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मध्य प्रदेश : आखिर कहां रहेंगे गिद्ध और बाघ

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Published on: 20 July 2018 7:01 AM GMT
मध्य प्रदेश : आखिर कहां रहेंगे गिद्ध और बाघ
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मध्य प्रदेश : आखिर कहां रहेंगे गिद्ध और बाघ

प्रदीप श्रीवास्तव

पन्ना : मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व पर संकट के बादल छाने लगे हैं। केन बेतवा लिंक परियोजना को पूरा करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व के मध्य में एक बांध बनाया जा रहा है, जिस कारण से टाइगर रिजर्व का एक बड़ा हिस्सा डूब जाएगा। साथ ही यहां के 14 लाख पेड़ों को भी काटा जाएगा। खूबसूरत घने जंगल, बाघ, विलुप्त होते गिद्धों के प्रवास भी पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे।

सदियों से बाघों का प्रिय रहवास रहा पन्ना का जंगल वैसे भी बढ़ती आबादी के दबाव में तेजी से उजड़ रहा है। सिर्फ पन्ना टाईगर रिजर्व का कोर क्षेत्र जो 542 वर्ग किमी है, काफी हद तक सुरक्षित है, लेकिन इसे भी उजाडऩे की तैयारी की जा रही है। संपूर्ण विन्ध्यांचल क्षेत्र का क्षेत्रफल लगभग 1.5 लाख वर्ग किमी है, जो पश्चिम दिशा में रणथम्भोर टाइगर रिजर्व एवं पूर्व दिशा में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को छूता है।

इन दोनों के बीच में विन्ध्य क्षेत्र के शुष्क वनों में बाघ का एकमात्र मुख्य पापुलेशन सेंटर पन्ना टाइगर रिजर्व विद्यमान है। वर्ष 2009 में यहां का जंगल बाघ विहीन हो गया था, फलस्वरूप बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से बसाने के लिये पुनस्र्थापना योजना शुरू हुई। जिसे चमत्कारिक सफलता मिली और बाघ विहीन यह जंगल फिर से आबाद हो गया। आज पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में 30 से अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं, बीते 7-8 वर्षों में यहां पर 70 से भी अधिक बाघ शावकों का जन्म हुआ है। इस कारण से पर्यावरण के एक्सपर्ट यहां के माहौल को बाघों के लिए उपयुक्त मानते हैं।

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दूसरे देशों के लिए नजीर है पन्ना मॉडल

बाघों को नये सिरे से बसाने के अभिनव प्रयोग को पन्ना में जिस तरह से चमत्कारिक सफलता मिली है, उसकी ख्याति देश की सीमाओं को पार करते हुये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैल गई है। पन्ना की इस अनूठी कामयाबी को देखने, समझने और अध्ययन करने के लिये भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों सहित दूसरे देशों के वन अधिकारी व वन्य प्राणी विशेषज्ञ यहां आने लगे हैं। पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना की कामयाबी से कम्बोडिया इस कदर प्रभावित हुआ है कि अब वह अपने यहां पन्ना की ही तर्ज पर बाघों को आबाद करने की दिशा में अग्रसर हुआ है। पूर्व में पन्ना सिर्फ बेशकीमती हीरों के लिये जाना जाता था, लेकिन अब वह पूरी दुनिया में बाघों के लिये भी जाना जाने लगा है। पन्ना टाइगर रिजर्व जो अतीत में पन्ना के विकास में सबसे बड़ी बाधा था, वह अब यहां के विकास का वाहक बनकर उभरा है। ऐसी स्थिति में दर्जनों बाघों, गिद्धों व विभिन्न प्रजाति के वन्य प्राणियों से गुलजार यह हरा भरा इलाका केन बेतवा लिंक की परवान चढ़ जाएगा।

ढोढन बांध से नुकसान

केन नदी की कुल लम्बाई 427 किमी है। जहां बांध बन रहा है वहां से केन नदी की डाउन स्ट्रीम की लम्बाई 270 किलोमीटर है। बांध की कुल लम्बाई 2,031 मीटर है, जिसमें कंक्रीट डैम का हिस्सा 798 मीटर व मिट्टी के बांध की लम्बाई 1233 मीटर है। बांध की ऊंचाई 77 मीटर है। ढोढन बांध से बेतवा नदी में पानी ले जाने वाली मुख्य कैनाल की लम्बाई 220.624 किमी होगी। बांध का डूब क्षेत्र 9 हजार हेक्टेयर है, जिसका 90 फीसदी से भी अधिक क्षेत्र पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में निहित है। 105 वर्ग किलोमीटर का कोर क्षेत्र जो छतरपुर जिले में है, डूब क्षेत्र के कारण विभाजित हो जायेगा। इस प्रकार कुल 197 वर्ग किमी. से अधिक क्षेत्र डूब व विभाजन के कारण नष्ट हो जायेगा। हालात को देखते हुए बुंदलेखंड के आम लोग भी बांध के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि बांध बनने से नुकसान कम घाटा ज्यादा होगा। पिछले दिनों पन्ना कलेक्टे्रट में पर्यावरण को बचाने वालों ने केन बेतवा लिंक के प्रति विरोध प्रकट किया। यहां पर बच्चों के हाथों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति नारे लिखे थे।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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