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अंदर से खोखला' हुआ पाकिस्तान! भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' से आतंकी नेटवर्क ढेर, ISI की 'बंद रिपोर्ट' ने उड़ाए होश
Pakistan Situation After Operation Sindoor: भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान की आतंकी रीढ़ तोड़ दी है—ISI की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस गुप्त ऑपरेशन ने सेना, आतंकी नेटवर्क और अर्थव्यवस्था पर एक साथ वार किया है।
Pakistan Situation After Operation Sindoor
Pakistan Situation After Operation Sindoor: जब भी भारत चुपचाप कोई बड़ा कदम उठाता है, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की नींद उड़ जाती है। लेकिन इस बार जो हुआ, वो पाकिस्तान के लिए महज़ एक खुफिया ऑपरेशन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्तित्व से जुड़ा सबसे बड़ा झटका बन गया है। 'ऑपरेशन सिंदूर' जिसका न तो भारत ने कभी दावा किया, न ही पाकिस्तान को कोई चेतावनी मिली ने इस्लामाबाद की सत्ता, सैन्य तंत्र और आतंकी नेटवर्क की चूलें हिला दी हैं। अब हर तरफ सन्नाटा है, डर है, और एक बेतहाशा बेचैनी जो बताती है कि पाकिस्तान अंदर से कितना खोखला हो चुका है।
आईएसआई की 'बंद लिफाफा रिपोर्ट' से निकला खौफ
सूत्रों के अनुसार, 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सरकार को एक 'बंद लिफाफा रिपोर्ट' सौंपी है जिसमें साफ तौर पर लिखा है “भारत ने अब छद्म युद्ध के नए स्तर पर कदम रख दिया है। यह हमला केवल आतंकवादियों पर नहीं, बल्कि हमारे सैन्य-सांठगांठ वाले सिस्टम पर है।” रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि भारत की 'नो क्लेम-नो ब्लेम' नीति अब इतना परिपक्व हो चुकी है कि पाकिस्तान उसका खुलकर विरोध तक नहीं कर पा रहा।
सबसे बड़ी परेशानी: किस पर भरोसा करें?
पाकिस्तान की सत्ता व्यवस्था का सबसे बड़ा संकट यह है कि वह अब यह तक तय नहीं कर पा रही कि उसके भीतर कौन दुश्मन है और कौन वफादार। ऑपरेशन सिंदूर ने ऐसे टारगेट्स को निशाना बनाया जो पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों के बीच लंबे समय से सेतु का काम कर रहे थे। जैसे ही ये चेहरे मिटाए गए, पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क में ‘कम्युनिकेशन ब्लैकहोल’ पैदा हो गया। न कोई संदेश ऊपर जा रहा है, न नीचे आ रहा है। नतीजा—पूरा तंत्र भ्रमित और दिशाहीन है।
पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में बगावत के सुर
ऑपरेशन सिंदूर की सबसे तीव्र प्रतिक्रिया पाकिस्तान के दो संवेदनशील इलाकों पंजाब प्रांत और खैबर पख्तूनख्वा में दिख रही है। पंजाब के भीतर आईएसआई के पुराने नेटवर्क पर हमले से वहां के युवाओं में गुस्सा पनपने लगा है। वहीं खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और अन्य कट्टरपंथी गुटों ने पाकिस्तानी सेना को खुली चुनौती देना शुरू कर दिया है। दरअसल, जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए TTP की कुछ शाखाओं को 'गुप्त समर्थन' देना शुरू किया, तो इसने पाकिस्तान की पश्चिमी सीमाओं को भी अस्थिर कर दिया। अब सेना को समझ नहीं आ रहा कि वह भारत से निपटे, या अंदरूनी बगावत से।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेइज्जती का डर
भारत के इस खुफिया ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान एक डिप्लोमैटिक दोराहे पर खड़ा है। अगर वह इस ऑपरेशन की शिकायत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर करता है, तो उसे सबूत देने होंगे—जो उसके पास नहीं हैं। और अगर वह चुप रहता है, तो भारत को और भी गहराई से घुसपैठ करने का मौका मिल सकता है।संयुक्त राष्ट्र, ओआईसी और चीन तक इस मुद्दे पर खामोश हैं क्योंकि किसी को भी कोई औपचारिक सबूत नहीं मिला। ऐसे में पाकिस्तान को अपने ही देशवासियों को जवाब देना पड़ रहा है कि उसकी सीमाएं इतनी असुरक्षित क्यों हैं?
