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Election 2024 : झूठे वायदों एवं वादों से चुनाव को बचाना होगा

Election 2024 : लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे हो गये हैं, पांचवें चरण की ओर बढ़ते हुए चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है। तमाम राजनीतिक दलों में वास्तविकता से दूर झूठे, तथ्य-आधारहीन, भ्रामक एवं बेबुनियाद वादे करने की आपसी होड़ बढ़ती जा रही है।

Lalit Garg
Written By Lalit Garg
Published on: 16 May 2024 10:44 AM GMT (Updated on: 16 May 2024 10:46 AM GMT)
Election 2024 : झूठे वायदों एवं वादों से चुनाव को बचाना होगा
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फोटो - सोशल मीडिया

Election 2024 : लोकसभा चुनाव के चार चरण पूरे हो गये हैं, पांचवें चरण की ओर बढ़ते हुए चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है। तमाम राजनीतिक दलों में वास्तविकता से दूर झूठे, तथ्य-आधारहीन, भ्रामक एवं बेबुनियाद वादे करने की आपसी होड़ बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल चार चरणों के बाद जिस तरह के जीत के तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं, वह हास्यास्पद एवं अविश्वसनीय है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के 4 चरण पूरा होने के बाद विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ यानी इंडिया गठबंधन मजबूत स्थिति में है और चार जून के बाद सरकार बनाएगा। इसी तरह ममता बनर्जी, अरविन्द केजरीवाल एवं अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी की करारी हार की बात कही है। वर्ष 2019 के चुनाव के दौर भी इन नेताओं ने ऐसे ही बयान दिये थे, जो चुनाव परिणाम के बाद झूठे साबित हुए। इस तरह के अतिश्योक्तिपूर्ण, आधे-अधूरे, सत्यता से परे के बयानों से राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता अपने निचले पायदान पर पहुंच चुकी है और तेज़ी से घट रही है। जिस प्रकार विभिन्न दलों के नेताओं की भाषा, बयान एवं लोकलुभावन वायदे निम्न स्तर पर पहुंच रहे है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि हमारे लोकतंत्र का स्वास्थ्य कहीं-ना-कहीं खराब जरूर हो रहा है।

आम आदमी पार्टी (आप) के वादे और उनके काम के बीच फ़ासला लगातार बढ़ता रहा है, देश की भोली भाली जनता को आपका बेटा, आपकी बेटी कहकर सहानुभूति पाने की उसकी कुचेष्ठाओं का पर्दापाश पहले ही हो गया है। ‘आप’ ने अपने कामकाज के तरीक़े में पूरी पारदर्शिता का वादा किया था, लेकिन लोकसभा के लिए उम्मीदवारों के चयन में इसका ख्याल नहीं रखा गया है। हाल ही में पंजाब की चुनावी सभाओं में पार्टी नेता अरविन्द केजरीवाल ने बृजभूषण पर तो गंभीर आरोप लगाते हुए भाजपा को दागगार घोषित किया लेकिन वे अपने ही मुख्यमंत्री निवास पर राज्यसभा सांसद एवं पूर्व दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीमाल के साथ हुई मारपीट एवं अशिष्टता को भूल गये। निश्चित ही आप की कथनी और करनी में गहरा फासला है। इन्हीं केजरीवाल ने जनता को गुमराह करने एवं ठगने के लिये पिछले गुजरात के विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान एक सादे कागज पर अपने हस्ताक्षर करते हुए गुजरात में आप की सरकार बनने का दावा किया, जबकि उन चुनावों में आप के 4-5 सीटों पर जीत के अलावा सभी सीटों पर आप उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी थी। एक बार फिर इन लोकसभा चुनावों में वे ऐसा ही करते हुए झूठे दावे कर रहे हैं। इससे आप पार्टी की विश्वसनीयता एवं पारदर्शिता के दावों पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया है कि उनकी पार्टी 2009 के आम चुनाव से बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह दावा वास्तविकता से कोसों दूर है और राजनीतिक हलकों में उपहास का विषय बन गया है। जब कांग्रेस ने इन चुनावों में कोई लक्ष्य ही तय नहीं किया है तो कौन से लक्ष्य को पाने एवं जीत की बात कांग्रेस कर रही है? जैसे भाजपा ने 400 पार का लक्ष्य बनाया है, क्या कांग्रेस का ऐसा कोई लक्ष्य है? पार्टी के कार्यकर्ता बिना लक्ष्य के किसे अपना मिशन बनाये? कांग्रेस का एक दावा ये भी है कि वो लोकसभा में साफ सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को उतार रही है लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। कई उम्मीदवारों को भ्रष्टाचार के उन आरोपों के बाद भी टिकट दिए गए हैं जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। हाल के दिनों में, प्रत्येक राजनीतिक दल के घोषणापत्र में वादों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त सामने आयी है। जबकि अतीत में किए उनके काम बताते हैं कि सत्ता में आने के बाद वे अपने घोषणा पत्र के कुछ ही हिस्सों को लागू कर पाते हैं। जो सत्ता में नहीं आ पाते वो अपने घोषणापत्र को कूड़े के डब्बे में डाल देते हैं। विडम्बना तो यह भी है कि जिन दलों को चुनाव जीतने की आशा नहीं है, वे बेतूके वायदे एवं घोषणाएं करके आम मतदाता को भ्रमित करते हैं।

