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Dwarka Puri Ka Nirman: कालयावन का मथुरा पर आक्रमण और द्वारका पुरी का निर्माण

Dwarka Puri Ka Nirman: भगवान ने कहा आज हम एक ऐसा दुर्ग बनाएंगे जिसमें किसी भी अन्य पुरुष का अंदर आना अत्यंत कठिन हो। अपने नगर वासियों को उस किले में पहुंचकर फिर हम उस यवन का वध करेंगे।

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Published on: 15 Nov 2023 1:03 PM GMT
Kalayavans attack on Mathura and construction of Dwarka Puri
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कालयावन का मथुरा पर आक्रमण और द्वारका पुरी का निर्माण: Photo- Social Media

Dwarka Puri Ka Nirman: जरासंध कभी किसी से नहीं हारा था। लेकिन जब उसे कृष्ण बलराम से पराजय का सामना करना पड़ा तब उसे बहुत लज्जा आई। वह लज्जित होकर तपस्या करने का विचार करने लगा। परन्तु उसके अपने मंत्रियों ने उसे समझाया कि ये यदुवंशियों में क्या रखा है। वे तुम्हे बिल्कुल पराजित नहीं कर सकते। उन्हें मारने के लिए तपस्या की आवश्यकता नहीं है। यह सुनकर जरासंध वापिस मगध जाकर सेना एकत्रित करने लगा। कुछ समय बाद जरासंध पुनः उतनी ही विशाल सेना लेकर यादवों के साथ युद्ध के लिए आ गया।

परन्तु श्री कृष्ण और बलराम ने पहले की ही भांति उसे पराजित कर दिया। भगवान उसकी पूरी सेना का वध कर देते थे । लेकिन उसे जिंदा छोड़ देते थे, जिससे कि वह सभी असुरों को एकत्रित कर स्वयं ही उनके पास युद्ध करने आ जाए और भगवान पृथ्वी का भार हल्का कर सकें। ऐसे ही एक एक कर जरासंध ने 17 बार मथुरा पर आक्रमण किया। हर बार श्री हरि ने उसे पराजित किया। इसमें भगवान की सेना का एक भी सैनिक नहीं मारा गया। हर बार जरासंध की सेना के करोड़ों असुर योद्धा मारे जाते।

Photo- Social Media

जरासंध का मथुरा पर आक्रमण

अब जरासंध भगवान पर 18 वी बार युद्ध करने ही वाला था उससे पहले नारद जी की प्रेरणा से कालयावन नाम का असुर मथुरा पर आक्रमण करने के लिए आ गया। युद्ध में कालयवन के सामने खड़ा होने वाला वीर कोई दूसरा ना था। जब उसे पता चला कि यदुवंशी हमारे जैसे ही वीर हैं, तब उसने तीन करोड़ मलेक्छों की सेना लेकर मथुरा को चारो तरफ से घेर लिया।

कालयवान की असमय चढ़ाई देखकर भगवान बलराम जी के साथ विचार करने लगे। इस समय मथुरा पुरी पर कालयावान और जरासंध दो दो विपत्तियां एक साथ मंडरा रही है। आज इस यवन ने हमें घेर लिया और आज, कल या परसों में जरासंध पुनः आ ही जाएगा। अगर हम दोनों भाई इससे लड़ने में लगे रहे और उसी समय जरासंध आ गया तो वह हमारे बंधुओ को मार डालेगा या इन्हे कैद करके अपने साथ ले जाएगा। क्योंकि वह भी बहुत बलवान है। भगवान ने कहा आज हम एक ऐसा दुर्ग बनाएंगे जिसमें किसी भी अन्य पुरुष का अंदर आना अत्यंत कठिन हो। अपने नगर वासियों को उस किले में पहुंचकर फिर हम उस यवन का वध करेंगे।

Photo- Social Media

समुद्र के अंदर द्वारकापुरी का निर्माण

अब भगवान ने भयंकर गर्जना करने वाले समुद्र के अंदर एक ही रात में द्वारकापुरी का निर्माण करवाया। जहां विश्वकर्मा ने आठो सिद्धियां स्थापित की। वहां के महल सोने के बने हुए थे और इमारतें आकाश को छूती थी। उस समय इन्द्र ने भगवान के लिए पारिजात वृक्ष और सुधर्मा सभा भेज दी। वह सभा ऐसी थी कि उससे व्यक्ति की भूख प्यास और मृत्युलोक के धर्म नहीं छू पाते थे। वरुण जी ने मन की गति से चलने वाले घोड़े वहां भेज दिए। कुबेर जी ने अपनी सारी विभूतियां वहां भेज दी। उस समय वैसी नगरी तीनों लोको में कहीं ना थी। भगवान ने नगरवासियों को द्वारिका पुरी भेज दिया।

Shashi kant gautam

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