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Rajpath History: पहले किंग्सवे, फिर राजपथ व अब कर्तव्य पथ, जानिए कैसा रहा देश के इस मार्ग का इतिहास

Rajpath Road History: नई दिल्ली पालिका परिषद ने राष्ट्रीय राजधानी में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पत्थ रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 8 Sep 2022 7:47 AM GMT (Updated on: 8 Sep 2022 7:47 AM GMT)
Rajpath
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राजपथ (फाइल फोटो)

Rajpath Road History: नई दिल्ली पालिका परिषद ने राष्ट्रीय राजधानी में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक की सड़क को कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा। आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की ओर से इस प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। ऐसे में दिल्ली के इस ऐतिहासिक राजपथ का इतिहास जानना काफी दिलचस्प है।

राजपथ का काशी गौरवशाली इतिहास रहा है और इस राजपथ ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर प्रणब मुखर्जी तक 13 राष्ट्रपतियों को देखा है। इसी के साथ इस राजपथ ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तक देश के 15 प्रधानमंत्रियों को भी देखा है। यह राजपथ सिर्फ वीआईपी मार्ग ही नहीं बल्कि देश के गौरवशाली इतिहास का गवाह भी है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब इस महत्वपूर्ण मार्ग का नाम बदला गया है।

आखिर किसने किया इसका नामकरण

सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि इसे इतना महत्वपूर्ण मार्ग क्यों माना जाता है। देश के सबसे महत्वपूर्ण आयोजन गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत इसी राजपथ से होती है। इसी राजपथ पर बैठकर वीवीआईपी अतिथि गणतंत्र दिवस परेड (republic day parade) का आनंद उठाते हैं। यदि राजपथ के इतिहास को खंगाला जाए तो पहले इसे किंग्सवे नाम से जाना जाता था। जानकारों के मुताबिक सेंट स्टीफेंस कॉलेज के इतिहास ( St. Stephen's College History) के प्रोफेसर पर्सियन स्पिनर (Professor Persian Spinner) ने इस महत्वपूर्ण मार्ग को किंग्सवे नाम दिया था। देश में ब्रिटिश राज के समय कई अन्य महत्वपूर्ण सड़कों का नामकरण भी स्पियर की सलाह पर ही किया गया था। स्पियर ने 1924 से लेकर 1940 तक सेंट स्टीफेंस कॉलेज में शिक्षण का काम किया था।

इसलिए स्पियर ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन को करीब से देखा था और दिल्ली में शाहजहां रोड, औरंगज़ेब रोड, अकबर रोड, पृथ्वीराज रोड और कई अन्य सड़कों का नामकरण भी उनकी सलाह पर ही किए गए थे। औरंगजेब रोड का नाम पहले ही बदलकर अब्दुल कलाम मार्ग किया जा चुका है। स्पियर बड़े इतिहासकार थे और उन्होंने भारत के इतिहास से जुड़ी कई महत्वपूर्ण किताबें भी लिखी हैं। सेंट स्टीफेंस कॉलेज छोड़ने के बाद ही स्पियर ने ब्रिटिश सरकार के भारत मामलों के उपसचिव के रूप में भी काम किया था।

क्यों इतना महत्वपूर्ण है यह मार्ग

अब उस मार्ग को भी जानना जरूरी है जिसे अब राजपथ की जगह कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा। राजपथ की शुरूआत रायसीना हिल पर स्थित राष्ट्रपति भवन से होती है और यह मार्ग इंडिया गेट के बीच में स्थित विजय चौक तक आता है। देश की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली परेड गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन भी इसी राजपथ से शुरू होता है।

इसी मार्ग के बीच में सलामी मंच बनाया जाता है जहां पर राष्ट्रपति और अन्य वीवीआईपी अतिथि बैठकर परेड देखते हैं। बाद में परेड लाल किले पर जाकर समाप्त होती है। इस राजपथ पर ही देश के लोगों को विभिन्न प्रदेशों की संस्कृतियों की झलक के साथ ही सेना की टुकड़ियों का शानदार मार्चपास्ट और सेना से जुड़े हुए अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र देखने का मौका मिलता है।

किसने किया इस सड़क का शुरुआती निर्माण

यह भी जानना जरूरी है कि दिल्ली के राजपथ सहित अन्य इलाकों की चौड़ी-चौड़ी और सुंदर सड़कों का निर्माण आखिर कैसे किया गया। अंग्रेजों के लिए दिल्ली की इमारतों और सड़कों के लिए के निर्माण के लिए ठेकेदार ढूंढना बड़ी समस्या थी। 1920 के दशक में ब्रिटिश सरकार के अफसरों ने जब इस दिशा में काम शुरू किया तो उस समय के बड़े ठेकेदार सरदार नारायण सिंह ने दिल्ली की सड़कों को खूबसूरत बनाने के लिए अपनी दावेदारी पेश की।

ब्रिटिश अफसरों को भी सरदार नारायण सिंह का प्रस्ताव पसंद आ गया। इसके बाद नई दिल्ली के चीफ डिजाइनर एडविन लुटियंस और उनके साथी हर्बर्ट बेकर ने सरदार नारायण सिंह को ही राजपथ के निर्माण का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा था। नारायण सिंह की देखरेख में ही राजपथ की खूबसूरत सड़क का निर्माण किया गया था। हालांकि बाद में इसे और भव्य रुप दिया गया। राजपथ की शुरुआत के स्थान पर हरबर्ट बेकर ने खूबसूरत नार्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक का निर्माण किया था।

आखिर क्यों बदला गया इसका नाम

राजपथ का नाम सुन सुनकर आजाद भारत की कई पीढ़ियां बड़ी हुई है। राजपथ के दोनों ओर लगी मखमली घास पर बैठकर न जाने कितने लोगों ने जाड़े के दिनों में धूप का आनंद लिया है। राजपथ के पास में ही बने रेल भवन, निर्माण भवन और शास्त्री भवन जैसे सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी इसी घास में बैठकर गप्पे लड़ाने के दिनों को कभी नहीं भूल सकते।

अंग्रेजों की राजशाही के दौरान इस मार्ग को किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। किंग्सवे यानी राजा का रास्ता। देश को आजादी मिलने के बाद इस रास्ते का नाम बदलकर राजपत्थ रखा गया और अब यह ऐतिहासिक मार्ग कर्तव्य पथ के नाम से जाना जाएगा।

Deepak Kumar

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