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पाकिस्तानी न्यूज़ एंकर ने बिलावल की पत्नी को भयंकर लताड़ा, लाइव टीवी पर किया जलील, पाकिस्तान का 'आतंकी राज' बेनकाब!
Pakistani news anchor: यह सिर्फ एक टीवी डिबेट नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के आतंकवाद पर पाखंड का पर्दाफाश करने वाला एक ऐसा लाइव सेशन था, जिसने उसकी वैश्विक छवि को और भी धूमिल कर दिया है।
Pakistan news anchor: अंतरराष्ट्रीय मंच पर कूटनीति के दांव-पेंच अक्सर पर्दे के पीछे खेले जाते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे पल भी आते हैं, जब पर्दे उठ जाते हैं और दुनिया सच्चाई का कड़वा घूंट पीती है। भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चला आ रहा कूटनीतिक युद्ध कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान, विशेषकर भारत को बदनाम करने और कश्मीर जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने के लिए लगातार प्रयास करता रहा है। लेकिन इस बार ब्रिटेन की धरती पर पाकिस्तान की एक वरिष्ठ राजनयिक को ऐसी सार्वजनिक शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है, जिसने पूरे कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। यह सिर्फ एक टीवी डिबेट नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के आतंकवाद पर पाखंड का पर्दाफाश करने वाला एक ऐसा लाइव सेशन था, जिसने उसकी वैश्विक छवि को और भी धूमिल कर दिया है। जब भारत के खिलाफ माहौल बनाने पहुंची एक हाई-प्रोफाइल पाकिस्तानी सीनेटर, खुद अपने ही देश में पल रहे आतंकवादियों पर सवालों के सामने बगलें झांकने लगीं, तो यह दृश्य सिर्फ चौंकाने वाला नहीं, बल्कि पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक हार का प्रतीक बन गया।
भारत विरोधी 'साजिश' के लिए ब्रिटेन पहुंचीं शेरी रहमान, पर हो गया 'खेल'
हाल ही में, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बिलावल भुट्टो की करीबी मानी जाने वाली सीनेटर शेरी रहमान भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय माहौल बनाने के उद्देश्य से ब्रिटेन पहुंचीं। उनका लक्ष्य था 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे भारत के जवाबी कदमों को आक्रामकता के रूप में पेश करना और पाकिस्तान को एक 'पीड़ित' राष्ट्र के तौर पर दिखाना। शेरी रहमान का पाकिस्तान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान है; वह दिवंगत बेनजीर भुट्टो की करीबी रही हैं और जिस दिन बेनजीर की हत्या हुई थी, उस दिन वह भी रावलपिंडी में मौजूद थीं। पत्रकार और फिर राजनयिक बनने के बाद शेरी ने राजनीति में कदम रखा और गिलानी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनीं। जरदारी परिवार के साथ उनके रिश्ते काफी बेहतरीन माने जाते हैं। ऐसे में, एक अनुभवी राजनयिक और प्रभावशाली नेता का ब्रिटेन में सक्रिय होना पाकिस्तान की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था। लेकिन उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि उनका यह अभियान एक टीवी स्टूडियो में ही ध्वस्त हो जाएगा।
याल्दा हकीम के तीखे सवालों ने घेरा
सीनेटर शेरी रहमान को स्काई न्यूज चैनल पर एक इंटरव्यू देने के लिए बुलाया गया था, जहाँ उनका सामना मुस्लिम एंकर याल्दा हकीम से हुआ। शेरी का इरादा भारत के खिलाफ अपने पूर्वनिर्धारित नैरेटिव को आगे बढ़ाना था, लेकिन याल्दा हकीम के सवालों ने उन्हें पूरी तरह से घेर लिया। 12 मिनट के उस इंटरव्यू में याल्दा ने पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों को लेकर शेरी रहमान से सीधे और तीखे सवाल पूछने शुरू कर दिए। वह सिर्फ एक एंकर नहीं, बल्कि एक खोजी पत्रकार की तरह सवाल पूछ रही थीं, जो पाकिस्तान की कमजोर नस पर लगातार चोट कर रही थीं।
