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National Flag Journey: 1921 से शुरू हुई थी ध्वज की यात्रा

National Flag Journey: तिरंगा आज घर घर में छाया हुआ है। तिरंगे को लेकर इतना उत्साह शायद ही पहले कभी देखा गया होगा। लेकिन आज जो तिरंगा हमारे हाथों में है, इसकी भी एक लंबी यात्रा रही है।

Neel Mani Lal
Published on: 13 Aug 2022 10:52 AM GMT (Updated on: 14 Aug 2022 2:06 AM GMT)
National flag in India
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National flag in India (image social media)

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National Flag Journey: तिरंगा आज घर घर में छाया हुआ है। तिरंगे को लेकर इतना उत्साह शायद ही पहले कभी देखा गया होगा। लेकिन आज जो तिरंगा हमारे हाथों में है, इसकी भी एक लंबी यात्रा रही है। इस क्रम में हमारे ध्वज ने कई पड़ाव और बदलाव देखे हैं।

1906 - पहला झंडा

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जिस ध्वज का पहली बार इस्तेमाल किया गया उसे कलकत्ता ध्वज या कमल ध्वज भी कहा जाता है। ये झंडा पहली बार 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। इस झंडे में तीन रंग थे - हरा, पीला और लाल। जिसके बीच में वंदे मातरम लिखा हुआ था।

शीर्ष पर लाल पट्टी में आठ सफेद कमल एक पंक्ति में उकेरे गए थे। पीले रंग की पट्टी पर देवनागरी अक्षरों में गहरे नीले रंग में वंदे मातरम लिखा हुआ था। हरे रंग की पट्टी में बाईं ओर एक सफेद सूरज और एक सफेद अर्धचंद्र और दाईं ओर एक तारा था।

1907 - दूसरा झंडा

1907 में, भारतीय ध्वज का दूसरा रूप पेरिस में मैडम कामा और उनके क्रांतिकारियों के समूह द्वारा फहराया गया था। कुछ परिवर्तनों को छोड़कर, ध्वज पहले वाले के समान था। इस झंडे को बर्लिन में एक समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।

1917 - तीसरा झंडा

तीसरा झंडा 1917 में फहराया गया जब ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ ले लिया था। डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने होमरूल आंदोलन के दौरान इसे फहराया था और यह भारतीय ध्वज का सबसे रंगीन संस्करण था। इस ध्वज में पांच लाल और चार हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों को बारी-बारी से व्यवस्थित किया गया था, जिसमें सप्तऋषि विन्यास में सात तारे लगाए गए थे। बाएं हाथ के शीर्ष कोने में यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और तारा भी था। हालांकि यूनियन जैक की उपस्थिति ने ध्वज को आम तौर पर अस्वीकार्य बना दिया।

1921 - चौथा झंडा

1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र के एक युवक पिंगली वैंकेया ने एक झंडा तैयार किया और उसे गांधीजी को दिखाया। इस झंडे में लाल रंग को हिंदुओ और हरे रंग को मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व के रूप में दिखाया गया था। गांधीजी के सुझाव के अनुसार, झंडे में एक सफेद पट्टी शामिल की गई जो अन्य धर्मों और समुदायों को इंगित करती थी और एक चरखा जो भारत की प्रगति को चित्रित करता था। यह 1921 में गांधी द्वारा अनुमोदित ध्वज था। लेकिन इस ध्वज को औपचारिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपनाया नहीं गया लेकिन फिर भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था।

1931 - पांचवां झंडा

वर्ष 1931 भारतीय ध्वज के इतिहास में एक मील का पत्थर था। इस वर्ष तिरंगे झंडे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस झंडे में तीन रंगों में केसरिया, सफेद और हरा शामिल था जिसके बीच में महात्मा गांधी का चरखा बना था।

1947 - भारत का वर्तमान ध्वज

हमारे राष्ट्रीय ध्वज का जन्म 22 जुलाई 1947 को हुआ था। इस दिन संविधान सभा ने इसे भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा। केवल ध्वज में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को स्थान दिया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्वज अंतत: स्वतंत्र भारत का तिरंगा ध्वज बना।

यह झंडा पहली बार 15 अगस्त 1947 को काउंसिल हाउस में फहराया गया। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में शीर्ष बैंड भगवा रंग का है, जो देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। सफेद मध्य बैंड धर्म चक्र के साथ शांति और सच्चाई का संकेत देता है। आखिरी पट्टी हरे रंग की होती है जो भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता को दर्शाती है। झंडे में बना धर्म चक्र यह दिखाता है कि गति में जीवन है और ठहराव में मृत्यु है। 1951 में पहली बार भारतीय मानक ब्यूरो ने पहली बार राष्ट्रध्वज के लिए कुछ नियम तय किए। 1968 में तिरंगा निर्माण के मानक तय किए गए। ये नियम अब जाकर संशोधित किये गए हैं और कई ढील दी गई हैं।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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