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CM से पता चला कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं : दिलजीत दोसांझ

Charu Khare
Published on: 24 Jun 2018 8:02 AM GMT
CM से पता चला कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं : दिलजीत दोसांझ
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नई दिल्ली : हॉकी लेजेंड संदीप सिंह की बायोपिक 'सूरमा' में नजर आने वाले गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ का कहना है कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम देश में हॉकी को उतना प्रमोट नहीं कर पाए, जिसका वह हकदार था। हॉकी को देश के राष्ट्रीय खेल के तौर पर भी आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं मिली है।

दिलजीत कहते हैं कि उन्हें यह जानकर हैरत हुई कि हॉकी को देश के राष्ट्रीय खेल के तौर पर आधिकारिक रूप से सम्मान नहीं मिला है और इस बारे में हमें बचपन से स्कूलों में गलत सिखाया जाता रहा है।

दिलजीत ने विशेष बातचीत के दौरान कहा, "संदीप सिंह के बारे में युवा पीढ़ी ज्यादा नहीं जानती। मैं भी उनके बारे में सिर्फ इतना जानता था कि वह हॉकी टीम के कप्तान रह चुके हैं। मुझे उनकी यात्रा उनके संघर्षों के बारे में नहीं पता था। मुझे नहीं पता था कि गोली लगने के बाद वह दो साल तक लकवाग्रस्त रहे और उसके बाद जाकर वह टीम के कप्तान बने और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।"

Image result for diljit dosanjhवह कहते हैं, "संदीप सिंह की कहानी बहुत प्रेरित करने वाली है। यह सिर्फ स्पोर्ट्समैन को ही नहीं, बल्कि आम जन को भी अच्छी लगेगी।"

देश का राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद क्रिकेट की तुलना में हॉकी को गंभीरता से नहीं लिया गया है। इस बारे वह कहते हैं, "हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है। हमें स्कूलों में गलत पढ़ाया गया है। मुझे भी कल ही पता चला कि इसे राष्ट्रीय खेल के लिए आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी गई है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री ने कल ही ट्वीट करके प्रधानमंत्री से गुजारिश की है कि हॉकी को देश के राष्ट्रीय खेल के तौर पर आधिकारिक रूप से मान्यता दी जाए। हम हॉकी में आठ बार ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। दुनिया के लगभग 180 मुल्क हॉकी खेलते हैं, इसके बावजूद हॉकी को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कर पाए।"

Image result for diljit dosanjhइस फिल्म को साइन करने से पहले वह संदीप सिंह के बारे में कितना जानते थे? उन्होंने कहा, "सिर्फ इतना कि वह हॉकी के कप्तान रह चुके हैं। मैंने उनके बारे में ज्यादा सुना या पढ़ा नहीं था, लेकिन फिल्म साइन करने के बाद रोजाना उनसे मिलकर उन्हें जान रहा हूं।"

दिलजीत कहते हैं कि उन्होंने फिल्म के लिए खासा मेहनत की है और रोजाना संदीप से बात कर वह हॉकी से जुड़ी कई चीजों को जान पाए हैं। इस बारे में वह कहते हैं,"हॉकी सीखने के लिए एक महीने तक संदीप सर के साथ प्रैक्टिस की। शूटिंग के दौरान रोजाना ही हॉकी खेलते थे।"

Image result for diljit dosanjhदिलजीत कहते हैं कि हॉकी लीग वगैरह शुरू होने के बाद देश में इस खेल के प्रति जागरूकता बढ़ी है। फिल्मों से भी जागरूकता बढ़ती है। वह कहते हैं, "फिल्मों से जागरूकता बढ़ती है। हमें अपने खिलाड़ियों को सपोर्ट करना चाहिए। लोगों को स्टेडियम में जाकर मैच देखने चाहिए और टीम की हौसलाआफजाई करनी चाहिए, इससे खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ता है।"

वह आगे कहते हैं,"यह हमारी कमी है कि हम हॉकी को उतना प्रमोट नहीं कर पाए, जिसकी वह हकदार थी। देश में आज क्रिकेट का जो मुकाम है, वह हॉकी को भी मिलना चाहिए था। दुनिया के 12 से 13 मुल्क क्रिकेट खेलते हैं, लेकिन हॉकी 180 मुल्कों में खेला जाता है। पता नहीं हमारी कमी कहां रह गई।"

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