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अब क्या होगा पकिस्तान का.... अचानक Microsoft ने समेटा अपना कारोबार! पीछे है ये बड़ा कारण
Microsoft Exit From Pakistan: जहां एक ओर पकिस्तान आर्थिक तंगी से परेशान है, दुनिया से भीग मांगते फिरता है तो वहीं अब एक और नया मामला सामने आया है जो पकिस्तान के आर्थिक स्थिति को झकझोर देने वाला है।
Microsoft Exit From Pakistan (photo credit: social media)
Microsoft Exit From Pakistan: जहां एक ओर पकिस्तान आर्थिक तंगी से परेशान है, दुनिया से भीग मांगते फिरता है तो वहीं अब एक और नया मामला सामने आया है जो पकिस्तान के आर्थिक स्थिति को झकझोर देने वाला है। साल 2000 में शुरू किये IT दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अब अधिकारिक तौर पर पाकिस्तान से अपना कामकाज बटोर लिया है। वहां की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि जिस कंपनी ने मार्च 2000 में कारोबार Wशुरू किया और देशभर में कम्प्युटर से लेकर टेक्नोजॉली तक विस्तार किया, उसने अब 25 साल बाद अपने परिचालन को पूरी तरह से समेत लिया है।
हालांकि अभी टेक दिग्गज फर्म की तरफ से इसपर कोई भी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इसकी पुष्टि जवाद रहमान ने की है। वह पाकिस्तान में इस कंपनी के कार्यकारी अधिकारी हैं, जिन्होंने पहली बार देश में Microsoft की उपस्थिति स्थापित की थी।
रहमान ने लिंक्डइन पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'आज मुझे पता चला कि Microsoft आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान में अपना परिचालन बंद कर रहा है। बचे हुए कुछ कर्मचारियों को औपचारिक रूप से इसकी जानकारी दे दी गयी है और बस इसी तरह एक युग का अंत हो गया।' उन्होंने उस युग के अंत का संकेत दिया जिसमें कंपनी ने पाकिस्तान के डिजिटल दिशा में एक बड़ा योगदान रहा था।
पाकिस्तान से कंपनी ने क्यों समाप्त किया कारोबार?
कारोबार बंद करने को लेकर फिलहाल Microsoft ने कोई खुलासा नहीं किया है, लेकिन इस निर्णय को व्यापक रूप से पाकिस्तान के बिगड़ते राजनीतिक और आर्थिक स्थिति के लिए बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा है। यानी कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत के कारण कंपनी ने अपना कारोबार हटाने का फैसला किया है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लगातार शासन में बदलाव, भारी टैक्स, करेंसी में उतार-चढ़ाव और टेक्नोलॉजी इम्पोर्ट में बढ़ती चुनौतियां विदेशी कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आयी हैं।
पाकिस्तान के भविष्य पर बड़ा संकट
वित्त वर्ष 2024 के अंत तक, पाकिस्तान का व्यापार घाटा तकरीबन 24.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गया था, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार जून 2025 तक कम होकर मात्र 11.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया। इतनी कम विदेशी मुद्रा के साथ पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई है और किसी भी तरह के टेक्नोलॉजी का आयात करना एक बड़ा आर्थिक खतरे का कारण बन सकता है। माइक्रोसॉफ्ट के इस कदम से देश में निवेश का डर भी पैदा हो गया है। अब कोई भी कंपनी पकिस्तान में अपने कारोबार ज़माने से पहले कई बार विचार करेगी, जिससे पाकिस्तान के भविष्य पर संकट और अधिक बढ़ गया है।
क्या होगा पाकिस्तान का भविष्य ?
Microsoft के इस कदम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने माइक्रोसॉफ्ट के अपने कारोबार समेटने को देश के आर्थिक भविष्य के लिए 'चिंताजनक संकेत' बताया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में अल्वी ने पाकिस्तान में तेजी बढ़ती बेरोजगारी, प्रतिभा पलायन पर दुख जताया। अल्वी ने कहा, "पाकिस्तान अब अनिश्चितता के खेरे में आ गया है। आर्थिक सुधार एक दूरगामी और मायावी सपने जैसा लगता है।
पाकिस्तान में डिजिटल को माइक्रोसॉफ्ट ने दिया बढ़ावा
पिछले दो दशकों में, माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान के टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर को एक शेप देने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसने शैक्षणिक संस्थानों के साथ हिस्सेदारी की, वंचित क्षेत्रों में कंप्यूटर लैब शुरू की और देशभर में डिजिटल साक्षरता और कारोबार को सपोर्ट किया है। कंपनी के व्यापक सामाजिक असर पर सोच-विचार करते हुए जवाद रहमान ने कहा, 'हमने पाकिस्तानी युवाओं को वास्तविक मौक़ा देने की कोशिश की थी।'
बता दे, माइक्रोसॉफ्ट के अपने कारोबार समेटने के साथ ही, पाकिस्तान की मौजूदा अनिश्चितता के बीच बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियों को बनाए रखने और आकर्षित करने की क्षमता पर चिंताएं गहराती जा गई हैं। कंपनी का बाहर जाना ये स्पष्ट रूप से संकेत देता है कि पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण आर्थिक हालत आने वाले समय में और बद से बद्तर हो जाएगी।
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