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Dabholkar Murder Case: एक दशक बाद आया दाभोलकर मर्डर केस में फैसला, मुख्य आरोपी बरी, दो को उम्रकैद

Dabholkar Murder Case: इस मामले की शुरुआती जांच पुणे पुलिस ने की। बाद में बॉम्बे उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के एक आदेश के बाद साल 2014 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दाभोलकर की हत्या जांच सौंपी गई।

Viren Singh
Published on: 10 May 2024 7:23 AM GMT
Dabholkar Murder Case
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Dabholkar Murder Case (सोशल मीडिया) 

Dabholkar Murder Case: सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर हत्या के मामले में आखिरकार जिसका इंतजार कई वर्षों से था, आज वह घड़ी आ गई। नरेंद्र दाभोलकर हत्या के मामले में महाराष्ट्र के पुणे की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुना। कोर्ट ने इस मामले में दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि तीन आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया। हालांकि कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया, उसमें इस हत्या मास्टरमांइड कहा जाने वाले वीरेंद्रसिंह तावड़े शामिल है।

आरोपियों पर 5 लाख का जुर्माना भी

विशेष कोर्ट ने नरेंद्र दाभोलकर हत्या के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए सचिन अंदुरे और शरद कलस्कर दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि बिना सूबतों के अभाव पर वीरेंद्रसिंह तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने दाभोलकर को गोली मारने वाले शरद कालस्कर और सचिन एंडुरे को आजीवन कारावास करार दिया। साथ ही, आजीवन कारावास वाले दिनों आरोपियों के ऊपर कोर्ट ने 5-5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। इस मामले की सुनवाई गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम से जुड़े मामलों की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए.ए. जाधव ने की।

2013 में हुई थी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MANS, या महाराष्ट्र अंधविश्वास उन्मूलन समिति) के संस्थापक नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में दो बाइक सवार हमलावरों ने हत्या कर दी, जब वह सुबह की सैर पर निकले थे। इस मामले पर पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिस आज कोर्ट अपना निर्णय सुनाते हुए पांच में से तीनों बरी कर दिया और दो आरोपियों को आजीवन कारावास हुआ है। दाभोलकर की हत्या पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर की गई थी।

सीबीआई के आने के बाद हुई पहली गिरफ्तारी

इस मामले की शुरुआती जांच पुणे पुलिस ने की। बाद में बॉम्बे उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के एक आदेश के बाद साल 2014 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दाभोलकर की हत्या जांच सौंपी गई। इसके बाद कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने जून 2016 में हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े ईएनटी सर्जन डॉ. वीरेंद्रसिंह तावड़े को गिरफ्तार किया, जबकि पहली गिरफ्तारी थी। अपनी प्रारंभिक चार्जशीट में सीबीआई ने भगोड़े सारंग अकोलकर और विनय पवार को शूटरों के रूप में पहचाना। बाद में एजेंसी ने सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को भी पकड़ लिया। 2019 में एक पूरक आरोप पत्र में सीबीआई ने दावा किया कि आंदुरे और कालस्कर ही थे, जिन्होंने दाभोलकर को गोली मारी थी। सीबीआई ने वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को कथित सह-साजिशकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया था।

दाभोलकर अंधश्रद्धा कार्यों के करते थे विरोध

कोर्ट में इस मामलें हुई कार्यवाही के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों से पूछताछ हुई, जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों से पूछताछ की। अभियोजन पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलों में कहा था कि आरोपी अंधविश्वास के खिलाफ दाभोलकर के अभियान के विरोधी थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार तवाड़े हत्या के मास्टरमाइंडों में से एक था। इसमें दावा किया गया कि सनातन संस्था, जिससे तावड़े और कुछ अन्य आरोपी जुड़े हुए थे, दाभोलकर के संगठन, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (अंधविश्वास उन्मूलन समिति, महाराष्ट्र) द्वारा किए गए कार्यों का विरोध करती थी।

कार्यवाही पर सीबीआई पर भी उठे सवाल

मुकदमे के दौरान बचाव पक्ष के वकीलों में से एक वकील वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने शूटरों की पहचान को लेकर सीबीआई की लापरवाही पर सवाल उठाया था। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (साजिश), 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं और यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि तावड़े, आंदुरे और कालस्कर जेल में हैं, जबकि पुनालेकर और भावे जमानत पर बाहर हैं।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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