फोटो - सोशल मीडिया

शुरुआत से ही राजनीतिक दल वादे इसलिए करते हैं कि लोग उन्हें सत्ता की चाभी सौंपें। लेकिन चुनावी मौसम में राजनीतिक दल और राजनेता अपने अपने कामों के बारे में बढ़ चढ़कर दावे करते हैं और उन्हें भरोसा रहता है कि मासूम और भोली जनता उनके दावों पर यकीन कर लेगी, इसलिए वे लुभावने वादों की झड़ी लगा देते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने उत्तरप्रदेश की एक सभा में चार चरण पूरे होने के बाद भाजपा के 5 किलो मुफ्त अनाज की जगह 10 किलो मुफ्त अनाज की घोषणा कर है। बेवक्त पर की गयी यह घोषणा भी पार्टी की अपरिपक्वता को उजागर कर रही है। हालांकि ऐसे वादे हमेशा खाली जाते हैं या अधूरे रहते हैं। वादे करने का मतलब उसे पूरा करना ही नहीं होता।

अतीत में, कांग्रेस की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ग़रीबी हटाओ के नारे के साथ 1971 का चुनाव ज़रूर जीता था। लेकिन लगातार दो बार सत्ता में आने के बाद भी देश से ग़रीबी नहीं हटी क्योंकि ज्यादातर सरकारी योजनाएं आम ग़रीबों तक पहुंची ही नहीं। अतीत गवाह है विगत दावों और वादों की हक़ीक़त का। हालांकि यह देखना बाक़ी है कि किसने सबक लिया और कौन अपने वादों और दावों के प्रति गंभीर रहेगा।

फोटो - सोशल मीडिया

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ में एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सपा प्रमुख ने दावा किया कि विपक्षी इंडिया’ गठबंधन उत्तर प्रदेश में 79 लोकसभा सीटें जीतेगा, और सिर्फ एक सीट पर ही मुकाबला है। ऐसे अतिश्योक्तिपूर्ण बयान कभी सच होते हुए नहीं देखें गये हैं। निश्चित ही चुनाव परिणाम भविष्य के गर्भ में है एवं इसकी 4 जून को घोषणा सभी के लिये आश्चर्यकारी एवं चमत्कृत करने वाली होगी। देश का अगला प्रधानमंत्री चुनने के लिए चार चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है।

लोकसभा की कुल 543 सीटों में 380 सीटों के लिए वोट डाले चुके हैं। इन चार चरणों की वोटिंग के बाद हर राजनीतिक दल हवा का रुख भांपने को कोशिश कर रहा है लेकिन उनका यह आकलन सत्य से परे हो, बिलकुल ही आधारहीन हो, इसे लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिये अनुकूल नहीं माना जा सकता। यहां सत्ताधारी भाजपा से लेकर विपक्षी कांग्रेस सभी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन चार चरणों में 270 सीटें जीतने का दावा करते हुए 400 का टार्गेट आसानी से पूरा करने की बात कही, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का दावा किया है।

फोटो - सोशल मीडिया

भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जो वायदें किये, उन्हें पूरा किया। 1990 के दशक और 21वीं शताब्दी के शुरुआती सालों में भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के वादे के साथ सत्ता में आई एवं उसने मन्दिर बना दिया। भाजपा ने ख़ुद को पार्टी विद डिफ़रेंस कहकर भी प्रचारित किया और जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने का वादा भी किया। उसने वह भी पूरा किया। पिछले 10 वर्षो में देश ने विकास की जो रफ्तार पकड़ी है, उसे देश एवं दुनिया खुली आंखों से देख रही है। फिर भी चुनाव का समय मतदाताओं के जागने एवं विवेक से अपना मतदान करने की अपेक्षा करता है। लोकतंत्र में मतदाताओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे चुनाव के अवसर पर राजनीतिक दलों की परख करें। झूठों एवं दुष्टों की एकजुटता ही जगत में कष्टों की वजह है एवं लोकतंत्र को कमजोर करने का बड़ा कारण है। जब तक ईमानदार एकजुट नहीं होंगे, तब तक जगत की कोई समस्या हल नहीं होगी। और ईमानदारों का एकजुट न होना दुष्टों एवं झूठों का असली बल है। कभी-कभी ऊंचा उठने, सत्ता पाने और भौतिक उपलब्धियों की महत्वाकांक्षा राष्ट्र को यह सोचने-समझने का मौका ही नहीं देती कि कुछ पाने के लिए उसने कितना खो दिया? और जब यह सोचने का मौका मिलता है तब पता चलता है कि वक्त बहुत आगे निकल गया और तब राष्ट्र अनिर्णय के ऊहापोह में दिग्भ्रमित हो जाता है। इस चुनाव को इस विम्बना से बचाना है।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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