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Cloudburst: मानव जनित विकास हैं प्राकृतिक आपदा के कारक, क्यों फटता है बादल ?

Cloudburst: अगर एक जगह पर एक घंटे में 100 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है।

Nirala Tripathi
Written By Nirala Tripathi
Published on: 5 Oct 2023 12:18 PM GMT
Cloudburst
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 Cloudburst (Photo: Social Media)

Natural Calamity: पूरी दुनियां में जलवायु परिवर्तनऔर पर्यावरणीय संतुलन को अनदेखा कर, हो रहे मानव जनित विकास के कारण समूची धरती पर प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है। हमारे देश में भी बीते कुछ वर्षों से बारिश आफत बनकर सामने आ रही है, इसके कारण कहीं बाढ़ तो कहीं बादल फटने और लैंडस्‍लाइड जैसी घटनाएं, हिमालय व उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों से सामने आ रही हैं तो वहीं असामान्य शहरीकरण व भौगोलिक असंतुलन के कारण हमारे छोटे बड़े शहरों, कस्बों में भी बाढ़ जैसे हालात पैदा होने की कई घटनाएं हाल ही के कई वर्षों में घटित हुई हैं। बादल फटने की ज्‍यादातर घटनाएं मॉनसून के समय घटित होती है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि बादल फटना होता क्‍या है और आखिर इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं क्‍यों सामने आती हैं? यहां जानिए इसके बारे में-

बादल फटना एक तकनीकी शब्‍द है जिसका इस्‍तेमाल मौसम वैज्ञानिक करते हैं। इसका मतलब है अचानक से एक जगह पर बहुत ज्‍यादा तेज बारिश होना। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर एक जगह पर एक घंटे में 100 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश होती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है और यह धरती से 10 से 15 किमी की ऊंचाई पर घटित होता है।यह ठीक उसी तरह है जैसे पानी का गुब्‍बारा अगर कहीं पर फोड़ दिया जाए तो अचानक से सारा पानी एक जगह गिर जाता है. इस घटना को क्लाउड बर्स्ट या फ्लैश फ्लड भी कहा जाता है।

क्‍यों फटते हैं बादल

बादल फटना बारिश का चरम रूप है। इस घटना में भारी बारिश के साथ ही साथ तेज हवा, गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। इस दौरान एक सीमित क्षेत्र में मूसलाधार बारिश होती है और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है । भारत के संदर्भ में देखे तो हर साल बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठे मानसून के बादल नमी को लेकर उत्तर की ओर बढ़ते हैं। हिमालय की पर्वत श्रृंखला एक बड़े अवरोधक के रूप में सामने आती है। मौसम विज्ञान के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में आद्रता यानि पानी लेकर आसमान में चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है या वो गर्म हवाओं के संपर्क में आते है तब वो अचानक फट पड़ते हैं, यानि संघनन बहुत तेजी से होता है। इस स्थिति में एक सीमित इलाके में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है। इस पानी के रास्ते में आने वाली हर वस्तु क्षतिग्रस्‍त हो जाती है।




ज्‍यादातर बादल फटने की घटनाएं पहाड़ों पर घटती हैं, इसका कारण है कि पानी से भरे बादल हवा के साथ उड़ते हैं। ऐसे में कई बार वो पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं और पहाड़ों की ऊंचाई के कारण ये आगे नहीं बढ़ पाते हैं। पहाड़ों के बीच फंसते ही ये बादल पानी में परिवर्तित हो जाते हैं और एक ही जगह पर बरसने लगते हैं। चूंकि बादलों की डेंसिटी पहले से काफी ज्‍यादा होती है, इस कारण बहुत तेज बारिश होना शुरू हो जाता है।

कितना खतरनाक है बादल का फटना

बादल के फटने से भयावह स्थितियां पैदा हो जाती हैं। नदी, नालों में अचानक से पानी का स्‍तर बढ़ने के कारण बाढ़ के हालात पैदा हो जाते हैं। चूंकि पहाड़ों पर ढलान वाले रास्‍ते होते हैं, ऐसे में पानी रुक नहीं पाता बल्कि तेजी से नीचे की ओर बहता है। ऐसे में ये पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़, पत्‍थरों के साथ-साथ पशु, इंसान या जो भी चीजें सामने आती हैं, सबको बहाकर ले जाता है। साल 2013 में उत्‍तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने की घटना को आज भी लोग नहीं भूल पाए हैं। बादल फटने के कारण उस समय मन्‍दाकिनी नदी ने प्रचंड रूप धारण कर लिया था। इस हादसे में हजारों लोगों की मौत हुई थी और हजारों लोग लापता हो गए थे ।



भारत मौसम विज्ञान विभाग वर्षा की घटनाओं का पूर्वानुमान पहले ही लगा लेता है, लेकिन यह वर्षा की मात्रा का अनुमान नहीं लगाता है। पूर्वानुमान हल्की, भारी या बहुत भारी वर्षा के बारे में हो सकते हैं, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों के पास यह अनुमान लगाने की क्षमता नहीं है कि किसी निश्चित स्थान पर कितनी बारिश होने की संभावना है।

बादल फटने के प्रभाव को कम करने के लिए, गंभीर मौसम की स्थिति का पता लगाने और पूर्वानुमान लगाने के लिए मौसम संबंधी निगरानी और रडार सिस्टम सहित प्रारंभिक चेतावनी भी प्रणाली कार्यरत हैं। ये चेतावनियां संवेदनशील क्षेत्रों को समय पर खाली करने और आपातकालीन प्रतिक्रिया उपायों के कार्यान्वयन की अनुमति देती हैं। इसके अतिरिक्त, उचित जल निकासी व्यवस्था और बाढ़ प्रबंधन तकनीकों को शामिल करने वाली शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचा विकास रणनीतियां बादल फटने से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकती हैं।

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Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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