याल्दा ने सीधा सवाल पूछा, "जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर किए, तब मसूद अजहर परिवार के 10 लोग मारे गए। बहावलपुर में उसका कैंप लगा था। क्या आप बता सकती हैं कि इस कैंप में क्या हो रहा था?" इस पर शेरी रहमान ने बचाव करते हुए कहा कि वह एक मदरसा और मस्जिद था, जिसे तोड़ दिया गया था। यह जवाब पूरी तरह से अपर्याप्त और सच्चाई से परे था, जिसे याल्दा ने तुरंत भांप लिया। मसूद अजहर और अलकायदा के पूर्व आतंकी ओसामा बिन लादेन को लेकर जब याल्दा ने और भी सख्त सवाल पूछे, तो सीनेटर शेरी की जुबान लड़खड़ा गई। वह यह नहीं बता पाईं कि आखिर पाकिस्तान में अब भी इस तरह के टेरर कैंप क्यों चलाए जा रहे हैं और सरकार उन पर लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है।
जब 'बगल झांकने लगीं' पाकिस्तानी सीनेटर
इंटरव्यू में आगे बढ़ते हुए याल्दा हकीम ने बिलावल की 'मैडम' कही जाने वाली सीनेटर शेरी से पूछा, "आखिर पाकिस्तान में 113 ब्रिगेड क्यों अब तक एक्टिव है?" उन्होंने आगे सवाल किया, "आप यह क्यों नहीं बता पा रही हैं पूरी दुनिया को कि हम मसूद अजहर को खत्म नहीं कर पा रहे हैं?" यह सवाल पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता पर सीधा हमला था, जिसका जवाब शेरी रहमान के पास नहीं था। याल्दा का अगला सवाल और भी चुभने वाला था: "आखिर पाकिस्तान तालिबानियों की सहायता क्यों करता है और उसके आतंकवाद को शह क्यों देता है? भारत में पाकिस्तान ने जो टेरर फैलाए थे, उस पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?" इन तीखे और सीधे सवालों ने शेरी रहमान को पूरी तरह असहज कर दिया। उनकी भंगिमा बदल गई, और वह लगातार बगलें झांकने लगीं, जो उनकी हड़बड़ाहट और जवाबों की कमी को स्पष्ट रूप से दर्शा रहा था। इंटरव्यू का समय आखिर में खत्म हो गया, लेकिन शेरी रहमान एक भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाईं। यह दृश्य उन लाखों दर्शकों ने देखा, जिन्होंने इस डिबेट को लाइव देखा, और यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक शर्मिंदगी बन गई। एक वरिष्ठ राजनयिक का अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस तरह निरुत्तर हो जाना, पाकिस्तान के आतंकवाद पर दोहरे मापदंडों को उजागर करता है।
कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान का 'पतन
यह घटना पाकिस्तान के कूटनीतिक मोर्चे पर बढ़ते "पतन" का एक और उदाहरण है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने आतंकवाद पर पाकिस्तान के पाखंड को विश्व मंच पर लगातार उजागर किया है। शशि थरूर जैसे भारतीय नेताओं के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडलों ने प्रभावी ढंग से भारत का पक्ष रखा है, जबकि पाकिस्तान को अपने ही बयानों और हरकतों के जाल में फंसना पड़ा है। शेरी रहमान जैसे अनुभवी राजनयिक का इस तरह सार्वजनिक रूप से घिर जाना, यह दर्शाता है कि अब पाकिस्तान के लिए आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करना पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है। यह घटना उन देशों के लिए भी एक संकेत है, जो अभी भी पाकिस्तान के 'पीड़ित' होने के नैरेटिव पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं। पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और आतंकवादियों को पनाह देने की उसकी नीति अब विश्व मंच पर खुलकर सामने आ रही है। इस टीवी डिबेट ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब सच्चाई सामने आती है, तो झूठे नैरेटिव हवा हो जाते हैं। यह घटना निश्चित रूप से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख को और कमजोर करेगी और भविष्य में उसके लिए भारत विरोधी एजेंडा चलाना और भी मुश्किल हो जाएगा।
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