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ईरान के सर्वोच्च नेता का उत्तराधिकारी कौन होगा?
Successor of Iran's Supreme Leader: ईरान में और दुनियाभर में एक सवाल ऐसा है जो सभी के ज़हन में आता है कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का उत्तराधिकारी कौन होगा?
Successor of Iran's Supreme Leader (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। मध्य पूर्व एक बार फिर व्यापक अराजकता के कगार पर खड़ा है, क्योंकि इज़राइल और ईरान के बीच चल रहा संघर्ष एक नए और खतरनाक मोड़ पर पहुँच चुका है। मिसाइल हमलों, साइबर हमलों और क्षेत्रीय अस्थिरता के बीच अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें ईरान के भविष्य से जुड़े एक और महत्वपूर्ण सवाल पर टिक गई हैं—ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का उत्तराधिकारी कौन होगा?
पिछले कुछ हफ्तों में इज़राइली हवाई हमलों ने सीरिया और इराक में स्थित ईरानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिन्हें कथित रूप से इज़राइल की उत्तरी सीमा के पास ईरान समर्थित मिलिशिया की गतिविधियों के जवाब में अंजाम दिया गया। इसके प्रत्युत्तर में ईरान ने ड्रोन हमलों और रणनीतिक क्षेत्रों में रिवोल्यूशनरी गार्ड फोर्स की तैनाती से तनाव को और बढ़ा दिया, जिससे पूरे क्षेत्र में पूर्ण युद्ध की आशंका तेज हो गई है।
जब अमेरिका, रूस और चीन जैसी वैश्विक शक्तियाँ इस टकराव को और बिगड़ने से रोकने के प्रयास में जुटी हैं, वहीं ईरान की राजनीतिक दिशा को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीरता से विचार कर रहा है। 86 वर्षीय अयातुल्ला अली खामेनेई वर्ष 1989 से सत्ता में हैं। हालांकि उनकी पकड़ अब भी मजबूत मानी जाती है, लेकिन उनकी बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य ने उत्तराधिकार की बहस को फिर से हवा दे दी है—जो न केवल घरेलू राजनीति बल्कि विदेश नीति को भी गहराई से प्रभावित कर सकता है।
संभावित उत्तराधिकारी
मोजतबा खामेनेई
सर्वोच्च नेता के पुत्र और एक कठोर विचारधारा वाले मौलवी हैं। ऐसा माना जाता है कि इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कुछ वर्गों में मोजतबा की लोकप्रियता है। हालांकि, वंशानुगत उत्तराधिकार की संभावना पारंपरिक शिया मौलवियों के बीच असंतोष का कारण बन सकती है, जो पीढ़ीगत सत्ता हस्तांतरण के सख्त विरोधी रहे हैं।
इब्राहीम रईसी
ईरान के वर्तमान राष्ट्रपति और एक कट्टरपंथी धार्मिक नेता हैं। न्यायपालिका के पूर्व प्रमुख और खामेनेई के करीबी माने जाने वाले रईसी को ईरान की मौजूदा धार्मिक-राजनीतिक व्यवस्था की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है। हालांकि, मानवाधिकार उल्लंघनों में उनकी कथित भूमिका के कारण उन्हें अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ा है।
सादिक लारीजानी
वरिष्ठ मौलवी और न्यायपालिका के पूर्व प्रमुख लारीजानी भी सत्ता की दौड़ में एक प्रमुख नाम हैं। वे ईरान की कट्टरपंथी व्यवस्था और “असेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स” (जो सर्वोच्च नेता का चयन करती है) से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं, जिससे उनकी उम्मीदवारी को बल मिलता है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि IRGC अधिक स्पष्ट राजनीतिक नियंत्रण की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में एक “सामूहिक नेतृत्व” मॉडल की भी चर्चा हो रही है, जिसमें वरिष्ठ सैन्य और धार्मिक नेताओं की साझा भागीदारी संभव है।
क्या है दांव पर?
ईरान के सर्वोच्च नेता का उत्तराधिकार महज़ आंतरिक मामला नहीं है—यह देश की पूरी दिशा तय कर सकता है, फिर चाहे वह परमाणु नीति हो, अमेरिका और इज़राइल से रिश्ते हों या पूरे इस्लामी जगत के साथ संबंध हों। यदि कोई कठोर विचारधारा वाला नेता सत्ता में आता है तो ईरान का टकरावपूर्ण रुख और तीव्र हो सकता है, जबकि कोई अधिक व्यवहारिक उत्तराधिकारी संवाद और सुधार की संभावनाएं खोल सकता है—हालांकि मौजूदा हालात में ऐसी उम्मीदें क्षीण प्रतीत होती हैं।
जैसे-जैसे इज़राइल-ईरान संघर्ष गहराता जा रहा है और तेहरान में सत्ता परिवर्तन की आशंका मंडरा रही है, पूरे क्षेत्र और संभवतः दुनिया एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। आने वाले कुछ महीने मध्य पूर्व की स्थिरता के भविष्य को तय कर सकते हैं।
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