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Most Expensive Party of The History: एक ईरानी राजा की कहानी, जिसने दुनिया की सबसे महंगी और मनहूस पार्टी की दावत दी, जिसका अंजाम बहुत ही भयानक था
Most Expensive Party of The History: शाही पार्टी की कुल लागत 635 मिलियन डॉलर (आज के समय में हजारों करोड़ रुपये) थी और यह उत्सव तीन दिनों तक चला। इसमें दुनिया भर के सम्राटों, राजाओं, रानियों, राजकुमारों, शेखों, सुल्तानों और हॉलीवुड सितारों को आमंत्रित किया गया था।
Most Expensive Party of The History: कल्पना कीजिए दुनिया की सबसे महंगी पार्टी की – नहीं, ये मुकेश अंबानी द्वारा आयोजित नहीं थी, भले ही उन्होंने अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी में राधिका मर्चेंट के साथ लगभग 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए। लेकिन जिस भव्य पार्टी की हम बात कर रहे हैं, वो इससे कहीं पहले हुई थी, और इसे आयोजित करने वाला कोई और नहीं बल्कि ईरान का एक शासक था।इसकी कुल लागत 635 मिलियन डॉलर (आज के समय में हजारों करोड़ रुपये) थी और यह उत्सव तीन दिनों तक चला। इसमें दुनिया भर के सम्राटों, राजाओं, रानियों, राजकुमारों, शेखों, सुल्तानों और हॉलीवुड सितारों को आमंत्रित किया गया था।
इस ईरानी शासक ने एक बार इतनी भव्य पार्टी आयोजित की कि दुनिया चौंक गई। इस पार्टी में 18 टन खाना, 25,000 शराब की बोतलें, और 100 हवाई जहाज़ों के ज़रिए मेहमानों को दुनियाभर से बुलाया गया था।
ईरान पहले जैसा नहीं था
लगभग 50 साल पहले, ईरान आज जैसा नहीं था। महिलाएँ पश्चिमी कपड़ों में खुलकर चलती थीं, वातावरण आधुनिक और खुला था। लेकिन 1979 की इस्लामी क्रांति ने सब कुछ बदल दिया। इस क्रांति ने पहलेवी राजवंश का अंत किया और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान की शुरुआत की। यह एक ऐसा मोड़ था जिसने देश की संस्कृति, कानूनों और विशेष रूप से महिलाओं के जीवन को पूरी तरह बदल दिया – कई स्वतंत्रताएँ उनसे छीन ली गईं।
1971: ईरान की भव्य पार्टी
1971 में, शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी ने फारसी साम्राज्य की 2,500वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक विशाल उत्सव आयोजित किया। यह उत्सव पर्सेपोलिस में हुआ – एक रेगिस्तान के बीच स्थित प्राचीन स्थल, जहाँ फारस के महान सम्राट सायरस महान का मकबरा है।
इस पार्टी में 65 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया और इसकी अनुमानित लागत 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर (₹843 करोड़) बताई जाती है, जो उस समय के हिसाब से एक बहुत बड़ी रकम थी।
इस भव्य समारोह का आयोजन एक प्राचीन और धूल-भरी वीरान जगह पर किया गया था, जहाँ कोई आधुनिक बुनियादी ढांचा नहीं था। इस क्षेत्र को एक अस्थायी लग्ज़री शहर में तब्दील किया गया — वहाँ भव्य तंबू लगाए गए, जिन्हें विदेशों से लाकर लगाए गए पेड़ों और हरियाली से सजाया गया। इस पार्टी को दुनिया के सबसे महंगे रेस्तरां ने कैटर किया, और शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी की गुप्त पुलिस और सेना के जवानों ने सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली।
यह आयोजन भले ही योजना अनुसार पूर्णता से सम्पन्न हुआ हो, लेकिन इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। इस भव्य आयोजन में आम जनता को शामिल न करना उस समय के असंतोष को और भड़काने का काम बना, जो पहले से ही एक अलग-थलग पड़े शाही तंत्र के कारण गहराता जा रहा था। धार्मिक मौलवियों ने शाह की कड़ी आलोचना की और उन्हें फिजूलखर्ची का प्रतीक बताया। शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी, जिन्होंने लगभग 40 वर्षों तक शासन किया था, इन आलोचनाओं और जनता के आक्रोश को नहीं रोक पाए।यह असंतोष धीरे-धीरे एक बड़े सामाजिक विद्रोह में बदल गया, जिसे इस्लामी कट्टरपंथियों ने वर्ग विभाजन और धार्मिक भावनाओं को भड़काकर अपने पक्ष में किया। अंततः 1979 में इस्लामी क्रांति हुई और शाह को सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ा। वह निर्वासन में ही मरे।
