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Pakistan China Relation: गद्दार पाकिस्तान चीन से कौन से हथियार खरीद रहा, ये रिपोर्ट आपके होश उड़ा देगी

Pakistan China Se Kya Kya Khareedta Hai: इस उछाल की एक बड़ी वजह पाकिस्तान का वह दावा था जिसमें उसने कहा कि भारत के रफ़ाल को मार गिराने के लिए जे-10सी का इस्तेमाल किया गया था।

Akshita Pidiha
Published on: 17 May 2025 3:21 PM IST
Pakistan China Relation Special Report
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Pakistan China Relation Special Report 

Pakistan China Relation Report: भारत और पाकिस्तान के बीच जब तनाव चरम पर था, तब चीन के शेयर बाज़ार में डिफेंस कंपनियों के शेयर तेजी से बढ़ने लगे। ख़ास तौर पर उन कंपनियों में तेज़ी आई जो पाकिस्तान को हथियार और लड़ाकू विमान सप्लाई करती हैं। उदाहरण के तौर पर, जे-10सी फाइटर जेट बनाने वाली एविक चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के शेयरों में 7 मई को नौ महीनों की सबसे बड़ी उछाल देखी गई।

इस उछाल की एक बड़ी वजह पाकिस्तान का वह दावा था जिसमें उसने कहा कि भारत के रफ़ाल को मार गिराने के लिए जे-10सी का इस्तेमाल किया गया था। यह दावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने 7 मई को संसद में किया था। हालांकि, भारत ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी और रफ़ाल के नुकसान की बात से इनकार किया।चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इस दावे की जानकारी से अनभिज्ञता जताई।

चीनी हथियारों का वास्तविक युद्ध में परीक्षण

भले ही चीन औपचारिक रूप से दावों से दूरी बना रहा हो, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस पूरे घटनाक्रम पर करीबी निगाह रखे हुए था।


ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के रक्षा विश्लेषक एरिक झू के अनुसार, "चीन के अधिकतर आधुनिक हथियारों का अभी तक युद्ध में परीक्षण नहीं हुआ है। पाकिस्तान उनका सबसे बड़ा ग्राहक है, इसलिए युद्ध के दौरान ये हथियार चीन की निर्यात क्षमता के लिए एक बड़ी परीक्षा बनते हैं।"

पाकिस्तान की चीन पर सैन्य निर्भरता

चीन ने भले ही पिछले चार दशकों में कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा है, लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में उसने सेना को आधुनिक बनाने और अत्याधुनिक हथियार विकसित करने पर ज़ोर दिया है।इनमें से कई हथियार पाकिस्तान को सप्लाई किए गए हैं।


स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान के 81% आयातित हथियारों की आपूर्ति चीन ने की है।पाकिस्तान ने 2015-19 की तुलना में 2020-24 के बीच अपने हथियारों के आयात में 61% की वृद्धि की है।

चीन से पाकिस्तान को मिलने वाले प्रमुख हथियार:

जे-10सी मल्टी-रोल फाइटर जेट

PL-15 और SD-10 मिसाइलें

रडार और एयर डिफेंस सिस्टम

ड्रोन सिस्टम (जैसे कि विंग लूंग)

एंटी-शिप और बैलिस्टिक मिसाइलेंआर्टिलरी और टैंक

तकनीकी सहायता और संयुक्त उत्पादन (जैसे कि JF-17 थंडर)

पाकिस्तान में चीनी तकनीक से बना सैन्य साजोसामान

पाकिस्तान में बने कई हथियार भी वास्तव में चीनी तकनीक पर आधारित हैं या चीनी कंपनियों द्वारा तैयार किए गए हैं।


उदाहरण के लिए, JF-17 फाइटर जेट को पाकिस्तान और चीन ने मिलकर विकसित किया है, जो पाकिस्तान एयरफोर्स की रीढ़ बन चुका है।

भारत की स्थिति और हथियार आयात


भारत, चीन के मुकाबले वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में स्वयं को संतुलित करने की कोशिश में है। हालांकि भारत भी हथियारों का बड़ा आयातक है, लेकिन उसने 2020-24 के दौरान अपने हथियार आयात में 9.3% की कमी की है।

भारत के प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता (2020-24):

रूस – 36% (2015-19 में 55% और 2010-14 में 72%)

फ्रांस – 28%

इज़राइल, अमेरिका, जर्मनी – अन्य महत्वपूर्ण स्रोत

SIPRI के शोधकर्ता सीमन वेज़मैन के अनुसार, "एशिया और ओशिनिया दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक क्षेत्र बने हुए हैं, और इसका बड़ा कारण चीन से जुड़ा खतरा है।"

भारत-पाकिस्तान संघर्ष और चीन की भूमिका


1947 के बाद भारत और पाकिस्तान तीन बार कश्मीर मुद्दे को लेकर युद्ध लड़ चुके हैं। शीत युद्ध के दौर में जहां सोवियत संघ भारत के साथ था, वहीं अमेरिका और चीन पाकिस्तान के समर्थन में थे।हालिया संघर्ष को अमेरिका-चीन शक्ति संतुलन के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा रहा है।अमेरिका भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक रणनीतिक और व्यापारिक साझेदार के रूप में देखता है और चाहता है कि भारत अपनी ऊर्जा पाकिस्तान पर खर्च न करे।वहीं चीन ने स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया। उसने सार्वजनिक बयान देकर पाकिस्तान के साथ अपनी "अडिग दोस्ती" जताई और भारतीय सैन्य कार्रवाई पर खेद व्यक्त किया।

