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Mahua Moitra: सरकारी आवास खाली करने का मामला, संसद से निष्कासित महुआ मोइत्रा को हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत

Mahua Moitra: हाईकोर्ट ने टीएमसी नेता को उचित प्राधिकरण के पास जाने को कहा। महुआ की ओर से याचिका वापस लेने पर कोर्ट ने मामले पर सुनवाई बंद कर दी है।

Krishna Chaudhary
Published on: 4 Jan 2024 9:44 AM GMT (Updated on: 4 Jan 2024 10:07 AM GMT)
Mahua Moitra
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Mahua Moitra   (photo: social media )

Mahua Moitra: चर्चित कैश फॉर जॉब केस में दोषी पाए जाने के बाद संसद से निष्कासित चल रहीं टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा को एक के बाद एक झटके मिल रहे हैं। सांसदी जाने के बाद उन्हें जल्द सरकारी आवास खाली करने का नोटिस भी थमा दिया गया, जिसके खिलाफ महुआ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गईं। आज यानी गुरूवार 4 जनवरी को इस मामले में सुनवाई हुई, जहां उन्हें निराशा हाथ लगी। हाईकोर्ट ने टीएमसी नेता को उचित प्राधिकरण के पास जाने को कहा। महुआ की ओर से याचिका वापस लेने पर कोर्ट ने मामले पर सुनवाई बंद कर दी है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के जस्टिस सुब्रमण्यन प्रसाद की एकल पीठ ने पूर्व टीएमसी सांसद की याचिका पर आज सुनवाई की। जस्टिस प्रसाद ने महुआ को संपदा निदेशालय से संपर्क करने को कहा, जो इस मामले को देखने वाला उचित प्राधिकरण है। उनके पास यह अधिकार है कि वह किसी असाधारण परिस्थितियों में किसी निवासी को निर्धारित सीमा से अधिक समय रूकने की अनुमति दे सकत हैं। संपदा निदेशालय के समक्ष अभ्यावेदन पेश करें और वहां कानून के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने महुआ को याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए मामले पर सुनवाई को क्लोज कर दिया।

महुआ ने हाईकोर्ट से क्या लगाई थी गुहार

महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर को संसद से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद 11 दिसंबर को डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स की ओर से उन्हें दिल्ली में मिले सरकारी आवास को खाली करने का नोटिस थमाया गया। जिसे 19 दिसंबर को टीएमसी नेत्री ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी पार्टी (तृणमुल कांग्रेस) ने फिर से उन्हें पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। चूंकि लोकसभा से निष्कासन उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नहीं ठहराता, इसलिए वह फिर से चुनाव लड़ेंगी। उन्हें अपना समय और ऊर्जा दोनों मतदाता पर केंद्रित करने की आवश्यकता है। महुआ ने कहा कि वह दिल्ली में अकेले रहती हैं, यहां उनके पास कोई अन्य निवास स्थान या वैकल्पिक आवास नहीं है।

ऐसी स्थिति में अगर उन्हें सरकारी आवास से बेदखल किया जाता है, तो उन्हें चुनाव कर्तव्यों को पूरा करना होगा और साथ ही नया घर भी ढूंढना होगा, इससे उन पर भारी बोझ पड़ेगा। टीएमसी नेता ने आगे अपनी याचिका में अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजे तक वर्तमान आवास में ठहरने की अनुमति दी जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि ठहरने की विस्तारित अवधि के लिए लगने वाले किसी भी शुल्क का भुगतान करने के लिए वो तैयार हैं।

बता दें कि कल यानी 3 जनवरी को संसद से निष्कासन के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर भी सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने उन्हें फौरी राहत देने से इनकार कर दिया है। उनकी याचिका पर लोकसभ सचिवालय को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई मार्च में होगी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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