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नेतन्याहू देंगे इस्तीफा! इस्राइल में सरकार के टुकड़े-टुकड़े होने की नौबत, इस कानून ने हिला दी पूरी सरकार
Israel Government Crisis: आज इस विवाद ने इस्राइल की राजनीति को एक बार फिर उलझन में डाल दिया है।
Israel Government Crisis (photo credit: social media)
Israel Government Crisis: इस्राइल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार एक संगीन राजनीतिक खतरे से जूझ रही है। इसका कारण बना है अति-रूढ़िवादी यहूदी समुदाय को सैन्य सेवा में शामिल करने वाला नया कानून, जिसपर उनके सहयोगी दल नाराज हो गए हैं। हमास के साथ चल रहे युद्ध के बीच यह विवाद नेतन्याहू की सत्ता के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है।
इस्राइल की संसद में बुधवार को भंग होने के लिए मतदान हुआ। हालांकि यह साफ़ नहीं है कि गठबंधन के किन दलों का समर्थन सरकार को अब भी हासिल है। विपक्ष का दावा है कि यदि अति-रूढ़िवादी साझेदार सरकार से अलग हो जाते हैं तो संसद स्वतः भंग हो सकती है।
क्या है विवादित कानून?
इस्राइल में यहूदी पुरुषों को लगभग 3 साल और महिलाओं को 2 साल की अनिवार्य सैन्य सेवा में शामिल होना पड़ता है। जबकि अति-रूढ़िवादी समुदाय को इससे इससे स्वतंत्र थे। वे धार्मिक अध्ययन में व्यस्त रहते हैं और सरकार से आर्थिक मदद प्राप्त करते हैं। अब सरकार ने इस समुदाय को भी सेना में सेवा के लिए बाध्य करने वाला कानून पेश कर दिया है। इस्राइल की सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस छूट को गैरकानूनी बता चुकी है।
क्यों जरूरत पड़ी इस कदम की?
7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद इस्राइल में सैन्य बलों की भारी मात्रा में कमी हो गयी है। करीब 3.6 लाख रिजर्व सैनिकों को सक्रिय किया गया है, जिनमें से कई महीनों से निरतर ड्यूटी पर हैं। नई भर्तियों की दर कम हो रही है, जिस वजह से सेना अब सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को सैन्य सेवा के लिए प्रेरित कर रही है।
गठबंधन के सहयोगियों की नाराजगी
नेतन्याहू की सरकार में शामिल हुईं दो मुख्य अति-रूढ़िवादी पार्टियां एक शास और दूसरी डेगेल हाटोरा जो कि इस कानून के सख्त खिलाफ हैं। शास पार्टी के प्रवक्ता ने कहा है कि वे संसद विघटन के पक्ष में वोट डाल सकते हैं अगर बातचीत में सहमति नहीं बनती। वहीं डेगेल हाटोरा पहले ही सरकार छोड़ने की चेतावनी दे चुकी है।
क्या नेतन्याहू बचा पाएंगे सरकार?
धर्म और राजनीति मामलों को लेकर विशेषज्ञों का स्पष्ट रूप से मानना है कि नेतन्याहू कुछ समझौते करके अपनी सरकार बचाने का प्रयास अवश्य करेंगे। हालांकि, संसद भंग होने की स्थिति में भी तत्काल चुनाव नहीं होंगे क्योंकि नौकरशाही प्रक्रियाओं के कारण इसे टालना संभव है। अगले आम चुनाव 2026 में होने हैं।
गाजा युद्ध और बंधक संकट पर असर
नेतन्याहू ने तर्क दिया है कि यह कानून युद्ध की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। लेकिन अति-रूढ़िवादी दल चाहते हैं कि युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो ताकि उन पर सैन्य सेवा का दबाव कम हो जाए।
बता दे, आज इस विवाद ने इस्राइल की राजनीति को एक बार फिर उलझन में डाल दिया है। अब देखना होगा कि क्या नेतन्याहू इस संकट से उबर पाते हैं या फिर देश को असमय चुनाव का सामना करना पड़ेगा।
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