TRENDING TAGS :
तीसरे विश्व युद्ध की उलटी गिनती शुरू! India-Pakistan नहीं अब इन दो देशो के बीच होगा World War 3?
World War 3: इजरायल-ईरान के बीच परमाणु युद्ध की बढ़ती आशंका से तीसरे विश्व युद्ध की उलटी गिनती शुरू! यह भारत-पाक या रूस-यूक्रेन से अलग संघर्ष है जो वैश्विक तेल आपूर्ति और दुनिया को आग में झोंक सकता है।
World War 3
World War 3: जब पूरी दुनिया भारत-पाकिस्तान के बीच के तनाव से राहत की सांस ले ही रही थी, जब रूस और यूक्रेन की युद्धभूमि से पहली बार शांति वार्ता की फुसफुसाहट सुनाई देने लगी थी, तभी पश्चिम एशिया से एक और भयावह तूफान उठ खड़ा हुआ है। इस बार ये तूफान सिर्फ बम और बंदूकों तक सीमित नहीं, बल्कि इसकी लहरें सीधे परमाणु तबाही के महासागर में जा गिरती हैं। इजरायल और ईरान, दो ऐसे देश जो दशकों से एक-दूसरे को संदेह और संघर्ष की निगाह से देखते आए हैं, अब एक बार फिर युद्ध के कगार पर खड़े हैं। और अगर इस बार युद्ध छिड़ा, तो यह सिर्फ उनके बीच सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरी दुनिया को खींच सकता है तीसरे विश्व युद्ध की ओर।
इजरायल की 'नो न्यूक्लियर मिडिल ईस्ट' नीति
इजरायल की विदेश नीति का एक मौलिक सिद्धांत रहा है मध्य पूर्व में वह किसी भी देश को परमाणु शक्ति नहीं बनने देगा। 1981 में इराक के ओसिराक रिएक्टर पर हवाई हमला हो या 2007 में सीरिया के अल किबर ठिकाने को तबाह करना—हर बार इजरायल ने एक ही बात दोहराई है: "हम इंतजार नहीं करते, हम रोकते हैं।" अब उसकी निगाहें ईरान के नातांज और फोर्दो जैसे नाभिकीय संयंत्रों पर हैं, जिन्हें वह ‘खतरा’ मानता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की हालिया रिपोर्ट्स में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि इजरायल किसी भी समय ईरान के इन ठिकानों पर हमला कर सकता है। और यदि ऐसा होता है, तो यह एक सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे खाड़ी क्षेत्र को आग में झोंक देने वाली घटना होगी।
ईरान की चेतावनी: “खेल नहीं, अंजाम भुगतने को तैयार रहो”
ईरान ने खुलकर चेतावनी दी है कि अगर इजरायल ने उसके परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला किया तो जवाब सिर्फ पारंपरिक नहीं होगा, बल्कि "भविष्य की पीढ़ियां उस विनाश को याद रखेंगी।" ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन दुनिया भर की खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि वह बम बनाने की दहलीज तक पहुंच चुका है। ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने अमेरिका को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वार्ता हो रही है, लेकिन इस बीच किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई को ईरान ‘जंग का एलान’ मानेगा। इस बयान ने वाशिंगटन, तेल अवीव और रियाद जैसे शहरों में चिंता की लहर दौड़ा दी है।
भारत-पाक और रूस-यूक्रेन से अलग है ये संघर्ष
यह संघर्ष सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं है। भारत और पाकिस्तान का सैन्य तनाव क्षेत्रीय सीमाओं में सिमटा रहा, रूस-यूक्रेन युद्ध यूरोप के भू-राजनीतिक नक्शे में बदलाव की लड़ाई रहा, लेकिन ईरान-इजरायल संघर्ष पूरी दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति, तेल की कीमतों, परमाणु नीति और वैश्विक कूटनीति को प्रभावित कर सकता है। खाड़ी देशों से निकलने वाला कच्चा तेल और गैस, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। अगर इस क्षेत्र में युद्ध छिड़ता है तो ना केवल तेल की कीमतें आसमान छूने लगेंगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति शृंखला भी बुरी तरह चरमरा जाएगी।
ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा और इजरायल की शंका
ईरान का दावा है कि वह परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए कर रहा है मसलन बिजली उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान। लेकिन दुनिया जानती है कि यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया चाहे जितनी शांतिपूर्ण हो, वह बम बनाने की दिशा में पहला कदम मानी जाती है। अमेरिका और यूरोपीय देश, विशेषकर 2015 की जॉइंट कंप्रीहेन्सिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) के तहत ईरान की गतिविधियों पर निगरानी रखते रहे हैं, लेकिन जब से डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से अमेरिका को बाहर निकाला, ईरान ने संवर्धन की गति तेज कर दी है। इजरायल को यही डर है कि आने वाले महीनों में ईरान परमाणु हथियार से लैस हो सकता है।
अगर युद्ध छिड़ा, तो कौन किसके साथ?
यह सवाल अब सबसे ज्यादा चर्चा में है। इजरायल को अमेरिका का पूर्ण समर्थन हासिल है। उसके पास अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम 'आयरन डोम' और दुनिया की सबसे घातक एयरफोर्स में से एक है। वहीं, ईरान के पास ‘हेज्बोल्ला’ जैसे क्षेत्रीय आतंकी संगठन हैं, जो इजरायल के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। चीन और रूस भले ही खुलकर किसी का पक्ष ना लें, लेकिन उनका झुकाव ईरान की ओर दिखता है। खासकर चीन, जो ईरान से ऊर्जा आयात करता है, शायद युद्ध के मामले में अमेरिका-इजरायल गठबंधन से टकराने को तैयार हो। ऐसे में ये टकराव किसी "स्थानीय संघर्ष" की बजाय "वैश्विक सैन्य संकट" में बदल सकता है।
दुनिया का रिएक्शन: डर, चिंतन और दौड़ती डिप्लोमेसी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान और इजरायल को लेकर लगातार बंद दरवाजों के पीछे चर्चा हो रही है। अमेरिका ने अपने खाड़ी सैन्य अड्डों को हाई अलर्ट पर रखा है। भारत, जो इस क्षेत्र से कच्चे तेल की बड़ी आपूर्ति करता है, चिंतित है कि अगर युद्ध छिड़ा, तो उसके ऊर्जा आयात पर बड़ा असर पड़ेगा। इसी बीच सऊदी अरब, कतर और ओमान जैसे देशों की खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं। अगर ईरान के साथ युद्ध छिड़ा, तो यह सिर्फ इजरायल और ईरान की सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा यह पूरे मिडिल ईस्ट को जला सकता है।
क्या यही है तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत?
इतिहास बताता है कि विश्व युद्ध कभी एक बड़ी घोषणा से शुरू नहीं होते वे छोटी-छोटी घटनाओं की श्रृंखला होते हैं जो अचानक पूरी दुनिया को आग में झोंक देते हैं। ईरान और इजरायल के बीच अगर वाकई हमला होता है, तो यह चिंगारी उसी आग का संकेत हो सकती है, जिसे दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के नाम से जानने लगे। भारत-पाक तनाव थमा है, रूस-यूक्रेन में शांति की कोशिशें हो रही हैं, लेकिन इजरायल-ईरान का संघर्ष वो फांस है जो पूरी मानवता के सीने में धंस सकती है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!