चीन बनाम पश्चिमी हथियार: पहली वास्तविक परीक्षा

यह पहली बार है जब चीन की पीएल-15 मिसाइल युद्ध क्षेत्र में देखी गई। चीन के J-10C फाइटर जेट ने फ्रांस के रफ़ाल से मुकाबला किया।"इस युद्ध से चीन को अपने हथियारों की क्षमताओं को दर्शाने और वैश्विक बाज़ार में प्रभाव बढ़ाने का मौका मिला।

हथियारों से अधिक रणनीति का संघर्ष

भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव अब सिर्फ सीमा विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों और हथियार उद्योगों की प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन चुका है।

चीन और पाकिस्तान की सैन्य साझेदारी न केवल रणनीतिक है, बल्कि हथियार व्यापार और तकनीकी निर्भरता का भी गहरा ताना-बाना बन गई है। वहीं भारत, पश्चिमी देशों के साथ मिलकर अपने रक्षा ढांचे को मज़बूत करने की दिशा में अग्रसर है।

यह संघर्ष न केवल एशिया की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करता है।

पाकिस्तान-चीन रक्षा सहयोग:

1947 में आज़ादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं। शीत युद्ध के दौरान भारत सोवियत संघ के करीब था, वहीं अमेरिका और चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया।


पिछले दो दशकों में चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन चुका है।

हालिया संघर्ष और चीनी हथियारों की परीक्षा

2024 के भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने दावा किया कि जे-10सी फाइटर जेट से उन्होंने भारतीय रफ़ाल को मार गिराया। हालाँकि भारत ने इस पर कोई पुष्टि नहीं की है। इसके बावजूद चीन की एविक चेंगदू एयरक्राफ़्ट कॉर्पोरेशन के शेयर में तेज़ी आई — जो जे-10सी बनाती है।

ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के विश्लेषक एरिक झू के अनुसार, युद्ध में चीनी हथियारों का इस्तेमाल उनकी विश्वसनीयता और निर्यात क्षमता की परीक्षा है क्योंकि अब तक ये हथियार युद्ध में परखे नहीं गए थे।

पाकिस्तान के हथियारों पर चीन की निर्भरता

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार 2020-2024 के बीच पाकिस्तान द्वारा आयातित कुल हथियारों का 81% हिस्सा चीन से आया।2015-2019 की तुलना में हथियारों के आयात में 61% की वृद्धि दर्ज की गई।

प्रमुख चीनी हथियार जो पाकिस्तान को मिले:

लड़ाकू विमान: JF-17 थंडर (संयुक्त निर्माण), जे-10सी

मिसाइल: PL-15, C-802 एंटी-शिप मिसाइल, HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम

ड्रोन: विंग लूंग (Wing Loong), CH-4 UCAV

रेडार और निगरानी प्रणाली

टैंक और आर्टिलरी सिस्टम

एयर डिफेंस सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर टेक्नोलॉजी

घरेलू निर्माण में चीन की भूमिका:

पाकिस्तान में जो हथियार बनते हैं, उनमें से कई में चीन की तकनीक और सहयोग शामिल होता है।JF-17 थंडर जैसे फाइटर जेट चीन-पाकिस्तान की साझेदारी का उदाहरण है।

भारत की रणनीति और चीन का प्रभाव

भारत अभी भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है।2020-2024 के बीच भारत ने हथियार आयात में 9.3% की कमी की है।


भारत के आयात का सबसे बड़ा हिस्सा रूस (36%), फ्रांस (28%) और अमेरिका से आता है।भारत ने अमेरिका, इज़राइल और फ्रांस से रक्षा संबंध मज़बूत किए हैं ताकि चीन की बढ़ती ताकत का जवाब दिया जा सके।

चीन-पाकिस्तान की साझेदारी बनाम पश्चिमी गठबंधन

पाकिस्तान की ओर से चीनी हथियारों का उपयोग चीन बनाम पश्चिमी देशों की अप्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा का प्रतीक बन चुका है।

विशेषज्ञ राहुल बेदी कहते हैं, "भले ही युद्ध पाकिस्तान लड़ रहा था, लेकिन यह चीन के हथियारों की ताकत और पश्चिमी हथियारों से तुलना की घड़ी थी।

यह पहली बार है जब PL-15 मिसाइल का युद्ध में इस्तेमाल हुआ।चीन के J-10C ने फ्रांसीसी रफ़ाल का सामना किया।ड्रोन और मिसाइल सिस्टम की तुलना भी इसी संघर्ष में हुई।

चीन की कूटनीतिक भूमिका और समर्थन

संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को अपना "अडिग दोस्त" बताया।चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री को फोन कर समर्थन जताया।चीन ने भारत के सैन्य हमलों पर खेद जताते हुए संयम और शांति का आह्वान किया।

पाकिस्तान के लिए चीन की रणनीतिक अहमियत

चीन और पाकिस्तान की रक्षा साझेदारी महज़ हथियारों की आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक रणनीतिक गठबंधन है। जहाँ भारत अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान चीन की शरण में अपनी सैन्य और तकनीकी क्षमताओं को तेज़ी से बढ़ा रहा है। आने वाले वर्षों में यह शक्ति संतुलन एशिया की भू-राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है।

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