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Justice S Abdul Nazeer: अब्दुल नजीर बने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल, अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में सुनाया था ऐतिहासिक फैसला

Justice S. Abdul Nazeer: आंध्र प्रदेश के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस अब्दुल नजीर को सौंपी गई है जबकि आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया गया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 12 Feb 2023 6:30 AM GMT
Justice S. Abdul Nazeer
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Justice S. Abdul Nazeer (Pic: Social Media)

Justice S. Abdul Nazeer: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 राज्यों के राज्यपाल और उपराज्यपालों में फेरबदल किया है। आंध्र प्रदेश के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस अब्दुल नजीर को सौंपी गई है जबकि आंध्रप्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया गया है। जस्टिस नजीर अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ में शामिल थे। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था और उनके इस रुख की काफी चर्चा हुई थी।

जस्टिस नजीर पिछ ले महीने की 4 तारीख को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए हैं और रिटायरमेंट के करीब 40 दिन बाद ही उन्हें आंध्र प्रदेश के राज्यपाल पद की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जस्टिस नजीर से पहले पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था। गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने ही राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

संघर्षपूर्ण रहा है जीवन

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस नजीर का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने बचपन में ही अपने पिता को खो दिया था और इस कारण उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी। फिर भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और मुसीबतों से लड़ते हुए स्नातक की पढ़ाई पूरी की। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने लॉ की पढ़ाई की फिर उन्होंने कर्नाटक की अदालतों में प्रैक्टिस का काम शुरू किया। बाद में धीरे-धीरे उन्होंने वकालत के पेशे में काफी नाम कमाया और उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज तक का सफर तय करने में कामयाबी मिली।

राममंदिर के पक्ष में सुनाया था फैसला

वे पिछले महीने की 4 तारीख को सुप्रीम कोर्ट के जज पद से रिटायर हुए हैं। इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस नजीर ने अयोध्या विवाद की भी चर्चा की थी। उनका कहना था कि अयोध्या विवाद के संबंध में वे बाकी चार जजों से अलग राय रखते हुए अपने समुदाय के हीरो बन सकते थे मगर उन्होंने देश हित को ध्यान में रखते हुए यह कदम नहीं उठाया।

उल्लेखनीय है कि अयोध्या विवाद की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने एकमत होकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया था। सर्वोच्च न्यायालय की और से 9 नवंबर 2019 को सुनाए गए इस फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण काफी जोरों पर चल रहा है।

नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था

जस्टिस नजीर नोटबंदी और ट्रिपल तलाक पर फैसला सुनाने वाली महत्वपूर्ण बेंच के भी सदस्य रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने नोटबंदी के सरकार के फैसले को सही ठहराया था। पीठ का कहना था कि पांच सौ और एक हजार का नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। बेंच का यह भी कहना था कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता।

पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। इनमें से चार जजों ने नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था जबकि जस्टिस नागरत्ना ने चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा था। उन्होंने नोटबंदी के फैसले को गैरकानूनी बताया था।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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