×

नगालैंड में नहीं बहुरे महिलाओं के दिन, राजनीति को लेकर खुद ज्यादा सजग नहीं

seema
Published on: 9 March 2018 10:58 AM GMT
नगालैंड में नहीं बहुरे महिलाओं के दिन, राजनीति को लेकर खुद ज्यादा सजग नहीं
X

कोहिमा : नगालैंड की सियासत फिर आधी आबादी की दखल से बची रह गई। राज्य के 54 साल के इतिहास में महिलाएं एक बार फिर रिकॉर्ड बनाने से चूक गईं। इस बार सर्वाधिक पांच महिलाएं चुनावी अखाड़े में उतरी थीं, लेकिन एक भी जीत का स्वाद नहीं चख पाईं। आलम यह रहा कि अखोई सीट से उम्मीदवार अवान कोन्याक को छोड़कर बाकी चारों महिलाएं चौथे और पांचवें पायदान पर रहीं।

राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेश पंत कहते हैं कि नगालैंड का राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य अलग है। नगा समाज में माना जाता है कि राजनीति महिलाओं के लिए नहीं है। राजनीति को लेकर महिलाएं खुद ज्यादा सजग नहीं हैं, लेकिन अब स्थिति काफी हद तक सुधरी है। महिलाएं भी राजनीति में आना चाहती हैं, लेकिन समाज का ताना-बाना ही ऐसा है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को राजनीति में अधिक तरजीह दी जाती है।

यह भी पढ़ें : SC ने पैसिव यूथेनेशिया को दी मंजूरी, जानें क्या है इसका मतलब..

पांचों महिलाओं को मिली हार

इस बार चुनाव मैदान में उतरीं पांचों महिलाएं चुनाव हार गयीं। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने इस बार सिर्फ दो महिलाओं को टिकट दिया था जबकि भाजपा ने सिर्फ एक महिला को टिकट देकर खानापूर्ति कर ली। राखिला को टिकट देने की वजह भी उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही। तुएनसांग सदर-2 सीट से चुनाव लडऩे वाली राखिला को 2,749 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहीं। राखिला इससे पहले 2013 का चुनाव भी लड़ी थीं और मात्र 800 वोटों से हार गई थीं।

एनपीपी ने जिन दो महिलाओं को टिकट दिए थे, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। दीमापुर-3 सीट से वेदीऊ क्रोनू को सिर्फ 483 वोट मिले, जबकि पार्टी के टिकट पर नोकसेन सीट से चुनाव लड़ीं डॉ.के मांगयांगपुला चांग को मात्र 725 वोट ही मिले। नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के टिकट पर अबोई सीट से चुनाव हार चुकीं अवान कोन्याक को 5,131 वोटों मिले, जबकि चिझामी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रेखा रोज दुक्रू 338 वोटों से पांचवें स्थान पर रहीं।

नागालैंड की राजनीति में महिलाओं की पैठ न होने के बारे में माकपा नेता बृंदा करात का कहना है कि यही कारण है कि हम संविधान में संशोधन कर महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। रीति-रिवाजों के नाम पर नगा महिलाओं को राजनीति से दूर रखा जाता है। यहां तक कि मुख्यधारा की पार्टियां भी यहां महिलाओं को टिकट देने से कतराती हैं। नगालैंड में महिला आरक्षण को लेकर लोग सजग नहीं हैं।

इन महिला उम्मीदवारों को मिले वोटों से साफ है कि पुरुष उम्मीदवारों की तुलना में इन्हें गिने-चुने वोट ही मिले हैं। राज्य में कुल 11 लाख 93 हजार मतदाता हैं, जिनमें से महिला मतदाताओं की संख्या छह लाख 89 हजार 505 है। इसका मतलब है कि महिलाओं ने भी महिला उम्मीदवारों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। नगालैंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां अभी तक एक भी महिला विधायक चुनकर विधानसभा तक नहीं पहुंची है। इससे पहले 2012 में हुए चुनाव में दो महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया था, जबकि इससे पहले 2008 के चुनाव में पांच महिलाएं चुनाव लड़ी थीं मगर जीत नहीं पाईं। साल 1977 में यूडीपी के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचने वाली रानो शाइजा के बाद राज्य की एक भी महिला लोकसभा तो दूर, विधानसभा की दहलीज भी नहीं लांघ पाई।

महिला आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री टी.आर. जेलियांग को कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी। उन्होंने महिलाओं को शहरी निकाय चुनावों में 33 फीसदी आरक्षण देने की कोशिश की थी, लेकिन राज्य में उनके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए और उन्हें कुर्सी छोडऩी पड़ी।नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में नगालैण्ड ही ऐसा राज्य है जहां महिलाएं सबसे सुरक्षित हैं। यहां महिलाओं के खिलाफ मात्र 67 केस दर्ज हुए हैं। यह वास्तविकता है कि नगा लोग महिलाओं की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेते हैं जिसकी वजह महिलाओं के प्रति नगा समाज में ऊंचा सम्मान है। लेकिन इस समाज में महिला सशक्तिकरण की स्थिति एकदम विपरीत है।

प्राचीन नियमों, परंपराओं और संस्कृति के कारण यहां महिलाओं को समान सामाजिक व राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं। आमतौर पर महिलाओं को पारंपरिक ग्राम परिषदों में शामिल होने की अनुमति नहीं होती है। कहने को राज्य में 1110 गांवों के विकास बोर्डों में महिलाओं के लिए 25 फीसदी आरक्षण लागू है लेकिन वह सिर्फ कागजों में ही है।

seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story