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Liver disease and Dementia: लिवर की बीमारी का डिमेंशिया से है सीधा रिश्ता

Liver disease and Dementia: नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (एनएएफएलडी) से ग्रसित लोगों के लीवर में फैट सेल्स का निर्माण होने के कारण डिमेंशिया का खतरा अधिक होता है।

Preeti Mishra
Written By Preeti Mishra
Published on: 19 July 2022 11:36 AM GMT (Updated on: 19 July 2022 11:37 AM GMT)
Liver disease and Dementia
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Liver disease and Dementia (Image credit : social media)

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Liver disease and Dementia: आजकल अनियमित लाइफस्टाइल के कारण लोगों में लिवर की समस्या भी तेज़ी से बढ़ रही है। इसे नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के रूप में जाना जाता है। बता दें कि इस प्रकार के फैटी लिवर से लिवर में सूजन (सूजन), लिवर स्कारिंग (सिरोसिस), लिवर कैंसर, लिवर की विफलता और मृत्यु भी हो सकती है। हालाँकि फैटी लिवर एक बेहद सामान्य लिवर की बीमारी है और लगभग 5-20 प्रतिशत तक भारतीय इससे ग्रसित बताये गए है।

उल्लेखनीय है कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (एनएएफएलडी) से ग्रसित लोगों के लीवर में फैट सेल्स का निर्माण होने के कारण डिमेंशिया का खतरा अधिक होता है। बता दें कि नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) लीवर की एक बेहद आम बीमारी है, जो दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी को प्रभावित कर रही है।

आपको बता दें कि इस रोग में यकृत कोशिकाओं में वसा के संचय से लीवर की सूजन और लीवर सिरोसिस तक बढ़ सकता है।मुख्य रूप से अत्यधिक शराब का सेवन फैटी लीवर का मुख्य कारण बन सकता है, लेकिन मोटापे और संबंधित स्थितियों जैसे उच्च रक्तचाप या टाइप 2 मधुमेह के कारण भी एनएएफएलडी हो सकता है।

हालिया एक रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि एनएएफएलडी वाले लोग जिन्हें हृदय रोग होने के स्ट्रोक भी हुआ है, ऐसे लोगों में डिमेंशिया होने का खतरा और भी अधिक हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों को लीवर की बीमारी नहीं है, उनकी तुलना में एनएएफएलडी वाले लोगों में डिमेंशिया की दर 38 प्रतिशत तक अधिक है।

गौरतलब है कि मस्तिष्क में अपर्याप्त रक्त प्रवाह के कारण होने वाले डिमेंशिया को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने यह पाया कि एनएएफएलडी वाले लोगों में लीवर की बीमारी अन्य लोगों की तुलना में 44 प्रतिशत से अधिक थी। लेकिन शोधकर्ताओं ने ऐसे लोगों में अल्जाइमर रोग के लक्षण नहीं पाये।

बता दें कि लीवर की बीमारी वाले लोग जिन्हें हृदय रोग भी था, उनमें डिमेंशिया होने का खतरा 50 प्रतिशत अधिक था। इसके अलावा जिन लोगों को लीवर की बीमारी और स्ट्रोक था, उनमें भी डिमेंशिया का खतरा 2.5 गुना अधिक था। इतना ही नहीं रिसर्च में यह भी बात सामने आयी है कि गैर-मादक वसायुक्त यकृत रोग डिमेंशिया से जुड़ा है, जो मुख्य रूप से मस्तिष्क में किसी प्रकार की चोट के कारण भी हो सकता है। फलस्वरूप ये परिणाम बताता है कि लीवर और हृदय रोग एक साथ होने पर इसके उपचार से डिमेंशिया का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है।



Preeti Mishra

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Content Writer (Health and Tourism)

प्रीति मिश्रा, मीडिया इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। डिजिटल के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम करने का तजुर्बा है। हेल्थ, लाइफस्टाइल, और टूरिज्म के साथ-साथ बिज़नेस पर भी कई वर्षों तक लिखा है। मेरा सफ़र दूरदर्शन से शुरू होकर DLA और हिंदुस्तान होते हुए न्यूजट्रैक तक पंहुचा है। मैं न्यूज़ट्रैक में ट्रेवल और टूरिज्म सेक्शन के साथ हेल्थ सेक्शन को लीड कर रही हैं।

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