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Maha Shivratri 2024: महाशिवरात्रि की पूजा इसके बिना अधूरा, जानिए क्यों प्रिय है महादेव को धतूरा

Maha Shivratri Dhatoora Ki Mahima: धतूरे को शिवलिंग पर चढ़ाने से माना जाता है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।जानते है शिवरात्रि पर इसकी महिमा...

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 25 Feb 2024 10:45 AM GMT (Updated on: 25 Feb 2024 10:45 AM GMT)
Maha Shivratri 2024: महाशिवरात्रि की पूजा इसके बिना अधूरा, जानिए क्यों  प्रिय है महादेव को धतूरा
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Maha Shivratri Dhatoora Ki Mahima: भगवान शिव को कई प्रकार की सामग्रियां प्रिय हैं, जिनमें से कुछ खास हैं और उनमें से एक है धतूरा। धतूरा भगवान शिव की पूजा में अहम भूमिका निभाता है और इसे उनके आराधक अक्सर उपहार के रूप में अर्पित करते हैं।धतूरा, जिसे वनस्पति के रूप में जाना जाता है, एक प्रकार का वृक्ष होता है जिसके फूलों की खुशबू बेहद मधुर होती है। यह फूल भगवान शिव की पूजा में अच्छादित किया जाता है, खासतौर पर महाशिवरात्रि के दिन। धतूरा के पत्ते, फूल और बीज का उपयोग भगवान शिव की पूजा और ध्यान में किया जाता है।

धतूरा को भगवान शिव को समर्पित करने से माना जाता है कि उसके भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें आनंद, शांति और सुख की प्राप्ति होती है। यह विशेष रूप से महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को धतूरा का अर्पण किया जाता है, जो उनके भक्तों को उनकी प्रार्थनाओं को पूरा करने की शक्ति देता है।

इसके अलावा, धतूरा को आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसके औषधीय गुणों का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है। इसके विभिन्न भागों का उपयोग जानकारी, योग्यता और सावधानी के साथ किया जाना चाहिए, क्योंकि यह विभिन्न प्रकार के असर और प्रतिक्रियाओं को प्रेरित कर सकता है।

धतूरा का धार्मिक महत्व

धतूरा एक वनस्पति का नाम है जिसे भगवान शिव की पूजा में अर्पित किया जाता है। यह एक प्राचीन और धार्मिक महत्व वाला फल है जो भगवान शिव के प्रिय आहार में शामिल है। धतूरा का प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों, पूजा, और आराधना में होता है, जहां इसे अर्पित करके भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किए जाते हैं।

धतूरा फल एक कांटेदार फल होता है, जो आम तौर पर जंगली फल माना जाता है। इसकी खुशबू बहुत ही मधुर होती है, लेकिन इसका जाहरीला प्रभाव भी होता है, जो इसे सावधानी से उपयोग करने की आवश्यकता है। यह फल अपने धार्मिक और चिकित्सीय महत्व के लिए प्रसिद्ध है, और इसे विभिन्न पूजा-अर्चना अवसरों पर उपहार के रूप में उपयोग किया जाता है।

धतूरा का धार्मिक महत्व इतना उच्च माना जाता है कि भगवान शिव को धतूरा चढ़ाने से माना जाता है कि उसके भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें आनंद, शांति और सुख की प्राप्ति होती है। धतूरा को शिवलिंग पर चढ़ाने का विधान विशेष रूप से महाशिवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर अनुसरण किया जाता है।

भगवान शिव के पूजन करते समय धतूरा को उनके शिवलिंग के ऊपर रखा जाता है। धतूरा को अर्पित करते समय ध्यान रखा जाता है कि इसे शिवलिंग के विपरीत दिशा में रखना उचित होता है। इसके बाद धीरे-धीरे धतूरा के ऊपर जल चढ़ाया जाता है, जिससे शिव जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। धतूरा का प्रयोग ध्यान और भक्ति में अहम भूमिका निभाता है, जो शिव की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करता है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव को धतूरा अत्यंत प्रिय है। इसका कारण उनके आध्यात्मिक और भावनात्मक स्वरूप में छुपा हुआ है, जो उनके भक्तों के आध्यात्मिक संबल, शांति और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

