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Malaysia Airlines: इस्तेमाल हो चुके कुकिंग आयल से होगी मलेशिया एयरलाइन्स की उड़ान

Malaysia Airlines: मलेशिया एयरलाइंस ने घोषणा की है कि वह विश्व पर्यावरण दिवस के साथ SAF का उपयोग करके अपनी पहली यात्री उड़ान सेवा का संचालन करेगी।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 31 May 2022 11:10 PM IST
Malaysia Airlines
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Malaysia Airlines (फोटो साभार- ट्विटर)

Malaysia Airlines: एक बार इस्तेमाल हो चुके कुकिंग आयल (Cooking Oil) और अपशिष्ट तेल (Waste Oil) का बेहतरीन प्रयोग मलेशिया एयरलाइंस (Malaysia Airlines) अपनी रेगुलर फ्लाइट में करने वाला है। मलेशिया एयरलाइंस ने घोषणा की है कि वह विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के साथ सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) का उपयोग करके अपनी पहली यात्री उड़ान सेवा का संचालन करेगी। टिकाऊ ईंधन के साथ उनकी पहली वाणिज्यिक उड़ान कुआलालंपुर (Kuala Lumpur) और सिंगापुर (Singapore) के बीच बोइंग 737-800 से रिटर्न फ्लाइट होगी। वापसी की उड़ान होगी, जो रविवार, 5 जून के लिए निर्धारित है।

मलेशिया एयरलाइंस के अनुसार, वह 2025 तक सभी नियमित उड़ानों के लिए एक अधिक व्यवहार्य ईंधन स्रोत प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति लाना चाहता है। मलेशिया एयरलाइंस (Malaysia Airlines) ने 5 जून की सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (Sustainable Aviation Fuel) वाली उड़ान के लिए मेहमानों को आमंत्रित किया है। कुआलालंपुर से सिंगापुर और सिंगापुर से कुआलालंपुर की इन उड़ान के लिए यात्री टिकट बुकिंग के लिए प्रोमो कोड एसएएफ 2022 दर्ज करके 15 फीसदी की छूट ले सकते हैं।

पिछले साल दिसंबर में मलेशिया एयरलाइंस ने एम्सटर्डम से कुआलालंपुर के लिए एयरबस ए330-200 पर एसएएफ वाली अपनी पहली उड़ान संचालित की थी। इस उड़ान में एविएशन फ्यूल (Aviation Fuel) के साथ एसएएफ का 38 फीसदी मिश्रण इस्तेमाल किया गया। इस उड़ान में 77 टन ईंधन भरा गया था। एसएएफ में 100 फीसदी रिन्यूएबल अपशिष्ट और खाना पकाने का तेल और पशु वसा अपशिष्ट शामिल हैं। यह ईंधन दुनिया में रिन्यूएबल डीजल और एसएएफ के अग्रणी उत्पादक "नेस्टे" से प्राप्त होता है।

एसएएफ अत्यधिक ठंड में भी करता है अच्छा प्रदर्शन

नेस्टे का एसएएफ अपने साफ-सुथरे रूप में जीवाश्म जेट ईंधन के उपयोग की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 80 फीसदी तक कम करने में सक्षम है। एसएएफ को सल्फर, ऑक्सीजन और एरोमेटिक्स से मुक्त भी कहा जाता है। ये अत्यधिक ठंड में भी अच्छा प्रदर्शन करता है। इसमें माइनस 47 डिग्री सेल्सियस या उससे कम का फ़्रीज़ पॉइंट है। एसएएफ को मौजूदा जेट इंजनों और बुनियादी ढांचे के साथ पूरी तरह से संगत कहा जाता है, जिसमें कोई अतिरिक्त निवेश या संशोधन की आवश्यकता नहीं होती है।

एयरबस ने ए 380 जंबो जेट की अपनी ऐसी पहली परीक्षण उड़ान पूरी की है जिसमें एक इंजन पूरी तरह से एसएएफ द्वारा संचालित है। ये ईंधन इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल और अन्य अपशिष्ट वसा का मिश्रण था, जिसे सल्फर और अन्य दूषित पदार्थों को निकालने के लिए शुद्ध किया गया था।

2008 में की गई थी जैव जेट ईंधन के साथ पहली परीक्षण उड़ान

विमानन उद्योग पहले ही इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन से चलने वाले विमानों में बड़ा निवेश कर चुका है। उद्योग का लक्ष्य 2050 तक वैकल्पिक जेट इंजन और टिकाऊ ईंधन पर स्विच करना है ताकि कार्बन उत्सर्जन को शून्य किया जा सके। जैव जेट ईंधन के साथ पहली परीक्षण उड़ान 2008 में की गई थी और 2019 के अंत तक 200,000 से ज्यादा वाणिज्यिक उड़ानों ने एसएएफ का इस्तेमाल किया जो मुख्य रूप से मिट्टी के तेल के साथ मिश्रित था।

एयरबस ने अब केरोसिन और एसएएफ के मिश्रण का उपयोग करके दुनिया के सबसे बड़े यात्री विमान को तीन घंटे तक उड़ाकर दिखाया है। परीक्षण के दौरान बाहरी इंजनों में से एक पूरी तरह से स्थायी विमानन ईंधन द्वारा संचालित था। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही अधिक से अधिक उड़ानें वैकल्पिक फ्यूल से संचालित की जाएंगी।

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Shreya

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