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Corona Vaccine : घबराने या चिंता की बात नहीं, ये रिपोर्ट आई सामने

COVID Vaccine : ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया है कि कोरोना के खिलाफ उसके टीके से टीटीएस पैदा हो सकता है, जो रक्त के थक्के जमने से जुड़ा एक दुर्लभ साइड इफ़ेक्ट है।

Neel Mani Lal
Published on: 1 May 2024 1:52 PM GMT
Corona Vaccine : घबराने या चिंता की बात नहीं, ये रिपोर्ट आई सामने
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COVID Vaccine : ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया है कि कोरोना के खिलाफ उसके टीके से टीटीएस पैदा हो सकता है, जो रक्त के थक्के जमने से जुड़ा एक दुर्लभ साइड इफ़ेक्ट है। टीटीएस या थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम में रक्त के थक्के बन सकते हैं और खून में प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। इस खबर ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया है जिनमें भारत के लोग भी शामिल हैं, जहां करोड़ों लोगों को आस्ट्राज़ेनेका का ‘’कोविशील्ड’’ ब्रांड नाम से टीका लगाया गया था।

क्या भारत में भी लोगों को चिंता करना चाहिए, यह बड़ा और गंभीर सवाल है। मीडिया में इस पर चल रही तमाम रिपोर्टों में वैज्ञानिकों और डाक्टरों के हवाले से बताया गया है कि बहुत चिंता की बात नहीं है, क्योंकि टीके से गंभीर साइड इफ़ेक्ट होने का जोखिम बहुत दुर्लभ है। 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी टीटीएस के बारे में सूचना दी थी। संगठन ने कहा था कि यह एडेनोवायरस वेक्टर-आधारित टीकों से जुड़ी एक दुर्लभ प्रतिकूल घटना है, विशेष रूप से, जिन व्यक्तियों को एस्ट्रा जेनेका या जॉनसन एंड जॉनसन का टीका लगाया गया था।

10 लाख में से सिर्फ आठ में दुष्प्रभाव की संभावना

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा है कि बहुत कम संख्या में लोगों को कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड से खतरा हो सकता है। गंगाखेडकर ने बताया कि कोविशील्ड वैक्सीन प्राप्त करने वाले 10 लाख में से केवल सात से आठ व्यक्तियों को थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) दुष्प्रभाव का अनुभव होने का जोखिम होता है। उनके अनुसार, जब किसी को पहली खुराक मिलती है तो जोखिम सबसे अधिक होता है। यह दूसरी खुराक के साथ कम हो जाता है और तीसरी के साथ सबसे कम होता है। उन्होंने कहा कि कोई भी दुष्प्रभाव शुरुआती दो से तीन महीनों के भीतर दिखाई देने की संभावना है। उन्होंने कहा कि लाखों लोगों पर इस टीके के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए इससे जुड़ा जोखिम न्यूनतम है।

भारत में वैक्सीन के बाद टीटीएस की घटना ज्ञात नहीं

- एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक हैदराबाद एक अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने कहा, कि टीके से संबंधित प्रतिकूल प्रभाव आम तौर पर टीका लगने के 1 से 6 सप्ताह के भीतर होते हैं। इसलिए, भारत में जिन लोगों ने दो साल पहले टीका लिया था, उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यह दुष्प्रभाव पहली खुराक के बाद पहले महीने में ही बताया जाता है, उसके बाद नहीं। उन्होंने कहा कि भारत में वैक्सीन के बाद टीटीएस की घटना ज्ञात नहीं है।

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ ईश्वर के मुताबिक टीटीएस 50,000 लोगों में से एक (0.002 प्रतिशत) तक देखा गया है लेकिन एक बड़ी आबादी में यही संख्या काफी हो जाती है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी कठिनाई ये है कि कोई जटिलता कोविड, लॉन्ग कोविड या वैक्सीन के कारण है ये पता करना मुश्किल है।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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