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आटे के लाले, फिर भी जंग की तैयारी! पाकिस्तान भारत से टकराव के लिए कर रहा है भारी खर्च, आम जनता भूख से तड़पेगी

Pakistan Budget 2025: भारी कर्ज के बीच सरकार रक्षा बजट में 18% बढ़ोतरी कर सकती है, जबकि जनता बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है।

Harsh Sharma
Published on: 10 Jun 2025 2:02 PM IST (Updated on: 10 Jun 2025 2:24 PM IST)
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Pakistan Budget 2025: पाकिस्तान में आज बजट पेश किया जाएगा। चर्चा है कि पाकिस्तान सरकार अपने रक्षा बजट में 18 फीसदी तक बढ़ोतरी कर सकती है। ये फैसला ऐसे समय में लिया जा रहा है जब देश भारी कर्ज़ में डूबा हुआ है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान का रक्षा बजट 2,500 अरब रुपये तक पहुँच सकता है। ये बढ़ोतरी आम जनता के लिए चिंता की बात है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रही है। अगर सेना पर खर्च बढ़ता है, तो इससे सेना की ताकत तो बढ़ेगी, लेकिन जनता की जरूरतों को नजरअंदाज किया जाएगा।

पाकिस्तान पर कुल कर्ज अब 76,007 अरब रुपये हो गया है

हाल ही में पेश की गई आर्थिक समीक्षा के अनुसार, पाकिस्तान पर कुल कर्ज अब 76,007 अरब रुपये हो गया है। ये कर्ज बीते 4 सालों में दोगुना हो गया है। 5 साल पहले ये कर्ज 39,860 अरब रुपये था, जबकि 10 साल पहले सिर्फ 17,380 अरब रुपये था। यानी 10 साल में कर्ज 5 गुना बढ़ गया है।

24,489 अरब रुपये विदेशी कर्ज है

इसमें से करीब 51,518 अरब रुपये घरेलू कर्ज है और 24,489 अरब रुपये विदेशी कर्ज। आर्थिक समीक्षा में बताया गया है कि अगर इसी तरह कर्ज बढ़ता रहा, तो देश की आर्थिक स्थिति और खराब हो सकती है। कर्ज का ब्याज चुकाना भी मुश्किल होता जाएगा और इससे विकास की योजनाओं पर असर पड़ेगा।

इतनी मुश्किल हालत में भी अगर सरकार सेना पर खर्च बढ़ा रही है, तो साफ है कि जनता की भलाई और विकास सरकार की प्राथमिकता नहीं है। पाकिस्तान की लगभग 45 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रही है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, गरीबी में कमी के बजाय बढ़ोतरी हो रही है।

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Harsh Sharma

Harsh Sharma

Content Writer

हर्ष नाम है और पत्रकारिता पेशा शौक बचपन से था, और अब रोज़मर्रा की रोटी भी बन चुका है। मुंबई यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया, फिर AAFT से टीवी पत्रकारिता की तालीम ली। करियर की शुरुआत इंडिया न्यूज़ से की, जहां खबरें बनाने से ज़्यादा, उन्हें "ब्रेकिंग" बनाने का हुनर सीखा। इस समय न्यूज़ ट्रैक के लिए खबरें लिख रहे हैं कभी-कभी संजीदगी से, और अक्सर सिस्टम की संजीदगी पर हल्का-फुल्का कटाक्ष करते हुए। एक साल का अनुभव है, लेकिन जज़्बा ऐसा कि मानो हर प्रेस कॉन्फ्रेंस उनका पर्सनल डिबेट शो हो।

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