धतूरा एक प्राचीन फल है जो भगवान शिव की पूजा और आराधना में उपयोग किया जाता है। इसके आध्यात्मिक महत्व का पता इस प्राचीन पुराणिक कथा से चलता है, जिसमें धतूरा को भगवान शिव की व्याकुलता को शांत करने के लिए प्रयोग किया गया था।

शिव पुराण के अनुसार, एक समय सागर मंथन के दौरान हलाहल विष को पीने के बाद शिव जी का शरीर व्याकुल हो गया। इसके उपचार के लिए, अश्विनी कुमारों ने भगवान शिव को धतूरा, भांग, बेल आदि औषधियों से उपचार किया। इस प्रकार, धतूरा को भगवान शिव के प्रिय सामग्रियों में गिना जाता है।

धतूरा के आध्यात्मिक महत्व के अलावा, इसका वैज्ञानिक भी एक महत्वपूर्ण आधार है। यह शरीर को ऊष्मा प्रदान करने और आत्मिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है।

धतूरा को पूजन और आराधना के अलावा, इसका उपयोग किसी भी काम में नहीं किया जाता है, क्योंकि इसका महत्वपूर्ण स्थान धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों में है। इसे शिव जी की कृपा, आशीर्वाद, और स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, और धतूरा के उपयोग से शांति, स्वास्थ्य, और ध्यान मिलता है।

धतूरा का ज्योतिषीय लाभ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव को धतूरा अर्पित करने से जातक की कुंडली में राहु से संबंधित दोष जैसे कालसर्प और पितृ दोष को काफी हद तक कम किया जा सकता है। ज्योतिषीय उपाय के रूप में, धतूरा का प्रयोग कुछ विशेष प्रकार के यज्ञ या पूजा में किया जाता है, जिससे कुंडली में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को निष्कासित किया जा सकता है।

इसके अलावा, धतूरा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की धार्मिक आराधनाओं में भी किया जाता है, जिससे शिव की कृपा प्राप्त होती है और जातक के जीवन में सुख-शांति आती है।

धतूरा को शिव की पूजा के दौरान अर्पित किया जाता है, जिससे जातक की कुंडली में राहु से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं और वह जीवन में स्थिरता और समृद्धि प्राप्त करता है। इस उपाय को नियमित रूप से करने से जातक को आध्यात्मिक और मानसिक रूप से भी लाभ होता है, जो उसके जीवन में सकारात्मक परिणाम लाता है।

धतूरा को ज्योतिषीय उपाय के रूप में केवल विशेषज्ञ या पंडित के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए, ताकि सही तरीके से इसका प्रयोग किया जा सके और किसी भी अनुचित प्रभाव से बचा जा सके।

किसी काम में सफलता नहीं मिल रही है? तो धतूरे से भगवान शिव की पूजा करें और उन्हें जल से स्नान कराएं। फिर मन से धतूरा उन्हें समर्पित करें, धतूरे का डंठल जलाधरी की दिशा में रखें। यहाँ ध्यान दें कि आपके उद्देश्य की सफलता के लिए भगवान की कृपा प्राप्त हो।

आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को धतूरा अर्पित करें। धतूरे को एक कपड़े में बाँधकर तिजोरी में रखें। इससे आर्थिक संकटों से छुटकारा मिलेगा।

अपने घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए, शाम को भगवान शंकर की पूजा करें। ध्यान केंद्रित करके महादेव को स्मरण करें और उन्हें धतूरा शिवलिंग पर अर्पित करें। "श्री शिवाय नमस्तुभ्यं" मंत्र का जाप करें। इस उपाय से आपके जीवन में धन, संपत्ति, और सुख-समृद्धि का वृद्धि होगा।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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