एक साल लंबी तैयारी: रेगिस्तान में बसा अस्थायी शहर
1971 में फारसी साम्राज्य की 2,500वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित इस पार्टी की तैयारी में पूरा एक साल लगा। चूंकि राजधानी तेहरान में पर्याप्त होटल नहीं थे, इसलिए रेगिस्तान के बीचों-बीच एक अस्थायी शहर बसाया गया। यहाँ शाही महलों जैसे तंबू खड़े किए गए और सड़कें बनाई गईं, जिससे यह पूरा इलाका किसी आधुनिक शाही राजधानी की तरह दिखने लगा।
भोजन और सजावट: फ्रांस से खाना, हज़ारों पक्षी
इस आयोजन को भव्यता की चरम सीमा तक पहुँचाने के लिए फ्रांस से भोजन मंगाया गया। इस रेगिस्तानी इलाके को हरा-भरा दिखाने के लिए 50,000 पक्षियों को लाया गया, लेकिन तीव्र गर्मी के कारण इनमें से अधिकांश पक्षी मर गए। कुल मिलाकर, पार्टी की तैयारी और आपूर्ति के लिए 40 ट्रक और 100 विमानों का उपयोग किया गया।
भव्य मेनू और सेवा व्यवस्था
पार्टी के दौरान मेहमानों के लिए 18 टन भोजन, 180 वेटर और 25,000 शराब की बोतलों की व्यवस्था की गई। यह दुनिया के सबसे महंगे और विशिष्ट आयोजनों में से एक बन गया, जिसमें दुनिया भर से राजा-रानियाँ, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल हुए।
भव्यता बनाम गरीबी
जब ये भव्य पार्टी चल रही थी, उसी समय ईरान के कई इलाकों में लोगों के पास साफ पीने का पानी भी नहीं था।
इस तरह की अंधाधुंध संपन्नता, जबकि आम लोग बुनियादी ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहे थे – लोगों में गुस्से की लहर ले आई।
बहुत से लोगों ने इसे इस बात के प्रमाण के रूप में देखा कि शाह ज़मीनी हकीकत से बिल्कुल कट चुके हैं।यही गुस्सा धीरे-धीरे विरोध और क्रांति में बदल गया, जो अंततः शाह के पतन और 1979 की इस्लामी क्रांति का कारण बना।
शाह की सोच और विरोध
1941 में शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी ने ईरान की सत्ता संभाली।वह बहुत धनी थे और देश को एक आधुनिक राष्ट्र में बदलना चाहते थे।उन्होंने पश्चिमी जीवनशैली अपनाई, हिजाब जैसे पारंपरिक नियमों के ख़िलाफ़ बोले। लेकिन धार्मिक नेता और कट्टरपंथी उनके विरोध में हो गए।जो भी उनसे असहमत होता, उसे कैद या चुप करा दिया जाता।
नतीजा: पार्टी खत्म, सत्ता भी खत्म
पार्टी खत्म हुई, लेकिन उसका असर सालों तक रहा।इस बेइंतिहा खर्च और जनता की उपेक्षा ने धीरे-धीरे लोगों के भीतर असंतोष भरा।यही असंतोष 1979 की इस्लामी क्रांति में फूटा और शाह को देश छोड़कर भागना पड़ा।
भव्यता की भारी कीमत
“पर्सेपोलिस पार्टी” सिर्फ एक जश्न नहीं था – यह इतिहास का वो मोड़ था जिसने एक सम्राट को गद्दी से उतारा और एक संपूर्ण राष्ट्र की दिशा बदल दी।आज भी यह पार्टी दुनिया की सबसे महंगी और मनहूस पार्टी के रूप में जानी जाती है।
जनता के दुख-दर्द से अनजान शाही विलासिता
जहाँ एक ओर शाही मेहमान इस आयोजन में लजीज़ भोजन और शानदार आतिथ्य का आनंद ले रहे थे, वहीं दूसरी ओर ईरान की आम जनता पीने के साफ पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रही थी। लोगों को महसूस हुआ कि शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी को उनकी परेशानियों और जरूरतों से कोई सरोकार नहीं है।
असंतोष की चिंगारी और क्रांति की शुरुआत
इस आयोजन की भारी लागत और आम जनता से दूरी ने सामाजिक असंतोष को और भड़का दिया। जनता में यह भावना गहराने लगी कि उनका शासक उनसे पूरी तरह कटा हुआ है। यह असंतोष धीरे-धीरे एक आंदोलन में बदला, जिसने 1979 की इस्लामी क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया और अंततः शाह को सत्ता छोड़नी पड़ी।
दुनिया का सबसे बड़ा जश्न, लेकिन भारी कीमत
यह पार्टी इतनी महंगी और भव्य थी कि इसे "दुनिया का सबसे बड़ा जश्न" कहा गया। लेकिन यही आयोजन शाह के पतन और देश के इतिहास को बदलने वाली क्रांति का कारण भी बन गया। यह उदाहरण बन गया कि कैसे शाही दिखावा आम जनता के घावों पर नमक छिड़कने का काम कर सकता है।
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