इकोनॉमिक इम्पैक्ट: ‘आतंक का इंफ्रास्ट्रक्चर’ ध्वस्त
'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान की आंतरिक इकॉनमी को भी करारा झटका दिया है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही कर्ज, महंगाई और डॉलर की कमी से जूझ रही थी। लेकिन इस ऑपरेशन ने उन हवाला नेटवर्क्स, ट्रस्टों और फर्जी NGO का सफाया कर दिया जो आतंकी गतिविधियों के लिए पैसा जुटाते थे।अब कई धार्मिक संगठनों की फंडिंग ठप हो गई है। इससे न केवल उनका ऑपरेशन ठप हुआ है, बल्कि इन संगठनों से जुड़े हज़ारों लोग बेरोजगार भी हो गए हैं। इससे असंतोष और विद्रोह की संभावना और तेज़ हो गई है।
साइबर युद्ध में भी मात
एक और मोर्चा जो पाकिस्तान को परेशान कर रहा है, वह है साइबर डोमेन। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान की कुछ प्रमुख खुफिया वेबसाइट्स और कम्युनिकेशन चैनलों को हैक कर उनके डेटा तक पहुंच बना ली है। इससे न केवल सैन्य योजनाएं लीक हो रही हैं, बल्कि आम जनता का भरोसा भी उठता जा रहा है। इस्लामाबाद में अफवाह फैली है कि भारत ने पाकिस्तान के सैन्य कमांड सिस्टम में 'ट्रोजन वायरस' डाल दिया है जिससे कोई भी गुप्त संचार अब सुरक्षित नहीं है। पाकिस्तानी सेना ने तत्काल इंट्रा-नेट कम्युनिकेशन बंद करने का आदेश दिया, लेकिन इससे आपसी तालमेल और भी खराब हो गया।
बिक रही है राष्ट्रभक्ति, बिखर रही है नीयत
सर्वाधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान में ही कई पूर्व सैन्य अफसर और आईएसआई अधिकारी भारत के पक्ष में खुलकर बोलने लगे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पूर्व ब्रिगेडियर और जेनरल्स ने यहां तक कह दिया कि—"अगर भारत ने यह किया है, तो वह हमारी विफलता है, भारत की नहीं।" इस बयान के बाद पाकिस्तान में राष्ट्रवाद का झूठा आवरण भी फट गया। जनता के भीतर यह भावना गहराने लगी है कि शायद सैन्य तंत्र ही सबसे बड़ा धोखेबाज़ है।
जनता के बीच डर का माहौल
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान में आम जनता के बीच असुरक्षा और भय का माहौल है। लोग पूछ रहे हैं "अगर भारत इतने अंदर घुस सकता है, तो हमारा क्या बचा है?" इस्लामाबाद और रावलपिंडी जैसे संवेदनशील इलाकों में सेना की गश्त बढ़ा दी गई है, लेकिन जनता को सेना पर से भरोसा उठ गया है।दूसरी तरफ, कराची जैसे शहरों में जातीय और धार्मिक टकराव तेज हो गए हैं क्योंकि भारत द्वारा मारे गए लोग अधिकतर जातीय आतंकी गुटों से जुड़े थे। इससे वहां की सामाजिक स्थिरता भी खतरे में है।
भविष्य क्या कहता है?
सवाल उठता है—क्या पाकिस्तान इस सदमे से उबर पाएगा? फिलहाल के हालात देखें तो जवाब 'ना' ही है। 'ऑपरेशन सिंदूर' केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक धक्का है जिसने पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ दी है। इससे उबरने के लिए न सिर्फ नेतृत्व में बदलाव चाहिए, बल्कि सोच और रणनीति में भी क्रांतिकारी सुधार जरूरी है—जो पाकिस्तान की राजनीति में फिलहाल संभव नहीं दिखता।
एक ऑपरेशन, हज़ार चोटें
'ऑपरेशन सिंदूर' ने पाकिस्तान को हर उस स्तर पर झकझोरा है जहाँ उसकी ताकत का भ्रम था—सेना, आईएसआई, आतंकवाद, अर्थव्यवस्था, और राष्ट्रवाद। यह ऑपरेशन कोई मिसाइल या बम से नहीं, बल्कि चुपचाप चलाया गया ऐसा तूफान था जो सब कुछ बहा ले गया—और पाकिस्तान को उसका अक्स दिखा गया। अब पाकिस्तान के पास दो ही रास्ते हैं—या तो खुद में बदलाव लाए, या फिर भारत के अगले ऑपरेशन के लिए तैयार रहे। क्योंकि 'सिंदूर' तो सिर्फ शुरुआत थी...
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