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Delhi Government: सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद भी नहीं रुकी सरकार व उपराज्यपाल के बीच रार, फिर पहुंची ‘आप’ न्यायालय

Delhi Government: सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के फैसले का अधिकार मिलने के बाद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सरकार के सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को गुरुवार को उनके पद से हटा दिया था। जिसको उपराज्यपाल के आफिस ने अवैध करार दिया।

Viren Singh
Published on: 12 May 2023 2:22 PM GMT (Updated on: 12 May 2023 3:08 PM GMT)
Delhi Government: सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद भी नहीं रुकी सरकार व उपराज्यपाल के बीच रार, फिर पहुंची ‘आप’ न्यायालय
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Delhi Government: आखिर दिल्ली का असली बॉस कौन है उपराज्यपाल या फिर जनता को वोटों से चुनी हुई सरकार यानी ‘आप’ पार्टी...इस पर रार गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद भी बनी हुई है। फैसला आए कुछ घंटे नहीं बीते कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी ‘आप’ के नेतृत्व वाली अरविंद केजरीवाल सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा दिया। इस दौरान आप ने कोर्ट में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उसके सेवा सचिव के तबादले को लागू नहीं कर रहा है और साथ ही, कहा कि यह शीर्ष अदालत का एक प्रकार से आदेश की अवमानना भी है।

इन वजहों से होती थी उपराज्यपाल और सरकार में टकराव

दरअसल, दिल्ली केंद्र शासित राज्य होने की वजह से बीते कई सालों से उपराज्यपाल और सरकार के बीच कई फैसलों को लेकर टकराव की स्थिति देखने को मिली रही थी। इसमें राज्य के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार शामिल थे। इसी पर गुरुवार को शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सेवाओं के प्रशासन पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं। हालांकि फैसला का एक दिन भी नहीं बीता कि आप ने फिर से शीर्ष अदालत की ओर रुख करते हुए उपराज्यपाल द्वारा सेवा सचिव के तबादले को लागू नहीं करने का आरोप लगया।

सिंघवी ने रखा कोर्ट में दिल्ली सरकार का पक्ष

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने कल ही फैसला सुनाया और अब अवमानना हो सकती है। सिंघवी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत इस अदालत के आदेश की अवमानना हो सकती है और एक पीठ को इस पर तत्काल सुनवाई करने की जरूरत है। इस पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह अगले सप्ताह मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेंगे।

सिंघवी ने शीर्ष अदालत को बताया कि वे कह रहे हैं कि हम किसी का तबादला नहीं करेंगे। कल दिए गए फैसले के मद्देनजर मैं अवमानना याचिका दायर कर सकता हूं, लेकिन इसमें समय लगेगा। इसलिए कृपया मामले को सूचीबद्ध करें।

अधिकार मिलते ही केजरीवाल ने किया ट्रांसफर

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के फैसले का अधिकार मिलने के बाद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली सरकार के सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे को गुरुवार को उनके पद से हटा दिया था। और उनके स्थान पर दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सीईओ ए के सिंह नियुक्ति किया था। सिंह 1995-बैच (एजीएमयूटी कैडर) के आईएएस अधिकारी हैं।

मोरे को ट्रांसफर को उपराज्यपाल ने अवैध करार दिया

दिल्ली के सेवा विभाग के सचिव आशीष मोरे के दिल्ली सरकार द्वारा किए गए टासंफर को उपराज्यपाल ऑफिस ने अवैध करार दिया। दिल्ली एलजी सचिवालय में तैनात कुछ लोगों का कहना है कि सचिव सेवा का स्थानांतरण अवैध, मनमाना और निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन किए बिना किया गया है। एक अधिकारी का तबादला कार्यकाल पूरा होने से पहले केवल सिविल सेवा बोर्ड द्वारा होता है। हालांकि इस ट्रांसफर इस प्रक्रिया का फॉलो नहीं किया गया है।

CJI ने सुनाया था ये फैसला

CJI की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच आठ साल से चले आ रहे विवाद को खत्म करते हुए गुरुवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था। आप सरकार और केंद्र के प्रतिनिधि, उपराज्यपाल के बीच अक्सर होने वाली खींचतान की पृष्ठभूमि के खिलाफ शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि एक निर्वाचित सरकार को नौकरशाहों पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है, जिसके विफल होने पर सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

Viren Singh

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