×

Video: चुनाव की बातें - ODISHA में BJD ने 33 फीसदी Women और 38 फीसदी दलबदलुओं को उतारा

Odisha Election 2024: उड़ीसा में हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव तकरीबन साथ ही हो रहे हैं।

Yogesh Mishra
Published on: 29 April 2024 12:53 PM GMT (Updated on: 11 May 2024 2:00 PM GMT)
X

Odisha Election 2024: महिला आरक्षण को लेकर के बहुत लंबे समय से संसद और सडक दोनों जगहों पर बातचीत आंदोलन , विमर्श यह सब चलता आ रहा है। हाल फ़िलहाल नरेंद्र मोदी ने तैंतीस फ़ीसदी महिलाओं के आरक्षण का ऐलान विधानसभा और लोकसभा में कर दिया है। क़ानून भी बन गया। लेकिन यह क़ानून अगले चुनाव से लागू होगा। पर जब से महिला आरक्षण की बात उठा तब से यह तमाम बार यह भी कहा गया कि जो पॉलिटिकल पार्टियाँ आरक्षण देना चाहती हैं। आरक्षण के पक्ष में हैं। वो कम से कम अपने यहाँ तैंतीस फ़ीसदी महिलाओं को टिकट तो दें। पर किसी पॉलिटिकल पार्टी ने ऐसा नहीं किया। इस बार के चुनाव में बीजू जनता दल एक ऐसी पार्टी है, जिसने यह करके दिखाया । उसने अपने यहाँ तैंतीस फ़ीसदी महिलाओं को टिकट देने का रिकार्ड बनाया है।

राज्य की 21 संसदीय सीटों के लिए नामांकन 11 अप्रैल को समाप्त हो गया। अंतिम दिन बीजद प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लेखाश्री सामंतसिंघर को बालासोर लोकसभा सीट का उम्मीदवार घोषित किया। इससे पहले, पटनायक ने छह अन्य महिलाओं को लोकसभा चुनाव के लिए उतारा है। 2019 में, पटनायक ने जिन सात महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था, उनमें से पांच महिलाएँ जीतने में कामयाब भी हुई थीं।

इस बार नवीन पटनायक ने दो मौजूदा महिला सांसदों, क्योंझर से चंद्राणी मुर्मू और अस्का से प्रमिला बिसोई को हटाकर बदलाव किया, जबकि कोरापुट लोकसभा सीट के लिए कौशल्या हिकाका को फिर से नामांकित किया।

इस बार की सात महिला उम्मीदवार हैं - लेखाश्री सामंतसिंघर बालासोर से, सर्मिष्ठा सेठी जाजपुर से, मंजुला मंडल भद्रक से, राजश्री मल्लिक जगतसिंघौर से, परिणीता मिश्रा बारगढ़ से, कौशल्या हिकाका कोरापुट से और रंजीता साहू अस्का से।

महिलाओं के कोटे को भरने में भले ही नवीन पटनायक कामयाब हुए हों। लेकिन वह अपनी पार्टी को दलबदलुओं से बचा नहीं पाये। इस बार भी उन्हें 38 फीसदी दलबदलुओं को टिकट देना ही पड़ा है।ये हैं लेखाश्री सामंतसिंघर, बालासोर से, भृगु बक्शीपात्रा, बेरहामपुर से, प्रदीप माझी, नबरंगपुर से, सुरेंद्र सिंह भोई, बोलंगीर से परिणीता मिश्रा, बारागढ़ से, धनार्जय सिदु, क्योंझरसे, अंसुमन मोहंती, केंद्रपाड़ा से और मनमोथ राउतराय, भुवनेश्वर से।

सामंतसिंघर ने भाजपा छोड़ कर बीजद का साथ पकडा है। वह भृगु बक्शीपात्रा के बाद लोकसभा चुनाव के लिए बीजद का नामांकन प्राप्त करने वाली दूसरी पूर्व भाजपा विधायक हैं। वह भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री जेना के खिलाफ मैदान में उतरी हैं।

उड़ीसा में हर बार की तरह इस बार भी विधानसभा और लोकसभा के चुनाव तकरीबन साथ ही हो रहे हैं। दिलचस्प यह है कि वहाँ की जनता विधानसभा के लिए तो नवीन पटनायक पर आँख मूँद करके भरोसा करती है। लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए मोदी भी उसके एक विकल्प के रुप में उभरते हैं। भारतीय जनता पार्टी को भी सीटें मिल जाती हैं। विधानसभा में बीजू जनता दल का पिछले ढाई दशक से क़ब्ज़ा है।

2014 के मोदी लहर को भी शिकस्त देने वाले नवीन पटनायक 2000 से यहां के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं। शायद यही कारण है कि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और आइडियल चीफ मिनिस्टर अवार्ड समेत 7 बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं। 147 विधानसभा सीटों वाले ओडिशा राज्य में 2019 में हुए चुनाव में 112 सीटों पर बीजू जनता दल को जीत मिली थी।भाजपा को 23 और कांग्रेस को केवल 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। 5 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के हाथ केवल 1 सीट लगी। इसके अलावा निर्दल उम्मीदवार ने भी एक सीट पर अपना परचम फहराया था। अगर 2014 विधानसभा चुनाव की बात करें तो जिस मोदी लहर में पुराने सियासी पेड़ धराशायी हो गए थे, उस दौरान नवीन पटनायक ने अपने कुर्सी को हिलने से बचा लिया। उस चुनाव में बीजू जनता दल को 117 सीटों पर विजय मिली। जबकि कांग्रेस 16 और भारतीय जनता पार्टी को 10 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। समता क्रांति दल व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को एक-एक सीटें मिलीं। दो निर्दलीय भी जीतने में कामयाब हुए। 2009 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजू जनता दल ने अधिकारी रूप से किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया था। लेकिन लेफ्ट फ्रंट और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सहयोग से सरकार चलाया। इस चुनाव में बीजू जनता दल को 103 सीटें मिलीं। जबकि कांग्रेस 27 और भारतीय जनता पार्टी तो 6 सीटों पर जीत दर्ज कराने में कामयाबी हासिल हुई। एनसीपी को 4 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को 1 सीट हाथ लगीं। इस चुनाव में 6 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते थे। जिन्होंने बीजू जनता दल का समर्थन करके सरकार चलवाया।

ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं। 2019 के चुनाव में बीजू जनता दल को बारह और भारतीय जनता पार्टी को आठ सीटें हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस पार्टी को केवल एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। मोदी लहर के दौरान 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल को 20 सीटों पर विजय हासिल हुई। जबकि भाजपा को महज 1 सीट पर संतोष करना पड़ा। अगर 2009 में हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो कंधमाल दंगे के बाद नवीन पटनायक ने भाजपा का साथ छोड़ा। और तीसरे मोर्चे के साथ आ गए। इस चुनाव में बीजू जनता दल ने 14, कांग्रेस को 6 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को 1 सीट हाथ लगी। हालाँकि 2009 के चुनाव के बाद उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी के वोट प्रतिशत में इज़ाफ़ा देखा जा रहा है। भाजपा को 2014 के चुनाव में 21.50 प्रतिशत वोट मिले थे। 2019 में 38.4 प्रतिशत वोट हासिल हुए। इस बार भारतीय जनता पार्टी को उड़ीसा से काफ़ी उम्मीद है। उसे लगता है कि अड़तीस फ़ीसदी से आगे अगर उसके वोटों में इज़ाफ़ा होता है, तो निश्चित तौर से वह सांसदों की एक बड़ी संख्या भी खड़ी करने में कामयाब होगी।

Admin 2

Admin 2

Next Story