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Salaam Venky Movie Review: 24 साल के लड़के की ज़िंदादिली की कहानी रुला देगी आपको, काजोल का बेहतरीन प्रदर्शन

Salaam Venky Movie Review: फिल्म सलाम वेंकी आज रिलीज़ हो गयी है। आइये जानते हैं फिल्म की क्या खासियत है और इसको लोगों का कैसा रिस्पांस मिल रहा है।

Shweta Srivastava
Published on: 9 Dec 2022 5:42 AM GMT
Salaam Venky Movie Review
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Salaam Venky Movie Review (Image Credit-Social Media)

Salaam Venky Movie Review: फिल्म सलाम वेंकी आज रिलीज़ हो गयी है। ये फिल्म एक ऐसे ज़िंदा दिल लड़के की सच्ची कहानी है जो महज़ 24 साल में इस दुनिया से अलविदा कह जाता है लेकिन अपने पीछे ज़िन्दगी जीने का असली अंदाज़ समझा जाता है। फिल्म में काजोल की अहम् भूमिका है वो इस 24 साल के लड़के की माँ का किरदार निभा रहीं हैं। आइये जानते हैं फिल्म की क्या खासियत है और इसको लोगों का कैसा रिस्पांस मिल रहा है।

सलाम वेंकी मूवी रिव्यू

रेवती की इस फिल्म में काजोल और विशाल जेठवा मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म में आमिर खान, राहुल बोस, अहाना कुमरा और प्रकाश राज सहायक भूमिकाओं में हैं। ये एक युवा शतरंज खिलाड़ी कोलावेन्नु वेंकटेश की सच्ची कहानी से प्रेरित है, सलाम वेंकी श्रीकांत मूर्ति की किताब द लास्ट हुर्रा का एक रूपांतरण है।

क्या थी वेंकटेश कृष्णन की असली ज़िन्दगी की कहानी

वेंकटेश कृष्णन (विशाल जेठवा द्वारा अभिनीत) नाम के 24 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी "जिंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए" शब्द हैं - जो जेनेटिक डिसऑर्डर डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) से बहादुरी से जूझ रहा हैं। उनका साथ देती हैं उनकी माँ सुजाता प्रसाद ( काजोल ) - वो एक अकेली माँ है जो अपने मरते हुए बेटे की अंग दान की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए एक साहसी कदम आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है।

आश्रम में रहने वाले लोगों के जीवन पर वेंकटेश ने जो छाप छोड़ी है, दृष्टिबाधित नंदिनी (नंदू) और शतरंज के लिए उनका प्यार रेवती की इस फिल्म का आधा हिस्सा है। बाकी ये एक बेबस मां (काजोल का किरदार) के साहस के बारे में है, जिसके संघर्ष को उन्हीं के शब्दों में अभिव्यक्त किया जा सकता है - "वेंकी बहादुर है, मैं नहीं।"

सच्ची कहानी से प्रेरित है फिल्म

युवा शतरंज खिलाड़ी कोलावेन्नु वेंकटेश की सच्ची कहानी से प्रेरित, सलाम वेंकी श्रीकांत मूर्ति की किताब द लास्ट हुर्रा का एक रूपांतरण है। भावपूर्ण ट्रैक जिंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए के साथ, फिल्म की शुरुआत एक समुद्र तट की एक खूबसूरत क्लिप के साथ होती है, जो वेंकी के दिल के बेहद करीब है, जहां उन्होंने अपनी प्रेमिका के साथ अपनी कुछ सबसे प्यारी शामें बिताई थीं।

एक बेबस माँ सुजाता एक एम्बुलेंस के बाहर इंतजार कर रही है, अपनी लगभग फटी हुई साड़ी के पल्लू से लड़खड़ा रही है, क्योंकि उसके बेटे को एक और स्वास्थ्य संबंधी डर के बाद अस्पताल ले जाया गया है। गंभीर रूप से बीमार वेंकी, जो डॉक्टरों की भविष्यवाणी की तुलना में एक दशक से भी अधिक समय तक डीएमडी से लड़ने में कामयाब रहे, क्रिटिकल केयर यूनिट में ले जाए जाने के दौरान वो बुरी तरह से सांस ले रहे हैं। वो अगले कुछ दिन अस्पताल में बिताने वाला है जिसे वो अपना दूसरा घर कहता है।

राजीव खंडेलवाल, डॉ. शेखर के रूप में नज़र आएंगे , एक स्पष्ट रूप से थकी हुई सुजाता को बीच में रोकते हैं, जो भगवान गणेश से अपने बेटे को कुछ और साल देने के लिए कह रही है। वो उसे सूचित करता है कि, इस बार, शायद वेंकी इससे लड़ने में कामयाब न हो पाए।

वहीँ अगले दिन 24 साल का एक जिद्दी युवक अपनी माँ को अंग दान करने के अपने सपने को पूरा करने के लिए राजी करता हुआ दिखाई देता है क्योंकि वो अपनी मृत्युशय्या पर लेटा हुआ है। वेंकी का मस्तिष्क अभी भी कार्य कर रहा है, ऐसा करने का एकमात्र तरीका इच्छामृत्यु का चयन करना है - किसी व्यक्ति के जीवन को समाप्त करने का कार्य उनकी पीड़ा को समाप्त करना - जो भारत में अवैध है। हालांकि, वेंकी की अपने अंगों को पांच अलग-अलग लोगों को दान करने और उन्हें नया जीवन देने की इच्छा राज्य के खिलाफ उसकी मां की कानूनी लड़ाई की ओर ले जाती है।

क्या वेंकी जैसे दुर्लभ मामले में सरकार इच्छामृत्यु की अनुमति देगी? क्या वो अदालत के फैसले तक पहुंचने तक जीवित रहेगा? एक मध्यवर्गीय महिला देश का ध्यान कैसे खींचेगी? क्या राहुल बोस द्वारा अभिनीत एक कम सफल वकील, माँ-बेटे की जोड़ी को इतिहास रचने में मदद करेगा? फिल्म का सार, मुख्य रूप से सेकंड हाफ इन्हीं उत्तरों पर आधारित है।

काजोल का अभिनय वाकई कमाल का है। वो दर्शकों तक अपनी भावनाएं पहुंचने में कामयाब रहीं हैं। वो एक बेबस माँ की भूमिका और उसकी व्यथा को सबके सामने रखने में कामयाब रहीं हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वो एक उम्दा एक्ट्रेस हैं और अपने हर अभिनय के साथ न्याय करती नज़र आ आतीं हैं। वहीँ विशाल जेठवा जिन्होंने वेंकटेश कृष्णन का किरदार निभाया है उनके लिए शब्द काफी नहीं होंगे। उनके लिए दिग्गज अभिनेत्री और उनकी को-स्टार काजोल के शब्दों में कहें तो, "विशाल जेठवा से बेहतर कोई भी वेंकी की भूमिका नहीं निभा सकता था।"

Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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