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Gujarat Danga 2002: गुजरात दंगा और तीस्ता सीतलवाड़, जानें इनके बारे में

Gujarat Danga 2002: मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने आज फैसला सुनाते हुए कहा, कि गिरफ्तारी के बाद से तीस्ता या तो रिमांड में या तो कस्टडी में रहीं।

Krishna Chaudhary
Published on: 2 Sep 2022 11:57 AM GMT (Updated on: 2 Sep 2022 12:06 PM GMT)
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Social Activist Teesta Setalvad

Gujarat Danga 2002 Teesta Setalvad: गुजरात दंगों (Gujarat Riots) को लेकर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ महीनों बाद जेल से बाहर आएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है। अदालत ने तीस्ता से पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए कहा है। जब तक हाईकोर्ट से उन्हें रेगुलर बेल नहीं मिल जाती, तब तक वो देश से बाहर नहीं जा सकती हैं।

मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित (Chief Justice UU Lalit) ने आज फैसला सुनाते हुए कहा, कि गिरफ्तारी के बाद से तीस्ता या तो रिमांड में या तो कस्टडी में रहीं। इसलिए अब उन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता। तीस्ता कल यानी शनिवार को कानूनी प्रक्रिया पूरी कर जेल से बाहर आएंगी। उन्हें 25 जून को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने मुंबई से गिरफ्तार किया था। 30 जुलाई को लोअर कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।

कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़ (Who is Teesta Setalvad)?

तीस्ता सीतलवाड़ का जन्म महाराष्ट्र में 1962 में हुआ था। उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जिसने ब्रिटिश काल से ही वकालत के पेशे में नाम कमाया है। उनके परदादा चिमनलाल सीतलवाड़ अंग्रेजों के जमाने के जाने-माने वकील थे। उनके पूर्वज गुजरात में न्यायिक अदालतों से जुड़े थे। चिमनलाल सीतलवाड़ उस 8 सदस्यीय समिति के सदस्य थे, जिसे जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इसे हंटर आयोग नाम दिया गया था। चिमनलाल आयोग की तीसरे भारतीय मेंबर थे। तीस्ता के दादा एम सी सीतलवाड़ आजाद भारत के पहले अटॉर्नी जनरल थे। तीस्ता के पिता अतुल सीतलवाड़ भी देश के जाने माने वकील रहे थे।

वकालत छोड़ पत्रकारिता में आ गईं

तीस्ता ने वकालत की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर पत्रकारिता को अपना पेशा बना लिया। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक तक की पढ़ाई की है। उन्होंने बतौर रिपोर्टर कई अखबारों में काम किया है। इस दौरान उनकी मुलाकात पत्रकार जावेद आनंद से हुई, जो आगे चलकर उनके जीवनसाथी बने। सीतलवाड़ ने आगे चलकर अपने कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस नामक एनजीओ की शुरुआत की। उन्हें साल 2007 में 'पद्म श्री' से नवाजा जा चुका है। तीस्ता को साल 2002 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी मिल चुका है।

गुजरात दंगे से कनेक्शन

पत्रकार से एक्टिविस्ट बनी तीस्ता सीतलवाड़ साल 2002 के गुजरात दंगा पीड़ितों के लिए काम करती रही हैं। वह दंगों के बाद कानूनी मुहिम और अपने एनजीओ को लेकर चर्चा और विवादों में रहीं। दंगे के दौरान मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी को कानूनी मदद मुहैया कराई। सीतलवाड़ पर कांग्रेस की 'शह' पर बीजेपी और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार के आरोप लगते रहे हैं।

विदेशी चंदे के दुरुपयोग का आरोप

गुजरात में सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ दंगों को लेकर मोर्चा खोलने वाली तीस्ता सीतलवाड़ विवादों में भी खूब रहीं। उनपर विदेश से आए पैसे के दुरुपयोग और धोखाधड़ी का आरोप है। साल 2013 में अहमदाबाद स्थित गुलबर्गा सोसाइटी के 12 लोगों ने तीस्ता के खिलाफ जांच की मांग की थी। सोसायटी की ओर से आरोप लगाया गया कि तीस्ता ने सोसायटी में म्यूजियम बनाने के नाम पर विदेश से डेढ़ करोड़ रुपए जमा किए, मगर उन पैसों का सही से इस्तेमाल नहीं हुआ। साल 2014 में तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद के खिलाफ क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके अलावा तीस्ता के पूर्व सहयोगी रईस खान पठान ने उनके एनजीओ का विदेशी कनेक्शन होने का दावा करते हुए अदालत में हलफनामा भी जमा किया था।

क्यों गिरफ्तार हुईं तीस्ता?

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ याचिका को 24 जून को खारिज कर दिया था। याचिका दंगों में मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने दायर की थी। कोर्ट ने कहा था कि जाकिया जाफरी की याचिका में कोई मेरिट नहीं है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने मामले में को-पेटिशनर तीस्ता सीतलवाड़ पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन पर जाकिया जाफरी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। अदालत ने तीस्ता की भूमिका की जांच की बात कही थी। जिसके बाद अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने 25 जून को मुंबई से उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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