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यह शर्म की बात है कि अदालत को राज्यपालों को उनकी ड्यूटी याद दिलानी पड़ेः जस्टिस बीवी नागरत्ना

Judge BV Nagarathna: सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना ने नोटबंदी और राज्यपालों की भूमिका पर बात की। उन्होंने कहा कि यह बताना ठीक नहीं लगता कि राज्यपालों को उनकी ड्यूटी याद दिलाई जाए। नोटबंदी को जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 31 March 2024 11:03 AM GMT
Justice BV Nagarathna said- It is a matter of shame that the court has to remind the governors of their duty
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जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा- यह शर्म की बात है कि अदालत को राज्यपालों को उनकी ड्यूटी याद दिलानी पड़े: Photo- Social Media

Judge BV Nagarathna: राज्यपालों का काम विधेयकों को रोकना नहीं बल्कि उन पर फैसला लेना है। यह शर्म की बात है कि अदालत को राज्यपालों को उनकी ड्यूटी याद दिलानी पड़े। यह बात सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कही। उन्होंने राज्यपालों की ओर से विधेयकों को रोके जाने की कड़ी आलोचना की है। बी.वी. नागरत्ना हैदराबाद की नलसार यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने नोटबंदी का भी विरोध किया और कहा कि इससे काला धन जमा करने वालों को फायदा हुआ जबकि आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।

यह ठीक नहीं लगता बताना कि...

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि आजकल देश में राज्यपालों का एक नया रुझान देखने को मिल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की जज ने कहा कि अदालतों को राज्यपालों को यह बताना अच्छा नहीं लगता है कि उन्हें बताया जाए कि आप संविधान के मुताबिक अपना काम करें और विधेयकों को मंजूरी देने में देरी नहीं करनी चाहिए। बता दें कि जस्टिस नागरत्ना उस पांच-जजों वाली पीठ का हिस्सा थीं जिसने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था, लेकिन वह इकलौती जज थीं जिन्होंने फैसले में इस बात को लेकर असहमति जताई थी कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया और लागू किया गया है।

जस्टिस नागरत्ना ने महाराष्ट्र और पंजाब के राज्यपालों के फैसलों का जिक्र करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट को चीजें ठीक करने के लिए बीच में आना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र (उद्धव ठाकरे सरकार के मई 2023 में गिरने के बाद विधानसभा में फ्लोर टेस्ट) के मामले में, यह सवाल था कि क्या राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कोई ठोस सबूत थे। उनके पास कोई भी सबूत नहीं था जो यह बताए कि मौजूदा सरकार विधायकों का विश्वास खो चुकी है।

कर्तव्यों का निर्वाह जिम्मेदारी से करना चाहिए...

जज ने कहा कि 2023 एक महत्वपूर्ण साल था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने लोकतांत्रिक संस्थाओं की ईमानदारी बनाए रखने और उनकी परंपरा को सुरक्षित रखने के लिए कई अहम फैसले सुनाए थे। उन्होंने कहा कि पंजाब के मामले में, राज्यपाल ने चार विधेयकों को रोक लिया था। अदालत ने राज्यपाल को याद दिलाया कि वह अनिश्चितकाल तक मंजूरी नहीं रोक सकते। उन्होंने कहा, वह बिलों पर बैठकर मुकदमे का विषय बन गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को अदालतों में खींचना संविधान के तहत एक स्वस्थ्य प्रवृत्ति नहीं है। राज्यपाल का पद एक गंभीर संवैधानिक पद है। उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वाह जिम्मेदारी से करना चाहिए।

नोटबंदी को लेकर कही ये बात-

जस्टिस नागरत्ना ने नोटबंदी के बारे में कहा कि भले ही इसका मकसद काला धन खत्म करना था, लेकिन केंद्र सरकार ने जिस तरह से अचानक से इसे लागू किया, इससे तो केवल कानून तोड़ने वालों को ही फायदा हुआ, जिन्होंने अपना काला धन सफेद बना लिया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इससे आम लोगों को भी काफी परेशानी हुई। लोगों को अपने पुराने नोटों को नए रूप में बदलने में काफी मुश्किल हुई। उन्होंने बताया कि इस पर किसी भी स्तर पर कोई चर्चा नहीं हुई। कोई निर्णय लेने की प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई। एक शाम संबंधित विभागों को इस नीति के बारे में बताया गया और अगली शाम से यह नीति लागू हो गई।

Shashi kant gautam

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