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Asthma Kya Hota Hai: दमा के मरीजों के लिए रामबाण है दालचीनी, इन खास चीजों के सेवन से नहीं पड़ेगा अटैक

Asthma Kya Hota Hai: आजकल के अनियमित खान-पान और जीवनशैली भी अस्थमा या दमा रोग को जन्म दे रहीं है। ऐसे में दमा के मरीजों को अपने खानपान को लेकर काफी सतर्क रहना होता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti MishraPublished By Shreya
Published on: 4 April 2022 9:01 AM GMT
Asthma Kya Hota Hai: दमा के मरीजों के लिए रामबाण है दालचीनी, इन खास चीजों के सेवन से नहीं पड़ेगा अटैक
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अस्थमा (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Asthma Kya Hota Hai: अस्थमा या दमा यह एक ऐसी बीमारी, जिसमें सांस की नली में सूजन आ जाने के कारण लोगों को सांस लेने में ही कठिनाई होने लगती है। वायु प्रदूषण, गर्मियों में उड़ने वाले धूल -कण, सर्दी और डस्ट इस बीमारी को और गंभीर रूप से बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार है। आज कल के अनियमित खान-पान और जीवनशैली भी इस रोग को जन्म दे रहीं है।

बता दें कि स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक खाना सभी लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक होते हैं। वहीं दमा के मरीजों को अपने खानपान को लेकर काफी सतर्क रहना होता है, क्योंकि कई ऐसी चीजे हैं, जिनका इस्तेमाल जो दमा के मरीजों की तकलीफ़ों को बढ़ा सकती हैं। बता दें कि अस्थमा दो प्रकार का होता है। पहला बाहरी और

दूसरा आंतरिक अस्थमा। गौरतलब है कि संक्रमण, तनाव, खांसी आदि अस्थमा की स्थिति को और खराब कर सकते हैं। ऐसे में दमा के मरीज़ों को अपने खान-पान का बहुत ज्यादा ख्याल रखना चाहिए।

दमा (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अस्थमा के लिए घरेलू इलाज (Asthma Treatment)

- क्या आप जानते हैं कि आपके किचन में मौजूद दालचीनी अस्थमा के मरीज़ों के लिए किसी दवा से कम नहीं हैं। जी हाँ , दालचीनी (Cinnamon) में मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य कई पोषक तत्व दमा के रोगियों के लिए चमत्कारी रूप में काम करते हैं। इतना ही नहीं इसमें मौजूद कई एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण होते हैं शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं। बता दें कि दालचीनी (Cinnamon ) एक मसाला है। जिसकी छाल तेजपात की वृक्ष छाल से अधिक पतली, पीली, और अधिक सुगन्धित होती है। भूरे रंग की मुलायम, और चिकने इनके फलों को तोड़ने पर भीतर से तारपीन जैसी तेज़ गन्ध आती है। दालचीनी अस्थमा और डायबिटीज के मरीज़ों के लिए रामबाण का काम करती है।

शहद और दालचीनी का उपयोग अस्थमा के मरीजों के लिए काफी लाभप्रद होता है। रात में सोने से पहले दो से तीन चुटकी दालचीनी के साथ एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित खाने से फेफड़ों में काफी आराम मिलता है। जिसके वजह से दमा के मरीज़ काफी संतुलित महसूस करते हैं। रोज़ाना दालचीनी और शहद का सेवन अस्थमा के मरीज़ों को फेफड़ों की परेशानियों से निज़ात दिलाता है। इसके अलावा और भी कई ऐसी खास चीज़ें हैं जिनके उपयोग से दमा के मरीज़ अपनी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं। जिनमें कुछ प्रमुख हैं।

- दालों में मौजूद प्रचुर मात्रा में प्रोटीन फेफड़ों के लिए बेहद लाभदायक होती है। बता दें कि काला चना, मूंग दाल, सोयाबीन और अन्य कई ऐसी दालें हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होती हैं। ये सभी दालें फेफड़ों को सही से काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। इसलिए दमा के मरीजों के लिए इन दालों का सेवन बेहद लाभप्रद है। इतना ही नहीं दालों के सेवन से पाचन शक्ति भी बेहद मजबूत होती है।

- हरी सब्जियां का नियमित सेवन भी फेफड़ों के लिए काफी फायदेमंद होता हैं।बता दें कि हरी सब्जियों का सेवन फेफड़ों में कफ को जमने नहीं देता है , जिससे अस्थमा के रोगियों को अटैक आने जैसी समस्यायें बेहद कम हो जाती हैं। इतना ही नहीं प्रतिदिन हरी सब्जियों का सेवन शरीर की आँतों और फेफड़ों को स्वस्थ रखते हुए उन्हें भी ठीक तरह से काम करने के लिए तैयार करता है।

- विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ भी फेफड़ों की सुरक्षा में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। विटामिन सी में मौजूद भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सिडेंट फेफड़ों की सुरक्षा करता है। एक शोध के अनुसार जो लोग अधिक विटामिन सी युक्त पदार्थ का सेवन करते है , उन्हें अस्थमा या दमा के अटैक आने का खतरा बहुत कम होता है। इसलिए डॉक्टर दमा के मरीजों को संतरा, ब्रोकली, कीवी, खरबूजा आदि खाने की सलाह देते हैं।

- नियमित तुलसी का सेवन भी दमा के मरीज़ों के लिए बेहद लाभदायक होता है। तुलसी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट गुण दमा अटैक आने की आशंका बहुत कम कर देते हैं। इसके लिए तुलसी के पत्तों को चाय में भी डालकर पिया जा सकता है। बता दें कि तुलसी के नियमित सेवन से इम्यून सिस्टम बेहतरीन हो जाता है। इतना ही नहीं तुलसी दमा के मरीज़ों को सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों से भी बचती है।

- सेब का नियमित सेवन भी अस्थमा अटैक की आशंका को 32 प्रतिशत तक कम कर देता है। सेब में मौजूद फ्लैवोनाइड तत्व फेंफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में बेहद सहायक होने के कारण दमा के मरीजों के लिए अत्यंत फायदेमंद साबित होते है।

- कॉफी या ब्लैक टी में पाया जाने वाला कैफीन एक प्रकार का ब्रॉन्कोलाइटर है, जो फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने का काम करता है। इतना ही नहीं इसका नियमित प्रयोग शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति भी लाता है।

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