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Kashmir Issue: कश्मीर पर क्यों पाकिस्तान की भाषा बोलने लगा जर्मनी, कहीं ये तो वजह नहीं

Kashmir Issue: 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को लेकर भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले के खिलाफ पाकिस्तान वैश्विक शक्तियों से भारत के खिलाफ समर्थन मांग रहा है।

Krishna Chaudhary
Published on: 9 Oct 2022 10:56 AM GMT
Kashmir Issue
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कश्मीर पर क्यों पाकिस्तान की भाषा बोलने लगा जर्मनी

Kashmir Issue: पाकिस्तान अब भी 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को लेकर भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले को पचा नहीं पाया है। भीषण आर्थिक संकट, प्रलयकारी बाढ़ के कारण हुए जबरदस्त नुकसान और देश के अंदर मचे सियासी उथलपुथल जैसे आंतरिक संकटों से निपटने की बजाय वह वैश्विक शक्तियों से कश्मीर मसले पर भारत के खिलाफ मदद मांग रहा है। एक अहम यूरोपीय ताकत जर्मनी ने उसे अपना समर्थन भी दिया, जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

जर्मनी के विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को शामिल करने की सिफारिश की है। मालूम हो कि भारत ने हमेशा से कश्मीर मसले पर किसी भी तीसरे देश के हस्तक्षेप की बात को हमेशा से अस्वीकार किया है। जबकि इसके उलट पाकिस्तान ने हमेशा से इसमें किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप को स्वीकार किया है। ऐसे समय में जब दुनिया के अधिकतर मुल्कों ने जिनमें ताकतवर और प्रभावी अरब मुस्लिम देश भी शामिल हैं, ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के बजाय भारत का समर्थन किया है, तब जर्मनी ने एक तरह से भारत को नाराज करने वाला स्टेंड क्यों लिया है। विदेशी नीति के जानकार इसकी कुछ वजहें बता रहे हैं।

रूस–यूक्रेन जंग पर भारत के पोजिशन से नाखुश

बर्लिन पर नजर रखने वालों का मानना है कि मोदी सरकार के खिलाफ जर्मनी के गुस्से का एक बड़ा कारण यूक्रेन युद्ध पर बर्लिन के नेतृत्व वाली पश्चिमी लाइन पर नहीं चलना है। जबकि जर्मनी यूक्रेन के आक्रमण के लिए रूस को सैन्य और आर्थिक रूप से अपने घुटनों पर लाने में सबसे आगे रहा है। भारत की रणनीतिक रूप से स्वायत्त स्थिति है जो दोनों पक्षों की शत्रुता को समाप्त करने की वकालत करती है। भारत ने न केवल रूसी राष्ट्रपति बल्कि यूक्रेन के नेता के सामने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। यूक्रेन युद्ध और उसकी मजबूरियों पर भारत के रुख के बारे में करीबी सहयोगी अमेरिका और फ्रांस को बता दिया गया था। लेकिन स्पष्ट रूप से जर्मनी चाहता था कि यूक्रेन में युद्ध पर पश्चिम का अनुसरण न करने के लिए भारत को दंडित किया जाए। ऑडी और मर्सिडीज कारों के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन पर क्वाड के कड़े रुख से जर्मनी की ऑटो-कार की बिक्री और निर्यात पर भी असर पड़ा है।

अमेरिका की भारत से बढ़ती करीबी

जर्मन नेतृत्व भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका से भी ईर्ष्या करता है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले महीने यूएनजीए में अपने भाषण में विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत, जापान और ब्राजील के लिए अमेरिकी समर्थन का संकेत दिया था। जर्मनी नाटो का सहयोगी और एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति होने के बावजूद बाइडन ने विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए बर्लिन की उम्मीदवारी के लिए समर्थन की पेशकश नहीं की।

इसके अलावा पाकिस्तान को समर्थन करने के पीछे जर्मनी का एक अपना निजी स्वार्थ भी है। दरअसल, नाटो का सहयोगी होने के नाते जर्मन सेना भी अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ दो दशकों से लड़ रही थी। इस दौरान कई अफगानों ने जर्मनी के साथ काम किया था, वो तालिबान के हाथ में सत्ता आने के बाद देश छोड़ना चाहते हैं। जर्मनी ऐसे लोगों की सुरक्षित निकासी चाहता है, जिसमें पाकिस्तान मददगार साबित हो सकता है। ऐसे अफगान प्रवासियों की संख्या हजारों में है। साथ ही जर्मनी ये भी चाहता है कि पाकिस्तान कट्टरपंथी सून्नी पश्तुनों को उसके यहां आने से रोके।

भारत का दो टूक जवाब

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में कश्मीर मसले पर पाक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेरबॉक के संयुक्त बयान को भारत ने खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि कश्मीर हमारा आपसी मसला है, इसमें थर्ड पार्टी का कोई रोल नहीं है। उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय की अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को समाप्त करने की जिम्मेदारी है। जम्मू और कश्मीर में दशकों से इस तरह के आतंकवादी हमले हो रहे हैं, जो अब तक जारी हैं।

बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने अपने हालिया जर्मनी के दौरे पर कहा था कि 2019 में जम्मू कश्मीर से स्पेशल स्टेटस छिन लिया गया। इसके बाद से पाकिस्तान लगातार इस मुद्दे को उठा रहा है। हम उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब संयुक्त राष्ट्र इस विवाद को खत्म करने के लिए एक सही भूमिका निभाएगा।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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