसदी अपशिष्ट के रूप में नष्ट हो जाता है। दिलचस्प बात यह है कि एमआईटी के शोधकर्ताओं द्वारा सुझाई गई 3डी बायोप्रिंटिंग तकनीक से कोई अपशिष्ट उत्पन्न नहीं होगा और इसका उपयोग किसी भी आकार और आकार की पौधों की सामग्री के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। बेकविथ ने कहा कि इन पौधों की सामग्रियों को ठीक उसी आकार में विकसित किया जा सकता हैं, जिस आकार की आपको ज़रूरत हो, जिससे ऊर्जा और अपशिष्ट की मात्रा कम हो जाती है।

फिलहाल, वैज्ञानिक यह दिखाने में सक्षम हैं कि पौधों की सामग्री को एक प्रयोगशाला में उगाया जा सकता है । इसके यांत्रिक गुणों में हेरफेर किया जा सकता है, लेकिन अध्ययन अभी भी प्रारंभिक चरण में है। इससे पहले कि तकनीक को और विकसित किया जाये और प्रयोगशाला में व्यावसायिक स्तर पर 3डी फर्नीचर के उत्पादन के लिए नियोजित किया जा सके, और अधिक शोध और प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है।

वरिष्ठ लेखक और वैज्ञानिक लुइस फर्नांडो वेलास्केज़-गार्सिया का दावा है कि यह शोध दर्शाता है कि प्रयोगशाला में उगाए जाने वाले पौधों की सामग्री को विशिष्ट विशेषताओं के लिए ट्यून किया जा सकता है, जो किसी दिन शोधकर्ताओं को लकड़ी के उत्पादों को किसी विशेष प्रयोग के लिए आवश्यक सटीक सुविधाओं के साथ विकसित करने में सक्षम बनाता है।

इंसान दुनिया भर में हर साल 15 अरब पेड़ काटता है। इन पेड़ों के काटने से हमारे सामने जलवायु परिवर्तन की समस्या उत्पन्न होती है। हमारे सामने और भी ऐसी समस्याएँ उत्पन्न होती है, जिनका सामना हमें करना पड़ता है। यह जो प्रयोग प्रारंभिक चरण में सफल हुआ है, वह स्थाई तौर पर सफल हो जाता है तो निश्चित तौर पर हम पंद्रह अरब पेड़ बचाने में कामयाब हो जायेंगे। और इसी के साथ जलवायु परिवर्तन का संकट जो हम झेल रहे हैं, उससे भी मुक्ति पा सकेंगे।

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