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Ischemic Stroke : क्या आप जानते हैं क्या होता है इस्केमिक स्ट्रोक, एक्सपर्ट्स से जानें बचने का तरीका

Ischemic Stroke : आजकल ब्रेन से संबंधित बीमारियां बढ़ती चली जा रही है। इनमें से एक बीमारी इस्केमिक स्ट्रोक भी है।

Richa Vishwadeepak Tiwari
Published on: 21 Feb 2024 3:45 AM GMT
Ischemic Stroke
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Ischemic Stroke (Photos - Social Media)

Ischemic Stroke : आजकल बदलती हुई जीवन शैली के साथ बीमारियां भी बदलने लगी है। पहले जहां दो-चार गिनी चुनी बीमारियां होती थी। वहीं अब ऐसी ऐसी बीमारियां होने लगी है। जिसके बारे में किसी के लिए भी बहुत मुश्किल हो गया है। आजकल हार्ट और ब्रेन डिजीज बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं जो लोगों की जान ले रहे हैं। आजकल ब्रेन में भी कई तरह की बीमारियां होने लगी है। एक बीमारी इसकेमिक स्ट्रोक भी है, जो ब्रेन में ब्लड का फ्लो ठीक से ना होने पर हो जाती है। कई बार ब्रेन में खून के थक्के जम जाते हैं, जिनका समय पर इलाज न किया जाए तो मौत भी हो सकती है। पिछले कुछ समय में स्ट्रोक के मामले बढ़ गए हैं। पहले ये बढ़ती उम्र के साथ होते थे लेकिन अब ये कम उम्र में होने लगे हैं।

बीमारी के कारण

इस्केमिक स्ट्रोक का मुख्य कारण एथेरोस्क्लेरोसिस, या वसा जमा (प्लाक) है जो रक्त वाहिका की दीवारों पर जमा होता है। वसायुक्त जमाव दो प्रकार की रुकावट पैदा कर सकता है: सेरेब्रल थ्रोम्बोसिस एक थ्रोम्बस (रक्त का थक्का) है जो मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त वाहिका के भीतर फैटी प्लाक के स्थान पर विकसित होता है।सेरेब्रल एम्बोलिज्म एक रक्त का थक्का है जो हृदय या ऊपरी छाती या गर्दन की बड़ी धमनियों में या संचार प्रणाली में किसी अन्य स्थान पर बनता है। रक्त के थक्के का एक हिस्सा ढीला हो जाता है, रक्तप्रवाह में प्रवेश करता है और मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं के माध्यम से तब तक चलता रहता है जब तक कि यह उन वाहिकाओं तक नहीं पहुंच जाता जो इसे निकलने देने के लिए बहुत छोटी होती हैं।

Ischemic Stroke


स्ट्रोक के उपचार

जटिलताओं का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए मरीज को निगरानी में रखा जाता है।

स्ट्रोक का कारण ढूंढ कर

आगे के स्ट्रोक को रोकने के लिए पहचान करना और उपचार शुरू करना।

दूसरे स्ट्रोक को रोकने के लिए तैयारी सहित अगले चरणों के लिए मरीज का इलाज कैसे किया जाएगा इसपर ध्यान दिया जाता है।

एम्बोलिज़्म का एक मुख्य कारण अनियमित दिल की धड़कन है जिसे एट्रियल फ़िब्रिलेशन कहा जाता है । इससे हृदय में थक्के बन सकते हैं, निकल सकते हैं और मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं।

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Richa Vishwadeepak Tiwari

Richa Vishwadeepak Tiwari

Content Writer

मैं रिचा विश्वदीपक तिवारी पिछले 12 सालों से मीडिया के क्षेत्र में सक्रिय हूं। 2011 से मैंने इस क्षेत्र में काम की शुरुआत की और विभिन्न न्यूज चैनल के साथ काम करने के अलावा मैंने पीआर और सेलिब्रिटी मैनेजमेंट का काम भी किया है। साल 2019 से मैंने जर्नलिस्ट के तौर पर अपने सफर को शुरू किया। इतने सालों में मैंने डायमंड पब्लिकेशंस/गृह लक्ष्मी, फर्स्ट इंडिया/भारत 24, UT रील्स, प्रातः काल, ई-खबरी जैसी संस्थाओं के साथ काम किया है। मुझे नई चीजों के बारे में जानना, लिखना बहुत पसंद हैं , साथ ही साथ मुझे गाना गाना, और नए भाषाओं को सीखना बहुत अच्छा लगता हैं, मैं अपने लोकल भाषा से बहुत प्रभावित हु जिसमे , अवधी, इंदौरी, और बुंदेलखंडी आती हैं ।

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