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CBSE ने SC से कहा- ये कदम उठाए जाते तो ना होती प्रद्युम्न की हत्या

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि स्कूल मैनेजमेंट ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सचेत रूप से और ईमानदारी से किया गया होता तो गुरुग्राम के स्कूल में हुई प्रद्युम्न ठाकुर की दुर्भाग्यशाली मौत को टाला जा सकता था।

tiwarishalini
Published on: 5 Oct 2017 10:54 AM GMT
CBSE ने SC से कहा- ये कदम उठाए जाते तो ना होती प्रद्युम्न की हत्या
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CBSE ने SC से कहा- ये कदम उठाए जाते तो ना होती प्रद्युम्न की हत्या

नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि स्कूल मैनेजमेंट ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन सचेत रूप से और ईमानदारी से किया गया होता तो गुरुग्राम के स्कूल में हुई प्रद्युम्न ठाकुर की दुर्भाग्यशाली मौत को टाला जा सकता था। प्रद्युम्न के पिता के वकील ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने स्कूल मैनेजमेंट की ओर से कई कथित कमियों को सूचीबद्ध किया है।

सात साल के प्रद्युम्न की 8 सितंबर को गुरुग्राम के सोहना रोड पर भोंडसी इलाके में रयान इंटरनेशनल स्कूल के टॉयलेट में हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उसके पिता वरुण चंद्र ठाकुर इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए।

ठाकुर के वकील सुशील के. टेकरीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में सीबीएसई का शपथपत्र बताता है कि स्कूल मैनेजमेंट, परिसर में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में विफल रहा है।

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टेकरीवाल ने शपथ पत्र का हवाला देते हुए कहा, "रयान स्कूल मैनेजमेंट ने स्टूडेंट्स को पीने का पानी प्रदान नहीं किया और न ही परिसर में कोई आरओ प्लांट स्थापित किया गया। परिसर में बोरवेल के पानी की आपूर्ति की जाती थी।"

उन्होंने कहा कि सीबीएसई ने अपने शपथपत्र में यह भी कहा है कि परिसर में प्रमुख जगहों पर कोई रैंप नहीं था, ना कोई क्लोज सर्किट टेलीविजन था, और स्कूल भवन के अंदर दो मंजिलों पर प्रयोग में न आने वाली कक्षाओं में ताले तक नहीं लगाए गए थे।

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टेकरीवाल ने कहा कि सीबीएसई के शपथपत्र में स्कूल के अंदर कई गंभीर अनियमितताएं और सुरक्षा खामियों का उल्लेख किया गया है, जैसे स्टूडेंट्स के साथ टॉयलेट तक जाने के लिए कोई अटेंडेंट नहीं होता था, गैर-शिक्षण स्टाफ और बच्चों के लिए अलग-अलग टॉयलेट नहीं था, बाथरूम और रेस्टरूम नहीं मुहैया कराया गया था।

वकील ने कहा कि हत्या के तुरंत बाद स्कूल मैनेजमेंट ने न तो पुलिस को सूचित किया और न ही कोई प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके अलावा स्कूल के परिसर की दीवारों पर ऊंचाई पर्याप्त नहीं थी और न ही उन पर कांटेदार तार लगाए गए थे।

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प्रद्युम्न के पिता ने कहा कि इस मामले में सीबीएसई के शपथपत्र ने सुप्रीम कोर्ट में उनका साथ दिया है और उन्होंने उम्मीद जताई है कि उन्हें न्याय जरुर मिलेगा।

इस नृशंस हत्याकांड में प्रद्मुम्न के पिता को कानूनी सहायता मुहैया करा रहे मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ.बीरबल झा ने भी सीबीएसई द्वारा पेश किए गए तथ्यों का स्वागत किया और दोहराया कि हाथी और चींटी की इस लड़ाई में जीत चींटी की होगी, क्योंकि जीत हमेशा सच्चाई की होती है।

--आईएएनएस

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