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पाकिस्तान देगा बांग्लादेश को खुफिया ट्रेनिंग, भारत के लिए खतरे की घंटी, आंतरिक सुरक्षा पर मंडराया खतरा
ब्रिगेडियर शब्बीर की इस यात्रा के दौरान मोबाइल फोन सर्विलांस, सोशल मीडिया निगरानी और साइबर स्पेस में युद्ध संबंधी मुद्दों पर विशेष चर्चा हुई। पाकिस्तान ने बांग्लादेश के खुफिया अधिकारियों और एजेंसियों को तकनीकी प्रशिक्षण देने की भी पेशकश की है। यह सहयोग मोबाइल ट्रैकिंग, इंटरनेट गतिविधियों की निगरानी और डिजिटल खतरों की पहचान जैसे क्षेत्रों में होगा।
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच सैन्य और तकनीकी सहयोग तेजी से बढ़ रहा है, जो भारत के लिए चिंता का नया कारण बनता जा रहा है। पहले तक इन दोनों देशों के संबंध मुख्य रूप से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक सीमित थे, लेकिन हालिया घटनाएं इस रिश्ते को एक नई दिशा दे रही हैं। खासकर सुरक्षा और निगरानी के क्षेत्र में बढ़ती इस नजदीकी से भारत की रणनीतिक चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
बांग्लादेश, पाकिस्तान से लेगा ट्रेनिंग
हाल ही में पाकिस्तान के राष्ट्रीय रेडियो और दूरसंचार निगम के प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर जनरल अजमत शब्बीर पांच दिन के दौरे पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे। इस दौरे के दौरान उन्होंने बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग और राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र (NTMC) के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य रक्षा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करना था।
ब्रिगेडियर शब्बीर के इस दौरे के दौरान मोबाइल फोन की निगरानी, सोशल मीडिया पर नजर रखना और साइबर स्पेस में युद्ध से जुड़े मुद्दों पर विशेष चर्चा हुई। पाकिस्तान ने बांग्लादेश के खुफिया अधिकारियों और एजेंसियों को तकनीकी प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव भी रखा है। यह सहयोग मोबाइल ट्रैकिंग, इंटरनेट गतिविधियों की मॉनिटरिंग और डिजिटल खतरों की पहचान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में होगा।
जानकारी के अनुसार, दोनों देशों के बीच इस रणनीतिक साझेदारी का मकसद आपसी रक्षा क्षमताओं को मजबूत बनाना और भविष्य में उत्पन्न हो सकने वाले खतरों से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति तैयार करना है। हालांकि यह सहयोग मुख्य रूप से तकनीकी और रणनीतिक बताया जा रहा है, लेकिन भारत के लिए यह गंभीर चेतावनी साबित हो सकता है, खासकर जब यह साइबर निगरानी और डेटा संग्रहण जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से जुड़ा हो।
भारत के लिये खतरे की घंटी
भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का गठजोड़ क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों में बदलाव ला सकता है। बांग्लादेश और पाकिस्तान की यह बढ़ती नजदीकी केवल तकनीकी सहयोग तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि रणनीतिक सोच और सैन्य प्रशिक्षण के स्तर पर भी इसका असर दिखेगा। ऐसे समय में जब भारत पहले से ही चीन-पाकिस्तान के गठजोड़ को लेकर सतर्क है, बांग्लादेश की इस सक्रिय भूमिका पर कड़ी नजर रखना और अपनी नीतियों को उसके अनुसार ढालना बेहद जरूरी हो गया है।
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